[t4b-ticker]
[]
Home » Editorial & Articles » जिहादी , मनुवादी और आतकंवादी ??

जिहादी , मनुवादी और आतकंवादी ??


दर्दे दिल के वास्ते पैदा किया इंसान को
वरना ताअत 1 के लिए कुछ कम न थे कार्रोबियाँ 2
१:(इबादत )
२:(फ़रिश्ते )

क्या हैं सभी धर्मों में समानताएं

कुछ बातें तो सभी इंसानो में कॉमन है , चाहे वो किसी भी मज़हब से हों , सभी को एक रब या मालिक ने पैदा किया है , और सभी के दुनिया में आने का रास्ता भी एक ही है .इसमें किसी का कोई संदेह या भेद नहीं है .और सभी धर्म इंसानियत की बात करते हैं इसपर भी कोई भेद नहीं है .

जब बच्चा किसी परिवार में पैदा होता है तो एक ख़ास उम्र तक उसका न कोई मज़हब होता है और न कोई जाती , यानी वो प्राकृतिक अवस्था (फ़ितरी मज़हब ) वाली विचार धारा में रहता है , इसके बाद वो घर के माहौल में रहकर जो देख रहा होता है उसको अपना रहा होता है .

जब यह किशोरावस्था यानि (नौजवानी ) की उम्र को पाता है तो इसकी चेतना (एहसास ) जागती है और यह अब कुछ फैसले लेना शुरू करदेता है . लेकिन इन फैसलों में परिपक्वता या अज़्म नहीं होता उसको अगर कोई समझाता है तो उसको भी accept करलेता है ,,,, अभी हम आते हैं जिहादी , आतंकवादी और मनुवादी पर भी .

यह बच्चा अपने आस पास जो देख रहा होता है या इसको जो कुछ दिखाया जा रहा होता है , उसको यह धीरे धीरे अपना रहा होता , देखते ही देखते इन्ही में से कुछ बच्चे अच्छे इंसान बन गए होते हैं और कुछ बुरे .

लेकिन यहाँ एक और फैक्टर भी है जो अपना काम कर रहा होता है , और वो हैं बच्चे की समजिक , आर्थिक और राजनितिक व् धार्मिक परिस्थितियां , कुछ बच्चे जो सक्षम परिवारों में पैदा हुए जिन्होंने ग़रीबी या दमन और ज़ुल्म नहीं देखा हटा , किन्तु कुछ बच्चे किशोर वस्था या यूँ कहें बालवस्था से ही इस सबका सामना कर रहे होते हैं . अब वहां से उनमें एक सोच चाहे अनचाहे विकसित (develop ) हो रही होती है , आतंकवादी या जिहादी या मनुवादी कैसे बनते हैं , बस अब इसी पर आरहे हैं .

बकरी और शेर वाली स्टोरी आपने सुनी ही होगी , किस तरह शेर का बच्चा जब बकरी के झुण्ड में फस जाता है और उसकी वहां परवरिश होती है तो वो अपनी गुर्राहट और बहादुरी को भूल जाता है .

और जब उसको वापस शेरो के साथ रखा जाता है तो वो भी अपनी असलियत पर लौट आता है , एहि हाल है आज उन क़ौमों का ,जिनको दुनिया में इन्साफ और अम्न ओ शान्ति तथा रब के हुक्मों को ज़िंदा करने के लिए धरती पर भेजा गया था , जिनको पूरी इंसानियत के नफे के लिए भेजा गया था , लोगों को बुराई से रोकने और भलाई का हुक्म करने के लिए भेजा गया था . मगर वही बाघी हो गयी तो बाघी की सजा भुगतनी तो होगी ही ,, खैर ..!

READ ALSO  How The Indian Muslims Fight "The Fire Of Hate

इसी तरह दूसरी स्टोरी भी सुनी होगी जब कुम्हार की बेटी की शादी शहज़ादे से होजाती है तो किस तरह उसको राजमहल की खुशबुएँ और बग़ीचों की बहार बुरी लगती है और उसके ज़ेहन में बसी वही गधों के पेशाब और मलमूत्र की बदबू जिसमें रहकर वो काम करती थी , उसको राजमहल की खुशबुओं और बहारों से परेशां रखती है , यानी माहौल का असर काफी दिन तक ज़ेहनो पर छाया रहता है .

अब आते हैं की जिहादी , आतंवादी और मनुवादी कौन हैं और कैसे बनते हैं , लेकिन ज़रा यह समझ लिया जाए की आप किसको पसंद करते हैं ? क्या बता सकते आप उपरोक्त तीनो में से किसको पसंद करते हैं ?? या किसी को पसंद नहीं करते ?? चलिए कमेंट में डाल दी जियेगा.

अच्छा इससे भी पहले आप यह बताएं की क्या आप यह मानते हैं की तमाम इंसानो को पैदा करने वाली शक्ति एक ही है ? अगर हाँ तो इसका मतलब यह कि हम सब आपस में भाई हैं .हाँ या न ? कमेंट में डालें Plss

दूसरी बात आप यह बताएं ? क्या आसमान , ज़मीन , सूरज , चाँद ,सितारों , समुंदरों , दरियाओं ,हवाओं , नक्षत्रों ,गैलेक्सी (आकाश गंगाओं ) जिन्नों , चौपाओं , रेंगने वाले जानवरों , फाड़ खाने वाले जानवरों ,डसने वाले जानवरों , उड़ने वाले परिंदों , समुन्द्र कि मछलियों , पेड़ों , पौधों , सब्ज़ियों , फलों ,मेवों , जड़ी बूटियों , और सबमें रंग भरने वाला , सबमें ज़ाइक़ा यानि स्वाद देने वाला भी कोई एक ही रब है एक ही शक्ति है ??

आपका जवाब होगा बेशक सबका रब या रचेयता एक ही है तो भी हम सब आपस में भाई हुए ,यानी यहाँ तक हम सबका मज़हब (धर्म ) एक ही हुआ , अब बात आती है विचार धारा की , तो यह अलग अलग होसकी हैं . जैसे कोई यह मानता है की बारिश का देवता , और सूरज का देवता , पहाड़ों का देवता या चाँद का देवता , रोज़ी का देवता , मौत देवता अलग है पर ईश्वर एक ही है तो यह भी कॉमन बात है , क्योंकि सृष्टि के प्रबंध को चलने में हर एक की ज़िम्मेदारी अलग फ़रिश्ते यानी देवता को दी गयी है . तो यहाँ यह बात साबित होगी की ईश्वर यानी रब एक ही है मगर देवता यानि फरिश्ते अलग अलग duties पर तैनात हैं , यानी यहाँ तक भी हम सबका मज़हब (धर्म ) एक ही हुआ .आइये अब चलते हैं आतंकवादी , जिहादी या मनुवादी विचार धारा की ओर .

जिहादी कौन ?

जिहाद अरबी ज़बान का शब्द है जिसका मतलब है जद्दो जिहद , कठिन परिश्रम या बहुत ज़्यादा मेहनत , याद रहे यह शब्द (लफ्ज़ ) यानि जिहाद दुनियावी उमूर (Worldly Deeds ) में उपयोग नहीं होता है , इसका इस्तेमाल सिर्फ आख़िरत (परलोक ) के परिपेक्ष (पसे मंज़र ) में ही किया जाता है .

हालांकि जिहाद की भी 4 क़िस्में हैं जैसे जिहाद बिन नफ़्स , जिहाद बिल लिसान , जिहाद बिल क़लम , और जिहाद बिल क़िताल , ठीक है ? इसपर अलग से बात करेंगे , फिलहाल बढ़ते हैं जिहादी कौन पर .लेकिन इससे भी पहले आप अल्लम इक़बाल की ये कुछ पंक्तियाँ देख लें .

READ ALSO  पहलगाम त्रासदी और भारतीय प्रतिनिधिमंडलों की विदेश यात्राएं

अल्लाह से करे दूर तो तालीम भी फितना
इमलाक भी औलाद भी जागीर भी फितना
ना हक़ के लिए उठे तो शमशीर भी फितना
शमशीर ही क्या नारए तकबीर भी फितना

उपरोक्त पंक्तियों को अगर आपने ग़ौर से पढ़ा या सुना है तो आपको जिहाद की परिभाषा समझ आगई होगी .मगर खुलासा यह है कि किसी भी प्रकार का जिहाद ईमान के साथ अगर रब की रज़ा और उसके बन्दों की सेवा और सफलता व अम्न ओ शान्ति के लिए है तो ऐसा करने वाला जिहादी है , और उसकी कामयाबी का वादा रब की तरफ से है कि वो दोनों लोकों यानि दुनिया कर आख़िरत में कामयाब है . अगर इसके खिलाफ है तो यह जिहाद के नाम पर झूठा प्रोपेगंडा और रब के साथ धोका और विश्वास घात है जिसकी सजा बहुत सख्त है .


आतंकवादी कौन ?

जो कोई भी शख्स ,जमात , गरोह , सरकार , संघ या समूह , रब की मख्लूक़ (ब्रह्मा की सृष्टि ) को किसी भी ज़ाविये या दृष्टिकोण से किसी भी प्रकार की तकलीफ पहुंचाता है या पहुँचाने की नीयत करता है या उसकी साज़िश रचता है तो वह निसंदेह आतंकवादी है .

मनुवादी कौन ?.

मनुवाद को हम -आचार्य डॉ. संजय देव के शब्दों में समझते हैं
-आचार्य डॉ. संजय देव
मनु कहते हैं- जन्मना जायते शूद्र: कर्मणा द्विज उच्यते। अर्थात जन्म से सभी शूद्र होते हैं और कर्म से ही वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र बनते हैं। वर्तमान दौर में ‘मनुवाद’ शब्द को नकारात्मक अर्थों में लिया जा रहा है। ब्राह्मणवाद को भी मनुवाद के ही पर्यायवाची के रूप में उपयोग किया जाता है। वास्तविकता में तो मनुवाद की रट लगाने वाले लोग मनु अथवा मनुस्मृति के बारे में जानते ही नहीं है या फिर अपने निहित स्वार्थों के लिए मनुवाद का राग अलापते रहते हैं। दरअसल, जिस जाति व्यवस्था के लिए मनुस्मृति को दोषी ठहराया जाता है, उसमें जातिवाद का उल्लेख तक नहीं है।

क्या है मनुवाद : जब हम बार-बार मनुवाद शब्द सुनते हैं तो हमारे मन में भी सवाल कौंधता है कि आखिर यह मनुवाद है क्या? महर्षि मनु मानव संविधान के प्रथम प्रवक्ता और आदि शासक माने जाते हैं। मनु की संतान होने के कारण ही मनुष्यों को मानव या मनुष्य कहा जाता है। अर्थात मनु की संतान ही मनुष्य है। सृष्टि के सभी प्राणियों में एकमात्र मनुष्य ही है जिसे विचारशक्ति प्राप्त है। मनु ने मनुस्मृ‍ति में समाज संचालन के लिए जो व्यवस्थाएं दी हैं, उसे ही सकारात्मक अर्थों में मनुवाद कहा जा सकता है।

मज़ीद तफ्सील के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर जानकारी हासिल कर सकते हैं

https://hindi.webdunia.com/sanatan-dharma-article/what-is-manuwad-manusmriti-116030800024_1.html

Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

fifteen + eighteen =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)