दोस्तों बहुत ख़ौफ़नाक है बोलिविया में हुए जल युद्ध की हकीकत – दोस्तों , धरती पर बेशुमार नेमतें रब ने इंसान के लिए पैदा की हैं , इनमें पानी कुदरत का अनमोल तोहफा है जो हर एक के लिए फ्री ...
Read More »Category Archives: Editorial & Articles
Feed Subscriptionअहानत-ए-रसूल, इस्लाम मुख़ालिफ़ क़ौमों के ज़हनी दीवालियेपन और उनके हार मान लेने की पहचान हैं
हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) से मुसलमानों की अटूट मुहब्बत अबू-जहल की औलाद को आज भी गवारा नहीं। इस्लाम में हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (सल्ल०) से मुहब्बत और अक़ीदत ईमान का लाज़मी हिस्सा है| एक मुसलमान का ईमान उस वक़्त तक मुकम्मल नहीं ...
Read More »क्या हम अमेरिका की तरह विकास चाहते हैं? तो सुनो.
Wasim Akram Tyagi✍✍ किसी भी भारतीय से पूछिए कि भारत का विकास कैसा होना चाहिए?तो अधिकतर का जवाब यही होगा कि अमेरिका की तर्ज़ पर भारत भी विकसित राष्ट्र बने। लेकिन ठहरिए! अमेरिकी अपने एक निर्दोष नागरिक की कस्टोडियल मौत ...
Read More »हम इस आसमानी सल्तनत के नुमाइंदे हैं ज़मीन पर
कोई एक शख़्स हो या पूरी क़ौम जब अपने मक़ाम और मर्तबे से ग़ाफ़िल होती है तो ख़ुद भी अपना कोई फ़ायदा नहीं करती और दूसरों को भी कोई फ़ायदा नहीं पहुँचा पाती है। भारतीय मुसलमान आज कल कुछ ऐसी ...
Read More »वह शमा क्या बुझे जिसे रोशन ख़ुदा करे
तौहीने-क़ुरआन करने वालों के पसे परदा देखने की ज़रूरत है, मिल्लत को जज़्बाती मसलों में उलझाए रखना भी साजि़श का हिस्सा है
Read More »क्या धर्मनिरपेक्षता भारत की परंपराओं के लिए खतरा है?
भारत को एक लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज से मुक्ति मिली. यह संघर्ष समावेशी और बहुवादी था. जिस संविधान को आजादी के बाद हमने अपनाया, उसका आधार थे स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के ...
Read More »अमीरी के कारपेट तले ग़रीबी की गंद
तहज़ीब का लबादा ओढ़े गंदे समाज की कड़वी सच्चाई हम सुन्ना ही नहीं चाहते हाल ही में मुझे देहली में एक ऑल इंडिया मुहिम “हर क़दम स्वच्छता की ओर” में मेहमाने ख़ुसूसी के तौर पर शरीक होने की दावत मिली। ...
Read More »जी चाहता है नक़्शे-क़दम चूमते चलें
दक्षिण भारत के सर सय्यद और बाबा-ए-तालीम डॉ मुमताज़ अहमद ख़ाँ साहब हमारे लिये मशअले राह (मार्ग दर्शक) हैं कलीमुल हफ़ीज़ इन्सान को ख़ालिक़-ए-कायनात ने ज़मीन पर अपना नुमाइन्दा बनाया है। इसको तमाम मख़लूक़ात में सबसे बेहतर बनाया है। इसकी ...
Read More »सियासत का अदालतों में दख़ल इंसाफ़ की फांसी
मुझे ज्यादा कुछ नहीं कहना सिर्फ इतना बताना है कि बटला हाउस एनकाउंटर आज तक सवालों के घेरों मे है, इस एनकाउंटर की जांच की मांग को लेकर अक्सर विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं, विरोध प्रदर्शन का यह सिलसिला उस वक्त शुरु हुआ जब आज़मगढ़ को आतंकगढ़ कहा जाने लगा, आज़मगढ़ से लखनऊ और लखनऊ से दिल्ली तक हर साल इस एनकाउंटर की जांच की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। लेकिन इसकी जांच नहीं कराई गई, इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को गोली कैसे लगी इसकी भी जांच नहीं हो सकी, अब निचली अदालत ने मोहन शर्मा की हत्या के लिए आरिज खान को दोषी पाया है।
Read More »अगर शिक्षा संस्थान RSS को दे दिए जाएँ तो……
यह अलग बात है की राजनीती के मैदान में आज बीजेपी तथा कांग्रेस एक दुसरे के धुर विरोधी के रूप में देखे जा रहा है , और कांग्रेस को गांधीवादी तथा बीजेपी को सावरकर या गोडसेवादी सोच का प्रचारक और संगरक्षक कहा जा रहा है , और किसी हद तक ऐसा है भी और होने में हर्ज भी क्या है सबको अपनी विचार धारा को प्रचारित करने का अधिकार है, बशर्त यह के इस विचार धारा से देश की एकता , संप्रभुता और सुरक्षा को खतरा न हो .हमारे संविधान ने हर मज़हब को उसके प्रचार प्रसार की आज़ादी दी है .
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