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बग़दादी अभी ज़िंदा है ?

बग़दादी की मौत का मन्त्र और बाबरी मस्जिद का फ़ैसला

Ali Aadil Khan Editor-in-Chief Times Of Pedia (TOP) News Group 

मुद्दे बनाये जाते हैं सत्ता के लिए ,हल करने के लिए नहीं , यह कहना है मुझसे भारत के एक बड़े नेता जी का, 6 दिसम्बर का आपको भी इंतज़ार होगा , क्योंकि हर साल यह दिन बड़ा संवेदनशील रहता है , और अब तो आपको इंतज़ार उस घडी का होगा जिस दिन भारत के तारीखी मुक़द्दमे (राम जन्म भूमि – बाबरी मस्जिद ) पर आने वाले फैसले का , जो 17 नवम्बर से पहले ही आना है ।

44 दिन चली मुक़द्दमे की सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा इस मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ में जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस ए नज़ीर भी शामिल थे ।

राम मंदिर के लिए सुन्नी मुस्लिम पक्ष छोड़ सकता है अपना हक़ लेकिन शर्तों के साथ

सुन्नी वक्फ बोर्ड के एक वकील ने गुरुवार को नाम न छापने की शर्त पर एक मीडिया कर्मी को बताया कि हम राम जन्मस्थान को हिन्दुओं के लिए छोड़ सकते हैं लेकिन हमारी कुछ शर्तें हैं। उन्होंने कहा कि ये शर्तें सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद लागू हो सकती हैं।

शर्तें इस तरह हैं , हिन्दुओं को 1991 के पूजा के अधिकार कानून का पालन करना होगा। इस कानून में प्रावधान है कि अगस्त 1947 से पहले की स्थिति में बने पूजा स्थलों पर किसी का कोई दावा नहीं होगा और जो जिसके पास है वह बना रहेगा। वहीं, अयोध्या में लगभग 22 मस्जिदों की मरम्मत सरकार करवाए। पुरातत्व विभाग के कब्जे वाले स्मारकों में देशभर में बनी मस्जिदों को नमाज के लिए खोला जाए।

मान लें यह फैसला हिन्दू पक्ष में जाता भी है तो क्या इसके बाद देश में कोई दूसरा मुद्दा सियासी पार्टियां हिन्दू आस्था से जुड़ा मुद्दा नहीं उठाएंगे ?? मेरा मानना है मुद्दे पहले से पिटारे में तैयार रखे हैं जो कभी भी अपना फन बाहर निकाल सकते हैं ,और फन के साथ ज़हर लाज़मी है , और एक के बाद दुसरे मुद्दे लाये जाते रहेंगे जब तक की देश से वोट धुर्वीकरण की राजनीती का सफाया नहीं होजाता , और यह देश की जनता ही कर सकती है राजनितिक पार्टियों या नेताओं के बस में नहीं है ।

बग़दादी की मौत का मन्त्र

बगदादी अभी ज़िंदा है जो एक सोच जोकि बनाई गयी है अपना उल्लू सीधा करने के लिए ,सत्ता चलाने और सत्ता में बने रहने के कुछ मन्त्र होते हैं जो कभी चलते हैं और कभी नहीं , इसी तरह का बिनलादेन की जगह बगदादी मन्त्र था या है जो 2020 अमेरिकी प्रेजिडेंट चुनाव तक चल सकता है  ,आप जानते हैं ISIS नाम की संस्था के सरग़ना बग़दादी की मौत होचुकी है , लेकिन वो हर बार ज़िंदा भी होजाता है , और मुद्दे ऐसे ही मर मर के ज़िंदा होते रहते हैं ।हम आपको पहले यह बतादें , बगदादी की मौत किन किन तारीखों में पहले भी हो चुकी है ।

सबसे पहले 6 सितम्बर 2014 को पहली खबर आई की गठबंधन सेनाओं के हवाई हमले में ISIS सरगना घायल होगया है और कुछ दिन बाद उसकी मौत होजाने की खबर चला दी गयी ।

इसके बाद १३ नवम्बर 2014 को बग़दादी का एक ऑडियो सन्देश जारी हुआ जिसमें उसने खुद अपनी मौत की खबर को को झूठा साबित किया `।

दूसरी बार अबू बगदादी की मौत की खबर 27 अप्रैल 2015 को चलाई गयी ,यह खबर सीरिया के गोलान पहाड़ी से आई जहाँ सीरिया और इजराइल के बीच तनाव चल रहा है , उसके बाद फिर अपनी मौत को झूठा साबित करने केलिए रेडियो पर आ धमका अपनी मौत को झूठा क़रार दिया ।हालांकि इस बार ईरान और इराक की एजेंसीज ने उसकी मौत की पुष्टि की थी , मगर जुलाई 2015 में बग़दादी को फिर से देखा गया ।

बग़दादी की तीसरी मौत 12 अक्टूबर 2015 को हुई जब वो अमेरिकी द्वारा किये गए भीषण हमले में मारा गया बताया ,लेकिन नवंबर 2015 को ही बग़दादी ने खुद सन्देश जारी कर उसका खंडन भी कर दिया । अच्छा मज़े की बात यह रही की बगदादी के खंडन के बाद अमेरिका या किसी और देश से इस खबर या ऑडियो सन्देश का खंडन भी होता है ।

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चौथी बार बगदादी की मौत का समाचार 9 जून 2016 को इसी गरम जोशी से होता सुनाई दिया था जैसा आज के दिन प्राइवेट चैनलों पर सनसनी ख़ेज़ अंदाज़ में चल रहा है , बगदादी को चूहा और अमेरिका को शेर बनाकर पेश किया जा रहा है ,और होना भी चाहिए क्योंकि उसके वो vedios भी हमने देखे हैं जिसमे वो ब्रिटैन या और कई अँगरेज़ पत्रकारों के सरों को काटते दिखाया गया है । बग़दादी की यह चौथी मौत सीरिया के रुक़्क़ा जा रहे उसके क़ाफ़ले पर बहादुर अमेरिकी हवाई हमला में हुई बताया गया ।

अब पांचवीं बार 27 OCT 2019 को बग़दादी सुरंग में छिपा था जहाँ उसको अमेरिकी कुत्तों ने ढूंढ निकाला ,जैसा की प्रेजिडेंट ट्रम्प ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए बताया , डोनाल्ड ट्रम्प कहते हैं हमारे कुत्तों ने बगदादी को ढूंढ निकाला , इसके बाद हमारे प्राइवेट चैनलों पर भी “दीपावली पर सबसे बड़ा धमाका” के TITTLE से यह खबर चलाई गयी ।

हर बार की तरह बगदादी की मौत की खबर हमारे यहाँ भी ऐसे ही जोश से चलाया जाता है जैसे इसके बाद खबर देने वाले को भारत रत्न मिलने वाला हो ।अब छठी बार खबर आने का इंतज़ार करें , शायद आजाये , क्योंकि अभी तक कोई उसका जांनशीं तैयार नहीं किया है अमेरिका ने , और न ही कोई अंतर्राष्ट्रीय आतंकी जमात का नाम तैयार हुआ है।

दुनिया के मुल्कों कि टिपण्णी ज़रा देखें :

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इस्लामिक स्टेट के भगौड़े नेता अबु बकर अल बग़दादी के मारे जाने को एक अहम मोड़ बताया है।

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि बग़दादी का मारा जाना आतंकवाद के ख़िलाफ़ हमारी साझा लड़ाई में एक टर्निंग पॉइंट है। तुर्की आगे भी आतंकवाद के ख़िलाफ़ कोशिशों को सहयोग देगा जैसा कि हमेशा करता आया है।

[[इसका मतलब यह है कि अबू बक्र अल बगदादी खलीफा नहीं बल्कि आतंकी संगठन का सरगना है या था जो भी कहिये ।]] उन्होंने कहा कि तुर्की ने आईएस, पीकेके/वाईपीजी और दूसरे चरमपंथी संगठनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में बड़ी क़ीमत चुकाई है ।

रूस के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इगोर कोनाशेनकफ़ ने कहा कि उन्हें इस बात की पुख़्ता जानकारी नहीं मिली है कि अमरीका ने इस्लामिक स्टेट के पूर्व नेता बग़दादी को एक बार फिर मारने के लिए इदलिब में ऑपरेशन चलाया है।

उन्होंने कहा कि जिस तेज़ी से इस अभियान में शामिल होने वाले देशों की संख्या बढ़ रही है और सब विरोधाभासी जानकारी दे रहे हैं, उससे सवाल भी उठ रहे हैं और शक़ भी पैदा हो रहा है कि ये अभियान कितना विश्वसनीय है, और ख़ासकर कितना सफल हुआ।

पहले ख़बरें आ रही थीं कि रूस ने भी इस अभियान में भूमिका निभाई है लेकिन रूस के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कोनाशेनकफ़ ने इसका खंडन किया।

ईरान के सूचना मंत्री मोहम्मद जावेद अज़ारी ने अमरीकी ऑपरेशन पर ट्वीट किया कि ये कोई बड़ी बात नहीं, आपने अपने ही पैदा किए को मारा है।

ईरान के एक न्यूज़ चैनल ईरीन ने भी रूस की तरह ही सवाल उठाया है कि बग़दादी सीरिया के इदलिब में छुपा था ? जो कि इस्लामिक स्टेट के दुश्मन फोर्स का इलाक़ा है।

साथ ही ईरीन ने कहा कि ट्रंप बग़दादी की मौत को 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में इस्तेमाल करेंगे। चैनल ने 2016 चुनावों में दिए गए ट्रंप के एक बयान की याद दिलाई जिसमें उन्होंने ख़ुद कहा था कि अमरीकी सरकार ने इस्लामिक स्टेट यानी ISIS को बनाया है।

ईरान के अधिकारी पहले भी इस्लामिक स्टेट के लिए अमरीका को ज़िम्मेदार ठहराते रहे हैं।

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वहीं, सीरिया के सरकारी मीडिया से काफ़ी तीखी प्रतिक्रिया आई।सरकारी न्यूज़ एजेंसी सना ने कहा कि कई सालों तक बग़दादी को सीरिया और इराक़ में आतंकवाद के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बाद अमरीका के राष्ट्रपति ने आज बग़दादी के मारे जाने की घोषणा की।

अल जज़ीरा चैनल ने इस न्यूज़ की कवरेज में इस बात पर ख़ासा ज़ोर दिया कि इस अभियान को तुर्की की इजाज़त लिए बिना अंजाम दिया गया और बग़दादी को अमरीकी सैन्यबल ने नहीं मारा, ब्लकि बग़दादी ने ख़ुद को मारा।

आपको याद है ढाई करोड़ अमेरिकी डॉलर का अमेरिका ने उसके ठिकाने की सूचना देने पर इनाम भी रखा था , अब ये इनाम कुत्तों को जाएगा या अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी को इसको कौन पूछे किस्से पूछे ? अन्त्यतय: अमेरिका बहादुर ने अपने ही पैदा किये हुए बग़दादी को ढूंढ निकला और बक़ौल ट्रम्प हमारे कुत्तों ने उसे घेर लिया और जब उसने खुद को घिरा पाया तो खुद को उसने अपने ही ३ बच्चों समेत उड़ा लिया ।

अब अगर हम अमेरिका द्वारा दी गयी सूचना और खबर को इस बार सच मान लें ,इसपर ख़ुशी होनी चाहिए कि एक आतंकी सरगना का खात्मा होगया , मगर नहीं ,अभी नहीं हुआ , ऐसे बगदादी और बिनलादेन पैदा किये जाते रहेंगे जब तक ईसा अ० व० दुनिया पर न उतर आएं ।

हमारा मानना है कि अबू बग़दादी के लोगों ने या ISIS के लोगों ने ब्रिटिश पत्रकारों या और बेगुनाह लोगों को जिस प्रकार की सजा दी या देखने में आई वो हरगिज़ किसी खलीफा की जमात का अमल नहीं होसकता , जब तक की कोई उस सज़ा का हक़दार न हो ।

उन vedios का लिंक जो ISIS के लोगों ने रिकॉर्ड करके PUBLIC की थीं आजकी मोब लिंचिंग की बनाई vedios से जुड़ता सा नज़र नहीं आता आपको , जो या तो किसी एक ख़ास वर्ग को बदनाम करने के लिए बनाई गईं हों या फिर किसी ख़ास समुदाय में खौफ पैदा करने के लिए ।

हमको लगता है यह सब अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रिय स्तर पर सत्ता और आर्थिक संस्थानों को हथ्याने के लिए एक Preplanned Stories हैं जो समय समय पर चलाई जाती रहेंगी ।

अब बगदादी की मौत एक बात तो यह की यह सरासर इस्लामी क़ानून के खिलाफ है , कोई शख्स जो इस्लाम के नाम पर लड़ रहा हो वो कैसे इस्लाम के क़ानून की खिलाफ वर्ज़ी कर सकता है ।

दुसरे खलीफा कहलवाने वाला बगदादी एक जुमला भी इसराइल या इस्लाम मुखालिफ देशों के खिलाफ क्यों नहीं बोलता ,लाखों बेगुनाह और मासूम फलस्तीनियों के क़ातिल और मुसलमानो के क़िब्ला इ अव्वल बैतूल मक़्दस पर ग़ासिबाना क़ब्ज़ा करने वाले इजराइल के खिलाफ बगदादी क्यों खामोश रहा ।

इसको सिर्फ अरब की सर ज़मीन ही मिली सारे आतंकी हमले करने के लिए और इराक के तेल के कुओं पर क़ब्ज़ा करने के लिए ही रह गयी है इस्लामी स्टेट इन इराक एंड सीरिया (ISIS) ।

तीसरी बात यह कि इस्लाम के लिए जंग करने वाले कायराना मौत नहीं मरते वो हँसते हँसते अपनी जान देते है , और जिस तरह अबू बक्र अल बगदादी की मौत की स्क्रिप्ट मीडिया पर ब्यान की गयी है , उसमें script writer से चूक होगई , पूरी घटना में बगदादी को आत्म हत्या यानी suicide करते बताया गया है भला जो खलीफा होने का दावा करता हो वो आत्महत्या यानी एक ग़ैर इस्लामी क़दम कैसे उठा सकता है । क्योंकि इस्लामी क़ानून के तहत आत्म हत्या हराम है ।

बगदादी यहूदियों का एजेंट है या था या नस्रानिओं का हमको इसका अभी इल्म नहीं मगर यह तय है कि वो किसी इस्लामी तंज़ीम का सरगना या मुसलमानो का खलीफा नहीं हो सकता ।दुनिया में जिस तरह मीडिया वॉर चल रही है उसमें बहुत समझ दारी से फैसले लेने की ज़रुरत है , FALSE FLAG OPERATIONS का दौर है।

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