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अगर कांग्रेस शिव सेना को सहयोग देती है तो ………

महाराष्ट्र में शिवसेना के बदले BJP का करें समर्थन, सहयोगी दल JDS की कांग्रेस को सलाह

JDS अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी (पूर्व मुख्यमंत्री कर्नाटक ) यह हरगिज़ नहीं चाहते की कांग्रेस महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए शिवसेना के को समर्थन दे।

बेंगलुरु: महाराष्ट्र में सरकार के गठन में जितनी देरी होरही है उतनी अलग अलग सुझाव सहयोगियों की ओर से आरहे हैं , इसी कड़ी में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और JDS अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी का मानना है कि कांग्रेस महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए शिवसेना के बदले भाजपा को समर्थन दे। उनका मानना है शिवसेना एक कट्टर हिदुत्व वादी पार्टी है।

 

यह जानकारी कुमारस्वामी के मीडिया सलाहकार चंदन धोरे ने दी , और कहा ‘कांग्रेस महाराष्ट्र में अगली सरकार के गठन में कट्टर हिंदुत्वावादी शिवसेना के बदले अपेक्षाकृत एक नरम हिंदुत्ववादी भाजपा को समर्थन दे तो बेहतर होगा, क्योंकि दोनों ही दक्षिणपंथी विचार धारा रखती हैं या यूँ कहें सिक्के के दो पहलू हैं।’

21 अक्टूबर के महाराष्ट्र चुनाव के लगभग एक महीने बाद भी महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर जारी गतिरोध पर मीडिया द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कुमारस्वामी की टिपण्णी आई है । आपको याद होगा कि चुनाव में भाजपा-शिवसेना के चुनाव पूर्व गठबंधन ने जीत दर्ज की थी, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दोनों दलों की राहें जुदा हो गईं।

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कुमारस्वामी के मीडिया सलाहकार धोरे ने कहा, ‘महाराष्ट्र में अगली सरकार के गठन में सांप्रदायिक पार्टी शिवसेना के साथ धर्मनिरपेक्ष समझी जाने वाली कांग्रेस और उसकी सहयोगी NCP द्वारा गठबंधन करने की चल रही कोशिशों पर कुमारस्वामी जी से राय पूछी गई थी तभी उनकी यह टिपण्णी आई है ,याद रहे क्योंकि कांग्रेस ने मई 2018 में कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाने में जद(एस) का समर्थन किया था।’

बता दें कि महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के पास 105, शिवसेना के पास 56 सीटें हैं, जबकि National Congress Party (NCP) और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 और 44 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।

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ऐसे में 145 के इस जादुई आंकड़े तक पहुँचने में किसी भी पार्टी को समर्थन जुटाने में अच्छे खासे दांत खट्टे होते नज़र आ रहे हैं ।जबकि सियासी जोड़ तोड़ के माहिरीन जिनसे इस बात की उम्मीदें अक्सर रहती हैं कि किसी भी सूरत में हुकूमत बनाने के लिए वो सक्षम हैं इस बार महा राष्ट्र सरकार गठन में उनकी जोड़तोड़ की सियासत भी घुटने टेक गयी है।

हालाँकि शिव सेना , कांग्रेस और NCP के बीच वैचारिक मत भेद हैं इसके बावजूद सरकार के गठन में कि जाने वाली कोशिशों का नतीजा अगर सकारात्मक रहा यानी तीनो ने मिलकर सरकार बना भी ली तो इस बात की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता की यह रिश्ता कभी भी टूट सकता है ।

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