अब देश को बड़ा खतरा ,पड़ोसी दुश्मनो से नहीं अपने बीमार , बूढ़े और मानवाधिकार कार्यकर्ता स्वामियों से हो गया है ?क्या बुज़ुर्ग स्वामी भारत में अन्याय के ख़िलाफ़ जंग जीत गया ?
Parkinson की बीमारी और फिर उसके बाद दूसरी Symtomatic बीमारियों के शिकार Father Stain एक क़ैदी के हैसियत से Holly Family Hospital Mumbai में अपनी ज़िंदगी की जंग हार गए . 84 वर्षीय स्वामी की बीमारी जांच एजेंसी को नहीं दिख पाई , और इस आधार पर उनको अंतरिम ज़मानत नहीं मिल पाई .जबकि Parkinson की बीमारी दूर से ही नज़र आजाती है .
भले देश की सरकारी जांच एजेंसियां स्वामी Stain को देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने का कोई सुबूत जमा न कर सकी हों , मगर स्वामी जंग हार गया , जबकि इंसाफ़ , मानवता , नागरिक आज़ादी , लोकतंत्र और संविधान को बचने का युद्ध जारी है .50 बरसों तक मानवता की आवाज़ बुलंद करने वाले , प्राकृतिक संसाधनों और झारझंड के इलाक़ों में आदिवासियों के लिए इन्साफ की आवाज़ उठाने वाले स्वामी खुद भी इंसाफ़ से महरूम कर दिए जाएंगे ये शायद उनको भी नहीं पता था .
जब निजी कम्पनियाँ विकास के नाम पर कुदरती संसाधनों को लूट रही थीं ,और आदि वासियों का विस्थापन हो रहा था , विचाराधीन क़ैदियों की रिहाई का कोई इमकान नज़र नहीं आ रहा था तब फ़ादर स्टैन स्वामी इंसानियत और मानवता के लिए जंग कर रहे थे .जब इन्साफ और मानवता के लिए लड़ने वालों को देश के लिए खतरा कहा जाएगा या निजी कंपनियों की पुश्तपनाही करने वाली सरकारों के विरूद्ध देश हित में खड़े होने वालो को जेल जाना पड़ेगा .
जब पीड़ित ,कमज़ोर और वंचित समाज के लोग जेलों में बंद किये जा रहे होंगे और ज़ुल्म करने वालों के गलों में मालाएं डाली जा रही होंगी ,उनका सम्मान कर उच्च पदों पर बैठाया जा रहा होगा तो फिर ऐसी ही देश भक्ति नज़र आएगी जिसका खोखलापन जग ज़ाहिर है .
जब देश को क़ुरबानी और बलिदान की ज़रुरत होगी तो ये एक बार फिर दुश्मनो के सामने माफ़ी नामे पेश करेंगे . और देश के साथ बगावत करेंगे , और ज़ालिम हमेशा कमज़ोर होता है , उसका ज़मीर पहले से मारा हुआ होता है ,वो दुश्मन का कभी जमकर मुक़ाबला नहीं कर सकता .
मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़ादर स्टैन स्वामी की मौत के बाद भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र की तलोजा जेल में बंद बाक़ी 10 अभियुक्त 7 जुलाई को एक दिन की भूख हड़ताल करने का संकल्प लिया है .देश के अलग अलग हिस्सों में फादर स्टाइन स्वामी की क़ुरबानी को याद करते हुए उनकी मौत पर दुःख व्यक्त किया गया , शोक सभाओं का आयोजन किया गया , श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए .
Times Of India की प्रमुख पृष्ठ पर छपी Head लाइन ” सरकार court में झूट क्यों बोलती है :दिल्ली HC ” के अनुसार अदालत ने यह कहने की कोशिश की है की सर्कार या सरकारी एजेंसियों के अदालत में झूठ बोलने या झूठा दावा करने की वजह से याचिका कर्ता के साथ घोर अन्याय होता है . यानी दिल्ली HC ने साफ़ तौर से कह दिया की ज़ुल्म और अन्याय सरकारों की तरफ से भी होता है .
दिल्ली हाई कोर्ट ने अदालतों में सरकारों के ‘झूठे दावे’ करने पर चिंता जताई है. कोर्ट ने यह भी कहा कि उन अधिकारियों की जवाबदेही तय हो, जो ऐसी चूक करते हैं जिससे अन्याय होता है .
आदिवासियों के मसीहा , मानवाधिकार कार्यकर्त्ता 84 साल के Father stain स्वामी देश के विरुद्ध जंग कर रहे थे ? नहीं ! तो फिर UAPA क्यों ? अगर हाँ तो सुबूत कहाँ ? और वैसे भी अब फादर Stain स्वामी के खिलाफ सुबूत इकठ्ठा करने का कष्ट NIA को करने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी .अब फादर उस अदालत में हैं जहाँ इन्साफ ही होता है .
खैर ….. मानवाधिकारों , आदिवासियों तथा वंचित समाज के अधिकारों के लिए इन्साफ मांगने वाले फादर स्टैन स्वामी भले वर्तमान सर्कार को पसंद न आये हों और उनको अपने सभी अधिकारों से वंचित रखा गया हो , और अन्त्यतय: उनकी मौत ने उनको गले लगा लिया , किन्तु देश के न्यायप्रिय और मानवतावादी लोगों को सरकारों से गिला है . देश में न्यायिक प्रणाली पर सरकारों के बेजा सियासी दबाव , पार्टी और राजनितिक लाभ के लिए देश और जनता से बेवफ़ाई का अगर यही हाल रहा तो देश का लोकतान्त्रिक और संवेधानिक ढांचा दरहम बरहम होजायेगा , और देश को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी .अभी वक़्त है संभल कर चलने और नफरत की पार्टी Politics से ऊपर उठने का . सब कुछ लुटा के होश में आये तो तो क्या हुआ ….
अब राज्य में आदिवासी और दलित मानवाधिकार कार्यकर्त्ता फादर स्टैम स्वामी का विकल्प तलाश लिया गया होगा जिसको जल्द ही State minister का दर्जा देकर कुछ Powers भी देदी जाएंगी जो एक बार फिर आदिवासी , दलित और वंचित समाज के बुनयादी अधिकारों से नज़र हटाकर सरकारी योजनाओं का झूठा प्रोपेगंडा शुरू कर देगा और राज्य तथा देश की भोली तथा अनक्षर जनता को बहलाकर एक बार फिर वोट लूटकर लेजायेगा .यही तो हो रहा है देश में 70 वर्षों से जिसकी तस्वीर और गति आज साफ़ और तीव्र होगई है .