आम चुनाव से पहले बीजेपी को झटके पे झटका , एक और दल ने छोड़ा साथ
असम में बीजेपी को एक और बड़ा झटका लगा है , नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर सोमवार को असम की भाजपा नीत सरकार से असम गण परिषद (एजीपी) ने अपना समर्थन वापस ले लिया.
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को झटके पे झटका लगा है. याद रहे 2018 मार्च में ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू की TDP ने आंध्र प्रदेश कोविशेष दर्जा न दिए जाने के कारण NDA से अपना साथ छोड़ दिया था .
अब नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर सोमवार को असम की भाजपा नीत सरकार से असम गण परिषद (एजीपी) ने अपना समर्थन वापस ले लिया है . एजीपी अध्यक्ष और मंत्री अतुल बोरा ने यह जानकारी देते हुए कहा कि एजीपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद यह निर्णय लिया .
गृहमंत्री राजनाथ से मुलाकात के बाद, बोरा ने कहा, ‘हमने इस विधेयक को पारित नहीं कराने के लिए केंद्र को लगातार मनाने की कोशिश की और आज भी आखिरी कोशिश की, लेकिन सिंह ने हमसे स्पष्ट कहा कि यह बिल लोकसभा में कल (मंगलवार) पारित कराया जाएगा.
इसके बाद,हमारा गठबंधन में बने रहने का कोई सवाल ही पैदा नहीं रहता है’. आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया गया है. जबकि दूसरी ओर म्यांमार के मुस्लिम शरणार्थियों को देश से ज़बरदस्ती निकाला जा रहा है .
गौरतलब है कि इससे पहले एजीपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत ने बयान दिया था कि अगर नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 लोकसभा में पारित होता है तो उनकी पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले लेगी. यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है.
बता दें यह विधेयक कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के ग़ैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के शरणार्थी छह साल भारत में बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिक की हैसियत से गुज़ार सकेंगे , जिसको ज़रूरत पड़ने पर बढ़ाया भी जासकता है .
आपको बता दें कि पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक के ख़िलाफ़ लोगों का बड़ा तब्क़ा प्रदर्शन करता रहा है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा समेत कुछ अन्य पार्टियां भी लगातार इस विधेयक का विरोध कर रही हैं.
देखना यह है कि बीजेपी NDA का मुख्या होने के नाते अपने सहयोगिओं से किन किन मुद्दों पर सहमति बना सकेगी , हालाँकि बीजेपी लोक सभा चुनावों के पेशे नज़र कोई खतरा भी नहीं लेना चाहेगी .