Press release
देश भर में स्वर्ण आरक्षण के ख़िलाफ़ आक्रोश एवं ज्ञापन
बीएसफोर ने दिया10% सवर्ण आरक्षण के खिलाफ राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन
किशनगंज। भारत के संविधान में १२४ वां संशोधन करते हुए 10 % स्वर्ण आरक्षण का बिल संसद में पास होने के बाद देश भर में इसके खिलाफ रोष प्रकट करने एवं ज्ञापन देने का सिलसिला शुरू होगया , इसी कड़ी में दिनांक 12 जनवरी शनिवार को बहुजन शोषित समाज संघर्ष संगठन (बीएसफोर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में जिला कलेक्टर बारां राजस्थान को ज्ञापन दिया गया ।
बीएसफोर के राष्ट्रीय अध्यक्ष टीकम शाक्य ने संबोधित करते हुए कहा कि यह बिल पूर्णतया असंवैधानिक है संंविधान आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है। आरक्षण का आधार सामाजिक और शैक्षणिक हो सकता है। संंविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने अपने अभिभाषण में भी इस बात को स्पष्ट किया था कि आरक्षण को लेकर अब तक जितने भी आयोग देश में गठित किए गए सभी ने सामाजिक और शेक्षणिक आधार पर आरक्षण की बात कही है। जिसका सीधा संबंध शासन- सत्ता में प्रतिनिधित्व का है।
संदीप निमेश बीएसफोर राष्ट्रीय अध्यक्ष(मानवाधिकार) ने अपने संबोधन में कहा कि मोदी सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर आरक्षण विधेयक पारित करना संंविधान को बदलकर मनुवादी व्यवस्था लागू करने की साजिश का हिस्सा है। यह सीधे सीधे संविधान पर हमला है।
संविधान में संशोधन मूल अधिकारों के विपरीत है। नरेंद्र मोदी सरकार हमारे भारत देश पर मनुविधान को लागू करने का कार्य कर रही है। हमारा संगठन इस संंविधान संशोधन का पूर्णतया विरोध करता है। हमारा संगठन यह मांग करता है कि 10% सवर्ण आरक्षण बिल को असंवैधानिक करार दिया जाकर बिल को निरस्त करवाया जाए।
ज्ञापन में वीरू धनोलिया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बीएसफोर, आचार्य शुगन नागर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओबीसी महासभा, रामसिंह ऐरवाल युवा जिलाध्यक्ष प्रांतीय ऐरवाल महासभा बारां, कमल बैरवा किशनगंज तहसील अध्यक्ष बीएसफोर, तथा बीएसफोर के सदस्य रामेश्वर मेघवाल नयागांव, बद्रीलाल सहरिया नयागांव,हीरालाल खेरूआ खैरपुर, हरीश बैरवा,शिवराज बैरवा भंवरगढ़ आदि लोग ज्ञापन में शामिल हुए।