2002 गोधरा दंगों के बाद हुई हिंसा के 28 मुस्लिम आरोपियों को गुजरात के गांधीनगर जिले के कलोल की एक जिला अदालत ने पर्याप्त सुबूत न होने के कारण बरी कर दिया है. पुलिस इन सभी आरोपियों के खिलाफ सबूत पेश नहीं कर सकी ।
इन फ़र्ज़ी आरोपियों पर गोधरा में कारसेवकों से भरी ट्रेन को आग लगने तथा एक दिन बाद कलोल तालुका के पलियाड गांव में दंगे फैलाने, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा था। बरी किए गए 28 मुस्लिम आरोपियों में पलियाड और अहमदाबाद के लोग शामिल हैं।अडिशनल सेशन जज बी डी पटेल के आदेश के मुताबिक शकीलाबेन अजमेरी, अब्बासमियां अजमेरी, नजुमियां सैयद जैसे गवाह भी कोर्ट में पलट गए और 500 लोगों की भीड़ में से लोगों को पहचानने से इनकार कर दिया।
बता दें कि कोर्ट ने 31 जनवरी को आदेश देकर कहा था कि इस मामले में आरोपी और पीड़ित के बीच समझौता हो चुका है और 28 फरवरी 2002 को हुई हिंसा को लेकर कोर्ट के सामने पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जा सके।
इसके अलावा कई गवाहों ने कोर्ट में बताया कि पुलिस ने खुद ही आरोपियों के नाम लिख लिए और गांव के नेताओं की मौजूदगी में समझौता हो गया।कुल मिलाकर फ़र्ज़ी आरोप आखिर झूठे साबित हुए ,हमारे पाठकों को याद होगा इससे पहले भी अलग अलग मामलों में सैकड़ों फ़र्ज़ी मुस्लिम आरोपी बरी हो चुके हैं ।टॉप ब्यूरो