कोई गुनाह अब कर ही डालूं ????
नादान बहस को आपस की तकरार बनाकर लड़ते हैं,
बेकार की बातों को अक्सर तलवार बनाकर लड़ते हैं,
हर मज़हब की इज्ज़त करना है काम बहादुर लोगों का,
बुज़दिल हैं नेता जो मज़हब को हथियार बनाकर लड़ते हैं
दुनिया में सच्चाई और इंसाफ़ तथा सद्भाव की बात करने वालों और लिखने वालों पर होने वाले लगातार हमले इंसानियत के तेज़ी से बदलते चेहरे की अक्कासी (प्रतिबिंबित) कर रहे हैं .
विडंबना और सानीहा यह है कि इंसान जानवर से प्यार और इंसान से नफ़रत कर रहा है . मैं अक्सर कुछ पॉश इलाक़ों में देखता हूँ की कुछ औरतें और मर्द भी मगर औरतों की तादाद ज़्यादा देखी जाती है की वो कुत्तों को गोदी में उठाये पार्क में घूम रही होती हैं और जानवरों से यह प्यार सिर्फ गोदी की हद्द तक नहीं होता बल्कि अक्सर देखा गया की उनको बक़ायेदा किस किया जारहा होता है .
इंसानियत की नज़र में यह घिनौना अमल माना जाता है किन्तु मुझे इस बात का ख़तरा है कि कुछ डौगी भक्त जो कुत्तों से प्यार करते हैं वो मेरे ऊपर राष्ट्र द्रोह का मुक़द्दमा न करदें चूंकि देश की और दुनिया की हालत कुछ इसी तरह की होती जारही है . देश प्रेम और सभ्य समाज की परिभाषाएं उलट गयी हैं .
और याद रखें ये सिर्फ समाज ही नहीं बल्कि देश और दुनिया के लिए भी ठीक नहीं है . बल्कि घातक है .कोई भी अनैतिक और अप्राकृतिक अमल सिर्फ करने वाले के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज और मानवता के लिए घातक होता है . इसलिए किसी भी बुराई को रोकने के लिए सामूहिक तौर पर और सरकारी शक्ति के साथ प्रयत्न होने चाहिए .
जानवरों या दूसरी मख्लूक़ (प्राकृतिक रचनाएँ )से प्यार कोई बुरी चीज़ नहीं मगर हर एक का दर्जा और क्रम है उसके हिसाब से ठीक होसकता है किन्तु इंसान से ऊपर जानवरों और दूसरी मख्लूक़ जैसे गाये , वृक्ष वग़ैरा से प्यार इंसानियत के साथ अन्याय है .
यहाँ भी बड़ा अजीब पैमाना है भक्ति का …जो गाये किसी वर्ग के लिए पूजनीय है वो ही गाये उसी वर्ग के लिए धंदा भी है अभी कुछ दिन पहले तो बड़ी अजीब सी घटना सामने आई ,कि एक पुजारी ने मंदिर में पल रही गाये के साथ ही मुंह काला कर लिया . अब इसको आप क्या कहेंगे कल तक वही शख्स इसके नाम पर इंसानो का क़त्ल कर रहा होता है और कभी भी स्वार्थ कि खातिर अपनी ही पूजनीय को अपनी हवस का शिकार बना लेता है . इससे ज़्यादा और विडंबनात्मक घटना या घ्रणित घटना क्या होसकती है ?
और यह भी किसी से छुपा नहीं है विपक्ष के नेता खूब चिल्ला चिल्लाकर संसद मैं बोल रहे हैं कि जो सर्कार गौ रक्षा के नाम पर गौ रक्षकों का संरक्षण कररही है वही सर्कार देश से बीफ मीट एक्सपोर्ट के धंदे को लगातार बढ़ा रही है .
हद जब होजाती है जब गौ आश्रम के नाम पर सरकार से पैसा ऐंठने वाले चोर आश्रम मैं ही स्लॉटर हाउस चला रहे होते हैं . यह दोगलापन न तो समाज के लिए और न ही देश व् इंसानियत के लिए कभी अच्छा होसकता है .
आज देश में अम्न व् इन्साफ और सद्भाव तथा प्यार और बंधुत्व की बात करने वालों को राष्ट्र द्रोह कहा जारहा है , इन्साफ और बराबरी तथा संविधान की बात करने वालों को देश द्रोही और न जाने क्या क्या कहा जारहा है , उनपर मुक़द्दमे चलाये जारहे हैं .
यदि देश में अम्न और शान्ति , बराबरी , सद्भाव करने वालों को इसलिए मारा जारहा है की यह गुनाह है तो हम भी इसका संकल्प करते है की यह गुनाह हम भी करेंगे और पूरे देश में इस गुनाह को करने के लिए मिशन चलएंगे . हमें उम्मीद है एक रोज़ यही गुनाह वरदान बनकर देश की जनता के सामने आएगा और दुनिया के उन महानुभावों को याद करेगी जो प्यार , दोस्ती , हक़ परस्ती और मानवता के लिए अपनी जान देगये .
झारखण्ड में जो ताज़ा घटना देश के बहुत बड़े समाज सेवी और बुद्धि जीवी तथा समाज सुधारक के साथ घटी वो अत्यंत दुखद और भ्र्स्तनातमक थी .मेरी मुराद है स्वामी अग्निवेश जी से जिनको कुछ भटके और नासमझ लोगों ने किसी राजनितिक साज़िश के तहत जान से मारने कि योजना बनाई थी .जिसमें वो उस ईश्वर निराकार की कृपा से बच गए जिसकी वो उपासना करते हैं .
स्वामी जी से मेरा सम्बन्ध लगभग २० वर्षों से है अक्सर मैं उनकी सभाओं और मीटिंगों में शामिल रहा हूँ , स्वामी जी के साथियों में जो लोग भी मुझे मिले वो अत्यंत दयालु और नैतिकतावादी तथा मानवतावादी स्वाभाव के रहे हैं और मेरा अनुभव भी उन सबके साथ अच्छा रहा और जहाँ तक स्वंय अग्निवेश जी का ताल्लुक़ है , वो देश भर में बंधुआ मज़दूर मुक्ति , महिला भ्रूड़ हत्या विरोधी , देश विदेश में बंधुत्व और मैत्री ,गौ हत्या विरोधी तथा शराब बंदी जैसी योजनाओं और संस्थाओं को चलाने का काम करते हैं , साथ ही स्वम् बेहद अच्छे आचरण के व्यक्ति हैं स्वामी जी .
धरातल से जुड़े व्यक्ति हैं . पाखण्ड और घमंड से दूर , सादा मिज़ाज ,इंसानियत परस्त , एकीश्वरवादी , आध्यात्मिक प्रवृति के इंसान मुझे नज़र आये . 80 वर्ष के बुज़ुर्ग व्यक्ति पर कुछ गुंडों द्वारा किया गया जान लेवा हमला इंतहाई निंदनीय है जिसकी कड़ी से कड़ी सज़ा मुजरिमों को मिलनी ही चाहिए .
यदि स्वामी अग्निवेश जी जैसे व्यक्तित्व को बदनाम करके और उनपर फ़ुज़ूल , झूठे आरोप जड़कर उनकी सर इ आम लिंचिंग करना अत्यंत घोर अपराध माना जाना चाहिए यदि इस सम्बन्ध में कोई राजनीती होती है तो यह देश के लिए वास्तव में बहुत घातक होगा . माना ग़लती किसी से भी होसकती है लेकिन ग़लती prove हो तब न . भीड़ को अदालत बनने का किसने लाइसेंस दिया है ? उसको जनता जानती है और जनता सबक़ भी सिखाएगी .
यदि स्वामी अग्निवेश की सद्भावना ,सांप्रदायिक सोहाद्र ,शान्ति , अहिंसा , प्रेम , समभाव , और समाज सेवी का भाव कुछ दंगाईयों और देश के दुश्मनो को गुनाह या अपराध नज़र आता है तो ऐसा गुनाह हम और हमारे साथ लाखों कर गुज़रना चाहते हैं ११
और याद रखें वो लोग जो इस प्रकार की घटनाओं और अपराध को करके आम जनता को भयभीत कर पाने का सपना देख रहे हैं वो कामयाब नहीं होसकते चूँकि देश की मिटटी में नफ़रत और द्वेष के कण नहीं हैं और यहाँ की मिटटी बे गुनाहों और मासूमों के खून को जज़्ब नहीं कर पाती है .