उत्तर प्रदेश में कार और राजस्थान में सरकार पलटने की राजनीति में ‘ब्राह्मण कार्ड’?
उत्तर प्रदेश पुलिस ने बीते दिनों विकास दुबे का एनकाउंटर करके प्रदेश में गुंडई दहशत और आतंकी माहौल का एक अध्याय समाप्त कर दिया , किन्तु इसके बाद पैदा हुए सवालात और संदेह में पूरी तरह से UP सरकार को विपक्ष ने घेर लिया . भले विकास अब इस दुनिया में नहीं है किन्तु विनाश की किताब के कई ऐसे पन्नों को दफ़न कर गया जिनको ढूंढ़ना आवश्यक भी है और काफी मुश्किल भी .
हालांकि दुबे विकास भी अपने साथ एक परिवार चलाता था , उसकी माँ बाप भी साथ थे और है , किन्तु माँ बाप अपने बेटे के मरने से कितने दुखी है और उसके द्वारा मारे गए लोगों पर कितना दुःख प्रकट करते हैं , इसका अभी नहीं पता , यह भी एक सवाल तो है .
विकास दुबे एनकाउंटर में नया मोड़ सामने आया है राहगीर गवाह’ ने कहा- गाड़ी का कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ इस घटना के दौरान आसपास कुछ लोगों को गोलियां चलने की आवाज़ आई थी. लेकिन वो कुछ समझ नहीं पाए. एक राहगीर का कहना है कि पुलिस ने उन्हें दूर भगा दिया था.वहीं, उसका यह भी कहना है कि पुलिस की गाड़ी का कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ है.
आपको बता दें ,3 जुलाई को बिकरू गांव में विकास दुबे को उसके घर से पकड़ने के दौरान हुई मुठभेड़ में जान गंवाने वाले 8 पुलिसकर्मियों से लूटे गए असलहे में AK-47 और इनसास जैसी आधुनिक राइफलें भी शामिल हैं.
विकास ब्राह्मण जाती का एक साधारण व्यक्ति ,शासन तथा प्रशासन के साथ क़रीबी सम्बन्ध रखने वाला एक ऐसा ही सियासी शतरंज की बिसात का प्यादा था जिससे ज़रूरत पड़ने पर बादशाह को मात दिला दी जाती है तो कभी खुद उसी को किसी प्यादे से पिटवा लिया जाता है , दरअसल ऐसे लोगों की महत्वाकांक्षाएं सीमित होती हैं किन्तु सियासत के बड़े खिलाडियों के लिए काफी काम करते रहते हैं .
लेकिन विकास दुबे कि उपस्थिति कई उच्च जाती के गुटों को उसके होने का घमंड कराती थीं ,जब भी मायावती या अखिलेश की सरकार के चलते नीची जाती के गुंडों से मुठ भेड़ होती थी तो विकास दुबे का संरक्षण उच्च जाती के ग्रुप को रहता था जो सामजिक तौर से स्वाभाविक है. अब उसकी मौत के बाद कट्टर हिंदूवादी योगी सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने का इलज़ाम लगाने लगे है , इसका जवाब वो राजनितिक तौर पर कैसे देंगे यह तो वही बता पाएंगे किन्तु अब मनुवादी और अम्बेडकरवादी दबंगई या गुंडई की चर्चा शुरू हो गयी है .
लोगों ने सोशल मीडिया पर कहना शुरू कर दिया है कि उन्होंने कार पलटी है हम सरकार पलटेंगे और संयोग से UP में तो नहीं राजस्थान में वो प्रकिर्या लगभग उसी दिन से शुरू भी हो गयी .
सोशल मीडिया पर एक वर्ग ने विकास को ‘ब्राह्मण टाइगर’ का खिताफ दे दिया है. कुछ ब्राह्मण समुदाय के लोग फेसबुक पर योगी सरकार को गिराने की धमकी लगातार दे रहे हैं. हालाँकि विपक्ष को इसमें अच्छी राजनीतिक संभावना दिख रही है. लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या 8 पुलिस नौजवानो के हत्यारे विकास दुबे की मौत से ब्राह्मण समुदाय सरकार से नाराज हो जाएगा??.
क्या इस पूरे घटनाक्रम को ब्राह्मण रंग देने वालों के खिलाफ दूसरी जातियां लामबंद नहीं होंगी? जैसे राजपूत , पिछड़ा वर्ग , या आती पिछड़ा वर्ग इत्यादि .लेकिन इन सब बातों को नजरंदाज कर यूपी में खुलकर ब्राह्मण कार्ड खेला जा रहा है कुछ लोगों ने तो सीधे विकास दुबे को महिमामंडित भी करना शुरू कर दिया है.इसी विकास कि पत्नी के बयानात को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है जिसमें वो अपने पति कि मौत गुनहगारों से निमटने कि बात कर रही हैं .
मुंबई के वकील घनश्याम उपाध्याय और दिल्ली के वकील अनूप अवस्थी की ओर से दाखिल याचिका में विकास मामले में यूपी पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की गई है.यह याचिका एनकाउंटर से पहली रात दायर की गई है उसमें विकास दुबे की भी एनकाउंटर किये जाने की आशंका जाहिर की गई थी. घनश्याम उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट से लग रहा है कि विकास दुबे ने महाकाल मंदिर में गार्ड को खुद ही जानकारी दी.
उसने मध्य प्रदेश पुलिस को खुद ही गिरफ्तारी दी ताकि एनकाउंटर से बच सके. याचिका में आशंका जताई गई थी कि यूपी पुलिस विकास का एनकाउंटर कर सकती है. दूसरी ओर, दिल्ली के वकील अनूप प्रकाश अवस्थी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि दुबे और उनके सहयोगियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पुलिस-अपराधी और नेताओं के गठजोड़ के महत्वपूर्ण गवाह को खत्म करने के लिए की गई.
इस याचिका में कहा गया है कि यूपी फर्जी मुठभेड़ों के लिए बदनाम है , (ख़ास तौर से योगी सरकार में ) . विकास दुबे 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद गायब हो गया, उसके घर को ध्वस्त कर सभी साक्ष्य नष्ट कर दिए गए थे. याचिका में कहा गया है कि दुबे द्वारा 8 पुलिसकर्मियों की हत्या में इस्तेमाल किए गए अत्याधुनिक हथियारों की जांच की जानी चाहिए कि उन्हें ये हथियार कैसे मिले?
अब यह चर्चा भी शुरू हो गयी है कि 8 पुलिस कर्मियों को विकास ने नहीं बल्कि जिसने विकास को मरवाया है वही उन पुलिस कर्मियों के क़त्ल का भी गुनेहगार हो सकता है . अब इस पूरे प्रकरण में निष्पक्ष जांच जल्द होना ज़रूरी है जिससे की प्रदेश की जनता का विश्वास पुलिस और न्याय प्रणाली में जमाया जा सके , क्योंकि इन दोनों से विश्वास उठने का नतीजा अराजकता और जंगल राज से ही ताबीर किया जाता है .