अब कांग्रेस तो आजायेगी …मगर ..क्या ?
तारिक अनवर चंपारनी
मुद्दा यह है कि जब काँग्रेस सत्ता में वापस लौटेगी तब क्या करेगी? क्या आरएसएस जैसे संगठन बेन करेगी ?क्या पार्लियामेंट की गैलरी से वीर सावरकर की तस्वीर हटा ली जायेगी?
क्या तलाक़ बिल वापस लेगी? क्या गौ-माँस सेवन पर लगे बैन को वापस लेगी? क्या एनआरसी में बदलाव करेगी? क्या नागरिकता अधिनियम में कुछ सुधार होगा? क्या औरंगजेब रोड, मुगलसराय और हज़रतगंज का नाम पुनः वापस लिया जायेगा? क्या संसद में विधेयक लाकर सवर्ण आरक्षण को ख़त्म किया जायेगा?
यदि हम पिछले अनुभवों के आधार पर बोले तब यकीनन यह कह सकते है कि कुछ बदलाव होने नहीं जा रहा है। फ़िर सत्ता में काँग्रेस आये या भाजपा आये इसबात से क्या फ़र्क़ पड़ता है? मैं जहाँ तक समझ पाया हूँ वह यह कि आरएसएस भाजपा और काँग्रेस को अलग-अलग समय पर इस्तेमाल करती है।
भाजपा के उग्र चरित्र का प्रयोग करके व्यवस्था(पालिसी) के स्तर पर बड़े बदलाव करती है। जब स्थिति बहुत अव्यवस्थित हो जाती है तब विकल्प के रूप में काँग्रेस को लेकर आती है। भाजपा जहाँ पर छोड़कर जाती है काँग्रेस उस स्थिति को बनाकर रखती है। काँग्रेस के आने से यह होता है कि जनता को लगता है कि स्थिति सामान्य है।
जबकि स्थिति जस-तस बनी रहती है जहाँ पर भाजपा छोड़कर जाती है। कुछ दिनों तक काँग्रेस स्थिति को सामान्य बनाकर रखती है तब अचानक आरएसएस के लोग भाजपा को प्रोजेक्ट करके सत्ता में बैठाती है। फिर अचानक बड़े-बड़े बदलाव करती है। इसतरह से आरएसएस ने इस देश मे हिंदुत्व के एजेंडा को स्थापित किया है।
हम काँग्रेस को तब स्वच्छ मानते जब भाजपा के द्वारा किये गए व्यवस्था बदलाव में कुछ बदलाव करके लोगों को राहत पहुँचाया जाता। यदि आज महात्मा गाँधी की फ़र्ज़ी हत्या की वीडियो सामने आरही है तब इसकी जिम्मेदार भी काँग्रेस है। क्यों न संसद में विधेयक लाकर बापू के हत्यारे को राष्ट्रीय अछूत एवं आतंकवादी घोषित कर दिया गया?
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