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CRPF क़ाफ़िले पर आतंकी हमला ,40 से ज़्यादा जवान शहीद

CRPF क़ाफ़िले पर आतंकी हमला ,40 से ज़्यादा जवान शहीद

जम्मू-कश्मीर : पुलवामा में आतंकी हमले में सीआरपीएफ़ के 34 जवान मारे जाने की ख़बर

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले में चरमपंथियों द्वारा आईईडी धमाका कर सीआरपीएफ़ के काफिले को निशाना बनाया. इस हमले में 34 जवान मारे जाने का समाचार है और कई घायल बताये जा रहे हैं. मृतकों की संख्या और बढ़ने की भी आशंका जताए गयी है .

सीआरपीफ़ के जवानों की बस श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर लेथपोरा रास्ते से जा रही थी तभी चरमपंथियों ने बस को निशाने पर लेकर धमाका किया. इस बस में 44 जवान सवार थे.

300 किलोमीटर का यह राजमार्ग रणनीतिक रूप से काफ़ी अहम है और हमेशा सुरक्षाबलों की चौकसी रहती है. ज़ख़्मी जवानों को श्रीनगर के सेना हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है.

इस राजमार्ग पर गाड़ियों की आवाजाही रोक दी गई है और पूरे इलाक़ों में हमलावरों को खोजने का काम चल रहा है.

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मरने वाले सीआरपीएफ़ सभी के जवान 54 बटालियन के थे. बताया गया है की अधिकतर बिहार राज्य के रहने वाले थे .आईईडी धमाका इतना जबर्दस्त था कि बस लोहे के छोटे छोटे टुकड़ों में बदल गयी . सीआरपीएफ़ (ऑपरेशन) के आईजी ज़ुल्फिक़ार हसन का कहना है, ”इस काफ़िले में कुल 70 गाड़ियां थीं और इनमें से एक गाड़ी हमले की चपेट में आ गई. यह काफ़िला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था.”

प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की ज़िम्मेदारी ली बताया जा रहा है .
जैश-ए-मोहम्मद के प्रवक्ता मोहम्मद हसन ने एक बयान जारी कर कहा है कि आदिल अहमद उर्फ़ वक़ास कमांडो ने इस हमले को अंजाम दिया है. वक़ास कमांडो पुलवामा ज़िले का रहने वाला ही बताया जा रहा है.

इस हमले पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के सभी नेताओं ने अपना शोक प्रकट किया है .इस दुःख के अवसर पर शोक जताते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, ”पुलवामा में जो आतंकवादी हमला हुआ है जिसमें हमारे जवान शहीद हुए हैं, इसकी वजह से हम ये अनुचित समझते हैं कि हम अभी राजनीतिक चर्चा करें. मैं सभी से आग्रह कंरूगी कि दो मिनट का मौन धारण करके शहीदों को श्रद्धांजलि दें. प्रियंका ने कहा की हम और देश इस दुखद घड़ी में शहीदों के परिवार के साथ है , और हम आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.”

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प्रशासन का कहना है कि यह काफ़िला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था. इन जवानों को आगामी संसद और विधानसभा चुनाव से पहले श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर ज़िलों में तैनात किया जाना था. जान गंवाने वाले अधिकतर जवान बिहार के रहने वाले थे.

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