वरिष्ठ पत्रकार रामिश की अचानक मौत पर दुःख का माहौल, सरकार से मुआवज़ा देने की उठी मांग
मशहूर टीवी पैनलिस्ट व एडवोकेट रईस अहमद ने वर्किंग जर्नलिस्ट गाइडलाइन्स-2023 के मुताबिक़ 5 लाख का सरकारी मुआवज़ा परिवार को अदा करने का किया आव्हान
नई दिल्ली।मरहूम रामिश अहमद के इंतक़ाल पर टाइम्स ऑफ़ पीडिया की पूरी टीम उनके परिवार के इस ग़म में शरीक है . और हम उनकी मग़फ़िरत के साथ परिवार के बेहतर मुस्तक़बिल की तमन्ना और दुआ करते हैं .
सीनियर जर्नलिस्ट और अधिवक्ता रईस अहमद ने खुसूसी तौर से रामिश अहमद के इंतक़ाल पर अपनी ख़िराज इ अक़ीदत पेश करते हुए उनके परिवार के बेहतर मुस्तक़बिल और उनको मुआवज़ा दिलाये जाने के लिए अपने सहयोग का भी वादा किया है .
देश में मीडिया लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के तौर पर समाज को जागरूक करने में जो भूमिका निभाता है वो किसी से छिपा नहीं है, और इसकी कार्यप्रणाली में एक जर्नलिस्ट या पत्रकार के योगदान को नज़रअंदाज़ करना नामुमकिन है।
देश की आज़ादी की लड़ाई में शहीद होने वाले मौलवी मोहम्मद बाकर पहले पत्रकार थे जिनकी क़ुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
गौरतलब है कि इन्हीं संघर्षों के चलते संसद द्वारा वर्किंग जर्नलिस्ट एंड अदर न्यूज़पेपर एमलोईज़ एक्ट-1955 पास कर भारत में लागू किया गया था।
इसी के मद्देनज़र वर्ष 2023 में सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रायल द्वारा पत्रकारों के लिए आकस्मिक हादसे के बाद तुरन्त राहत देने के लिये गाइडलाइन लागू की गई।
जिसके मुताबिक़ किसी भी वर्किंग जर्नलिस्ट की दिल का दौरा पड़ने या इसी तरह की किसी अन्य बीमारी से अचानक मौत होने पर परिवार को तुरन्त 5 लाख रुपये के मुआवज़े का प्रावधान किया गया।
गौरतलब है कि वर्किंग जर्नलिस्ट सरकार द्वारा (पीआईबी/डीआईपी) मान्यता प्राप्त हो या ग़ैर मान्यता प्राप्त, दोनों को ही यह मुआवज़ा देने का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा क़ानूनी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पत्रकार के घायल या अपंग होने पर भी तीन लाख रुपये तक के मुआवज़े का प्रावधान इसके तहत रखा गया है।
हाल ही में दिल का दौरा पड़ने से सीनियर फ़ोटो जॉर्नलिस्ट मोहम्मद रामिश की हुई मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मशहूर एडवोकेट /सीनियर जर्नलिस्ट रईस अहमद ने, सरकार से तुरन्त उनके परिवार को 5 लाख रुपए का मुआवज़ा अदा करने की मांग की है।
अधिवक्ता रईस अहमद ने मरहूम रामिश के परिवार के अलावा वर्किंग जर्नलिस्ट क्लब के सदस्यों को भी उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने और क़ानूनी सहयोग का भी वादा किया।राईस अहमद भविष्य में पत्रकारों के अधिकारों की लीगल मदद के लिए भी अपना सहयोग देने का इरादा ज़ाहिर करते रहे हैं .
उन्होंने बताया कि रामि बेहद मिलनसार और हँसमुख शख्सियत के मालिक थे, और वकालत से पहले जब मैं मीडिया से जुड़ा हुआ था तब उनसे काफ़ी मुलाकातें होती थीं।
इसीलिये वह इस बात से बख़ूबी वाकिफ़ हैं कि मध्यम या छोटे मीडिया घरानों में काम करने वाले जर्नलिस्ट की आर्थिक स्थिति कैसी होती है।
मरहूम रामिश अपने पीछे परिवार में पत्नी व बच्चे छोड़कर गए हैं बच्चे अभी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। लिहाज़ा मंत्रालय को इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मुआवज़े का इंतज़ाम कर परिवार को सम्मान सहित अदा करना चाहिए जोकि उनका एक संवैधानिक अधिकार भी है।
سینئر صحافی رامش کی ناگہانی موت پر حکومت سے فوری معاوضے کا مطالبہ
مشہور ٹی وی پینلسٹ اور ایڈوکیٹ رئیس احمد نے ورکنگ جرنلسٹ گائیڈ لائنز-2023 کے مطابق خاندان کو 5 لاکھ روپے کا سرکاری معاوضہ ادا کرنے کا مطالبہ کیا۔
نئی دہلی۔ ملک میں جمہوریت کے چوتھے ستون کے طور پر معاشرے کو روشناس کرانے میں میڈیا جو کردار ادا کرتا ہے وہ کسی سے ڈھکا چھپا نہیں اور اس کے کام میں صحافی کے کردار کو نظر انداز کرنا ناممکن ہے۔ مولوی محمد باکر ملک کی آزادی کی جدوجہد میں شہید ہونے والے پہلے صحافی تھے جن کی قربانی کو کبھی فراموش نہیں کیا جا سکتا۔
قابل ذکر ہے کہ ان جدوجہدوں کی وجہ سے ورکنگ جرنلسٹ اینڈ دیگر نیوز پیپر ایمپلائیز ایکٹ 1955 پارلیمنٹ نے پاس کیا اور اسے ہندوستان میں نافذ کیا گیا۔
اس کے پیش نظر سال 2023 میں حکومت کی اطلاعات و نشریات کی وزارت نے کسی حادثاتی واقعے کے بعد صحافیوں کو فوری ریلیف فراہم کرنے کے لیے ایک گائیڈ لائن نافذ کی تھی۔ جس کے مطابق کسی بھی ورکنگ صحافی کی دل کا دورہ پڑنے یا اس جیسی کسی دوسری بیماری سے اچانک موت کی صورت میں لواحقین کو 5 لاکھ روپے کے فوری معاوضے کی فراہمی کا التظام کیا گیا تھا۔
یہ بات قابل ذکر ہے کہ وزارت اطلاعات و نشریات نے دونوں طرح کے ورکنگ صحافیوں کو یہ معاوضہ دینے کا قانونی بندوبست کیا ہے، چاہے وہ حکومت کے ذریعہ (پی آیی بی/ڈی آیی پی ) تسلیم شدہ ہوں یا غیر تسلیم شدہ ہوں۔ اس کے علاوہ صحافی کے زخمی یا معذور ہونے کی صورت میں تین لاکھ روپے تک کے معاوضے کا بھی انتظام کیا گیا ہے۔
لہٰذا اس کے پیش نظر مشہور ایڈوکیٹ رئیس احمد نے سینئر فوٹو جرنلسٹ محمد رامش کی دل کا دورہ پڑنے سے ہونے والی حالیہ موت پر گہرے رنج وغم کا اظہار کرتے ہوئے حکومت سے مطالبہ کیا ہے کہ ان کے اہل خانہ کو فوری طور پر 5 لاکھ روپے کا معاوضہ ادا کیا جائے۔ لواحقین کے علاوہ ورکنگ جرنلسٹ کلب کے ذمہ داران کو بھی معاوضے کے حصول کے لیے ہر قانونی تعاون دینے کا ایڈووکیٹ رئیس نے وعدہ کیا ۔
انہوں نے کہا کہ رامش بہت ملنسار اور خوش دل انسان تھے اور جب میں وکیل بننے سے پہلے میڈیا سے وابستہ تھا تو میں ان سے بہت ملتا تھا۔ اس لیے درمیانے یا چھوٹے میڈیا ہاؤسز میں کام کرنے والے صحافیوں کی مالی حالت سے بخوبی واقف ہوں ۔ مرحوم رامش اپنے پیچھے اہلیہ اور بچے چھوڑ گئے ہیں بچے ابھی تک تعلیم حاصل کر رہے ہیں۔ اس لیے وزارت کو چاہیے کہ وہ اس معاملے کا از خود نوٹس لے اور معاوضے کا انتظام کرے اور لواحقین کو باعزت طریقے سے ادا کرے جو ان کا آئینی حق بھی ہے۔