सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बीएच लोया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ तमाम रिकार्ड मांगे
नई दिल्ली: CJI के मामले में सुप्रीम कोर्ट के विवाद पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के जजों के ऐतराज को पूरी बेंच सुने. उन्होंने प्रेस से यह भी कहा कि जज बीएच लोया की मौत के केस की इन्साफ के साथ जांच होनी चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने जो सवाल उठाए हैं,और चिंता व्यक्त की है , यह बहुत गंभीर मामला है तथा इस पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए. न्यायाधीश लोया की मौत के मामले की उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश से पूरी जांच कराई जानी चाहिए.
जस्टिस बीएच लोया की संदिग्ध मौत की जांच का मामला राजनैतिक तौर पर संवेदनशील है. याद दिलादें जस्टिस लोया की 2014 में अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई थी और वे सोहराबुद्दीन फर्ज़ी एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे. इसलिए लाया की अचानक मौत पर शक किया जारहा है कहीं अमित शाह ने तो उनकी हत्या नहीं करादी हो .
इससे पूर्व आज सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जस्टिस देश के इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने आए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है. यदि संस्था को ठीक नहीं किया गया, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस जे चेलामेश्वर ने जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के साथ मीडिया से बात की. जस्टिस चेलामेश्वर का आरोप है कि चीफ जस्टिस जिन खास महत्व वाले मामलों को अपनी पसंदीदा बेंचों को भेज रहे थे
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने आज सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ प्रकरण की सुनवाई कर रहे सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बीएच लोया की रहस्यमय हालत में हुई मौत को एक गंभीर मुद्दा बताया. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि इस मामले में 15 जनवरी तक वह जवाब दाखिल करे.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एमएम शांतानौडर की पीठ ने कहा, ‘‘यह गंभीर मामला है. हम चाहेंगे कि महाराष्ट्र सरकार के वकील निर्देश प्राप्त करें ओर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा अन्य रिकार्ड 15 जनवरी तक पेश करें.’’ कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला के वकील वरिन्दर कुमार शर्मा ने कहा कि यह एक संवेदनशील मुकदमे की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश की एक दिसंबर, 2014 को रहस्यमय मृत्यु का मामला है जिसकी स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है. पीठ ने कहा कि राज्य सरकार 15 जनवरी तक जवाब दायर करे और मामले को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.