रफ़्ता रफ़्ता आप पार्टी के मुद्दों का भी साम्प्रदायिकरण होता देख जनता की बेचैनी बढ़ने लगी
Ali Aadil Khan
Editor’s Desk
दिल्ली के 2013 विधान सभा चुनाव में ‘आप ‘ का नोटों पर लक्ष्मी और गणेश का चुनावी मुद्दा होता तो अरविन्द केजरीवाल अभी भी अपने कार्यालय में झाड़ू ही लगा रहे होते .
उस वक़्त Corruption Free भारत , जन लोकपाल बिल और सामाजिक न्याय जैसे बड़े और बुनयादी मुद्दों को जनता ने वोट किया .और दिल्ली के तीनो चुनावों में विकास और समाजिक न्याय के मुद्दों पर जनता आप को चुनती रही . रफ़्ता रफ़्ता आप पार्टी के मुद्दों का भी साम्प्रदायिकरण होता देख जनता की बेचैनी बढ़ने लगी .
जिस वर्ग ने आप को प्रचंड बहुमत दिलाकर दिल्ली का सुल्तान बनाया . अरविन्द केजरीवाल उनके ही बुनयादी मुद्दों को छूने से बचने लगे . और कहा गया की हमारे लिए किसी समुदाय के मुद्दे अहम् नहीं बल्कि आम जनता के मुद्दे अहम् हैं .
बात किसी हद तक सही भी है . लेकिन एक समुदाय जो दूसरी सरकारों के दौर में साम्प्रदायिकता या पक्षपात का शिकार था वो ‘आप’ से उम्मीद लगा रहा था कि शायद यहाँ हमको इंसाफ और सहयोग मिलेगा . लेकिन मामला यहाँ भी वही , बल्कि कुछ और भी आगे निकलने की कोशिश में दिखाई दी अरविन्द की ‘आप’ पार्टी जैसे ….
शाहीन बाग के बाद दिल्ली में भड़की हिंसा को ‘आप’ ने रोहिंग्या मुसलमानों पर मढ़ दिया था और मुसलमानों के बारे में कही गईं बेहूदा बातों और आरोपों के बारे में तरदीदी एक शब्द भी नहीं कहा.
बिलकिस बानो के बलात्कारियों को जेल से जल्दी रिहा किए जाने के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल सरकार में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने छूटते ही कहा कि ‘‘यह उनके लिए मुद्दा नहीं है” . जब गुजरात के खेड़ा में मुसलमानों को खंभे से बांधकर पीटा गया तब भी केजरीवाल चुप्पी साधे रहे.
केजरीवाल के प्रतिगामी दृष्टिकोण का सबसे बड़ा उदाहरण था राजेन्द्रपाल गौतम मामले में उनकी प्रतिक्रिया . राजेन्द्रपाल गौतम, जो कि ‘आप’ सरकार में मंत्री थे, उन्होंने हजारों अन्य दलितों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था और अम्बेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं लीं थीं .
इसके बाद भाजपा ने गुजरात में यह प्रचार करना शुरू कर दिया कि केजरीवाल हिन्दू विरोधी हैं. इसके जवाब में केजरीवाल, जो राजनैतिक चालबाजियों में माहिर हैं, ने यह बयान दिया कि नोटों पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर छापी जानी चाहिए.
दिल्ली दंगों में ‘आप ‘ की भूमिका देश के सामने रही है , जिस तरह दिल्ली में तीन दिन तक दंगाई और समाज दुश्मन घरों और बाज़ारों को जलाते रहे . मौत का तांडव होता रहा और दिल्ली CM और उनका पूरा cabinet खामोश मूकदर्शक बना रहा .
बीजेपी सांसद और नेताओं व् नेत्रियों के भड़काऊ बयानों के चलते दिल्ली के कुछ नौजवान देखते ही देखते सड़कों पर उतर आये , और दंगे भड़क गए . इन दंगों के बाद होने वाली अल्पसंख्यक समुदाय की बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारियां और ख़ास तौर से आप ‘ के एक पार्षद ताहिर हुसैन का मामला जो काफ़ी चर्चित रहा .
ये सब घटनाएं इस बात की तरफ़ इशारा करती हैं कि अरविन्द केजरीवाल अभी अपने राज्यों में जनता को स्कूल , बिजली और पानी की सुविधाएँ देने को प्राथमिकता देना चाहते हैं .लेकिन उनका सांप्रदायिक सोहाद्र और एकता अखंडता , और सामाजिक ताने बाने को बनाये रखने में उनकी कोई दिल चस्पी नहीं है .
जबकि दूसरी तरफ़ अरविन्द केजरीवाल 370 हटाए जाने पर बीजेपी को संसद में सहयोग देते हैं . दिल्ली के नागरिकों को अयोध्या यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराते है . अल्पसंख्यक और वंचित समाज पर होने वाले किसी भी ज़ुल्म के ख़िलाफ़ कोई आवाज़ नहीं उठाते हैं . जैसे इन मुद्दों पर ख़ामोशी उनकी Policy का हिस्सा हो .
बीजेपी और आप ‘ में धार्मिक स्तर पर एक समानता यह है कि दोनों ही अल्पसंख्यकों को सुविद्धाओं के नाम पर अनदेखा करते हैं .हालाँकि धर्म अपनी अपनी आस्था और श्रद्धा के हिसाब से चलना चाहिए .लेकिन …..
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान 11 मई को राजकोट में आयोजित एक सभा में ये बातें कही कि …..
“एक बूढ़ी अम्मा मेरे पास आईं. आकर धीरे से मेरे कान में कहा, बेटा अयोध्या के बारे में सुना है ?”
मैंने कहा, “अयोध्या जानता हूं अम्मा. वही अयोध्या न जहां भगवान राम का जन्म हुआ था?”
वो बोलीं, “हां वहीं अयोध्या. कभी गए हो वहां पर?”
मैंने कहा, “हां गया हूं. रामजन्मभूमि जाकर बहुत सुकून मिलता है.”
वो बोलीं, “मैं बहुत ग़रीब हूं. गुजरात के एक गांव में रहती हूं. मेरा बहुत मन है अयोध्या जाने का.”
मैंने कहा, “अम्मा आपको अयोध्या ज़रूर भेजेंगे. AC (एयर कंडीशनर) ट्रेन से भेजेंगे. AC होटल में ठहराएंगे. गुजरात की एक बुज़ुर्ग और माताजी को हम अयोध्या में रामचंद्रजी के दर्शन कराएंगे.”
“मां एक ही विनती है. भगवान से प्रार्थना करो कि गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बने.”
उस दौरान केजरीवाल ने कहा था कि, “एक योजना के तहत हम दिल्ली के वरिष्ठ नागरिकों और बुज़ुर्गों को मुफ़्त में तीर्थयात्रा करवाते हैं. हरिद्वार, ऋषिकेश, शिरडी सांई बाबा, मथुरा, वृंदावन, रामेश्वरम, अयोध्या जैसे 12 तीर्थस्थलों की यात्रा करवाते हैं.”
तब हिंदुओं के अलावा किसी भी अन्य धर्मस्थलों का केजरीवाल ने ज़िक्र नहीं किया था.
यहाँ हिन्दू धार्मिक स्थलों या श्रद्धालुओं को सुविधाएँ देने से किसी को शिकवा नहीं , वो ज़रूर दें बल्कि इससे ज़्यादा दें लेकिन किसी राज्य के मुखिया की हैसियत सभी धर्मों और वर्गों को बराबरी की नज़र से देखा जाना चाहिए . तो यह सुशांसन का प्रतीक होगा .
अन्यथा देश के बहुसंख्यक की आस्था और उनके जज़्बात से खेलने का काम तो बीजेपी भी कर ही रही है . यह अलग बात है कि भुकमरी , बेरोज़गारी के भी सबसे ज़्यादा बहुसंख्यक ही शिकार हुए हैं इनके राज में .