शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सौ दिन के राष्ट्रव्यापी पठन अभियान- पढ़े भारत का आज शुभारंभ किया। यह अभियान राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 के अनुरूप है जो बच्चों के लिए आनंदपूर्ण पठन संस्कृति को बढ़ावा देने पर बल देती है। इसके लिए समुचित आयुवर्ग के बच्चों के पढ़ने के लिए उनकी मातृभाषा, क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं में पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
पठन अभियान का उद्देश्य बच्चों, शिक्षकों, अभिभावकों, समुदाय और शैक्षणिक प्रशासकों समेत राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सभी पक्षों की भागीदारी जरूरी है। श्री प्रधान ने एक ट्वीट में कहा कि पुस्तकें पढ़ना एक स्वस्थ आदत है और ज्ञानात्मक भाषा तथा सामाजिक कौशल विकसित करने का एक अद्भुत तरीका है।
इस अभियान से विद्यार्थियों के सीखने के स्तर में सुधार के महत्वपूर्ण कदम की शुरूआत होती है क्योंकि इससे सृजनता, आलोचनात्मक सोच, शब्दावली और मौखिक तथा लिखित रूप में अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित होती है। इससे बच्चों को अपने आस-पास के वातावरण और वास्तविक जीवन की स्थिति से जुड़ने में मदद मिलेगी। बालवाटिका से आठवीं कक्षा तक के बच्चे इस अभियान के अंग होंगे। अभियान के दौरान प्रति सप्ताह प्रत्येक समूह के लिए एक गतिविधि निर्धारित होगी, जिसके अंतर्गत आनंदपूर्ण पठन और इससे आजीवन संबंध विकसित किए जाने पर बल दिया जाएगा। बच्चे अपने शिक्षकों, अभिभावकों, भाई-बहनों या परिवार के अन्य सदस्यों की सहायता से गतिविधि कर सकेंगे। पठन अभियान इस वर्ष दस अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा।
सौ दिन का पठन अभियान भारतीय भाषाओं पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करेगा और इस बारे में 21 फरवरी को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को अभियान के साथ जोड़ा गया है। इस दिन देश भर में “कहानी पढ़ो अपनी भाषा में” गतिविधि कराई जाएगी और इसके लिए बच्चों को अपनी मातृभाषा और स्थानीय भाषा में पढ़ने को प्रेरित किया जाएगा।
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