[t4b-ticker]
[]
Home » Editorial & Articles » देश में मुस्लिम सियासी जमातों का इत्तिहाद क्यों है ज़रूरी देश के लिए
देश में मुस्लिम सियासी जमातों का इत्तिहाद क्यों है ज़रूरी देश के लिए

देश में मुस्लिम सियासी जमातों का इत्तिहाद क्यों है ज़रूरी देश के लिए

अकेले बूँद हैं और मिल जायें तो सागर ,अकेले धागा हैं और मिल जायें तो चादर

यूँ तो पूरे देश में सभी वर्गों , समुदायों और जातियों के बीच एकता और अखंडता ज़रूरी है , तभी देश अखंड बन पायेगा , लेकिन यहाँ हम मुस्लिम सियासी जमातों का मुत्तहिद होना क्यों ज़रूरी इसपर रौशनी डालेंगे . और 100 % यक़ीन से कह सकते हैं अगर इस फॉर्मूले पर अमल हुआ तो हमारा देश विकसित देशों की फेहरिस्त में टॉप पर होगा .

Ali AAdil Khan Editor’s Desk

मुस्लिम रहनुमा कहते हैं , मुसलमानो मोत्तहिद हो जाओ. मगर खुद एक दर्जन रहनुमा आज तक मोत्तहिद न हो सके , काश मुस्लिम लीडरशिप मुत्तहिद होजाये और इन्साफ और हक़ को ज़िंदा करे तो पूरा देश विकसित और खुश हाल होजायेगा .क्योंकि देश की 80 % जनता शांति अम्न और प्यार तथा इन्साफ चाहती है .और यह ज़िम्मेदारी खैर ए उमम के लीडरान की है की वो धरती पर अम्न शान्ति और इंसान और उनके अधिकारों की सुरक्षा को ज़िंदा करे .

देश में पिछले ३० वर्षों से लगातार सियासी गठबंधन का माहौल है , आज भारत में धर्म , जाती या व्यक्ति विशेष की लीडरशिप लगभग ना मुमकिन है , क्षेत्रीय पार्टियों के साथ केंद्र का गठबंधन एक कामयाब तजुर्बा है .भारत के संघीय ढाँचे (Federal Structure ) में Single Religious Politics (SRP) आज के भारत में नामुमकिन है , SRP देश को तोड़ तो सकती है लेकिन जोड़ने का , तसव्वुर भी नहीं किया जा सकता .

जो मुस्लिम Leaders भारत में मुस्लिम पॉलिटिक्स की बात करते हैं वो तुष्टिकरण और बंटवारे की राजनीती का हिस्सा है , क्योंकि किसी भी मुस्लिम सियासी पार्टी के मैनिफेस्टो में इस्लामी क़वानीन का ज़िक्र नहीं है , और इस्लामी क़वानीन की जब हम बात करते हैं तो वो मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि तमाम इंसानों के लिए है . जिस हुकूमत या स्टेट में किसी ख़ास वर्ग या समुदाय के हितों का ही ख़ास ख्याल रखा जाए और बाक़ी के साथ ना इंसाफ़ी या ज़ुल्म है तो ऐसी प्रथा समाज और इंसानियत को बांटने वाली ही हो सकती है , जिसके बाद विकास एकदम ना मुमकिन है .

अगर धरती पर मुस्लमान खुद को रब का खलीफा या सच्चा बंदा कहता है तो उसको पूरी इंसानियत के साथ , बल्कि पूरी सृष्टि के साथ इन्साफ और बराबरी तथा निष्पक्षता का भाव रखना होगा , अभी तो मुस्लमान खुद अपने घर में ही इन्साफ नहीं कर पाता , तो पूरी इंसानियत इसपर कैसे भरोसा करेगी .

हमारा मक़सद है मुसलमान सियासी पार्टियों के रहनुमा एक सच्चे मुस्लमान की शक्ल में अपना किरदार अदा करते हुए पहले अपनी जमातों और गिरोहों में एकता लाएं फिर देश और दुनिया में एकता अम्न , और इन्साफ ज़िंदा करने के लिए खुद आगे आएं , और नबी SAW वाला किरदार , अख़लाक़ , मामलात और सुलूक पेश करें , तथा खिदमत और मोहब्बत को अपना मक़सद बनायें .

मसला यह है की हम दूसरों से भलाई ,सच्चाई , इंसाफ़ और अख़लाक़ की उम्मीद रखते हैं जबकि खुद इस फॉर्मूले पर अमल नहीं करते , तो इससे मसला हल नहीं हो सकता .आज यही हाल कमो बेश हमारी सियासी और मिल्ली जमातों का भी है . इसी लिए हर तरफ ना कामी और ज़लालत है .अगर ग़ैरों की कामयाबी को मैयार बनाते हो , तो 100 % शैतानी गिरोह के साथ रहो तो शैतान तुम्हारी मदद कर देगा , क्योंकि बहुत सी ताक़त रब ने शैतान को जन्नत से निकाले जाने पर मुआवज़े के तौर पर दे रखी है , जो क़यामत के बाद सलब कर ली जायेगी (छीन ली जाएंगी) .और अगर हमेशा की कामयाबी चाहते हो तो रब की मदद हासिल करने के लिए हुकूमत में भी उसके रसूल SAW की पैरवी करो जहाँ दुश्मन के साथ भी ना इंसाफ़ी की कल्पना भी नहीं था

READ ALSO  क्या खुशियां, प्लानिंग और मैनेजमेंट से आती हें??

मुसलमानों के साथ छल का इतिहास आज़ाद भारत में

मुस्लमानो ने सेक्युलरिज्म के नाम पर 1947 से 1975 तक बिना शर्त कांग्रेस का साथ दिया, 1977 में जय प्रकाश नारायण की लीडरशिप में जनता पार्टी बनी जिसमे RSS की साऱी तंज़ीमें शामिल थी और मुस्लमानो ने बिना शर्त जनता पार्टी का साथ दिया.

1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की लीडरशिप में जनता दल और BJP के साथ समझौता हुआ और मुस्लमानो ने बिना शर्त जनता दल और BJP का साथ दिया,पश्चिम बंगाल में,C.P.M. और C.P.I.को मुस्लमानो ने बिना शर्त इनका साथ दिया और अब ममता दी को भी ,आंध्र प्रदेश में तेलगुदेशम पार्टी को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी मायवती और मुलायम सिंह को बिना शर्त साथ देकर CM बनाया , बिहार में लालू प्रसाद और नितीश कुमार को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया.

इसी तरह आसाम में कांग्रेस और आसाम गणपरिषद को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,तमिल नाडु में जय ललिता और करुणा निधि को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,कर्नाटका में कांग्रेस और देवेगौड़ा को मुस्लमानो ने बिना शर्त सत्ता में बिठाया .मध्य प्रदेश,राजस्थान,गुजरात,महाराष्ट्र में कांग्रेस को मुस्लमानो ने बिना शर्त साथ दिया,मगर सभी ने मुस्लमानो को सिर्फ वोट बैंक से जयादा कुछ नही समझा.

सच्चाई यह है कि जो वर्ग और समुदाय 70 वर्ष पूर्व जिस हालत में थे आज भी लगभग उसी हाल में हैं मुस्लमानो ,और सभी वंचित तथा पछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन के ज़िम्मेदार जहाँ एक ओर उपरोक्त सभी सियासी पार्टियां रहीं वहीँ सभी पिछड़ी क़ौमों के लीडरान उन सबसे बड़े ज़िम्मेदार हैं और ग़द्दार भी l ख़ास तौर से मुसलमानो के सामाजिक ,आर्थिक तथा शैक्षिक पिछड़ेपन की रिपोर्ट खुद कांग्रेस हुकूमत सच्चर कमीटी के माध्यम से पेश कर चुकी है . कोई छुपी ढकी बात नहीं है .

कोई मुर्ख बनाकर मुस्लमानो और वंचित समाज का वोट लेता रहा , कोई TADA , POTA ,NSA ,मीसा या UAPA जैसे क़ानूनों का खौफ दिखाकर कर तो कोई दंगा फसाद और RSS से डरा कर वोट झपटता रहा , और हद तो जब हो गयी जब BJP और RSS ने देश में अनोखा Narrative पेश किया कि हिन्दुओं तुम यदि BJP को वोट नहीं करोगे तो मुसलमान , दलित और कम्युनिस्ट तुमको तबाह करदेंगे , तुम्हारे घरों को लूट लेंगे तुम्हारी औरतों की बेइज़्ज़ती करेंगे इत्यादि , कितना भोंडा मज़ाक़ है यह सब देश की जनता के साथ । जिसके लिए पार्टियों के साथ जनता भी बराबर की ज़िम्मेदार है .

READ ALSO  कर्तव्य पथ कहाँ जाता है ..........जी ? मुसलमान को सेवक ए हिन्द का ख़िताब किसने दिया Part 2

राष्ट्र सर्वोपरि है , और राष्ट्र नागरिकों से है यानी जनता से ही बनता है , जनता का विकास ही देश का विकास है , देश के ख़ास वर्ग या समूह का विकास राष्ट्र का विकास नहीं बल्कि वो तो पाखण्ड है और राष्ट्र के साथ धोखा है ,आजका सक्षम वर्ग वो वर्ग है जो राजनेताओं के बराहे रास्त (प्रत्यक्ष रूप से ) संपर्क में रहता है या यूँ कहें कि उनकी गणेश परिकर्मा करता है , जिनको आप लोग चापलूस या चाटुकार कहते हैं ऐसे नागरिकों की संख्या सिर्फ 8 से 10 % है , इसी को एक सक्षम नागरिक की सुविधाएं उपलब्ध हैं बाक़ी सब अपनी ज़िन्दिगियों को जीने का लगातार परिश्रम कर रहे हैं , यह है देश का सियासी और सामाजिक सच अब जो इस सच्चाई को नकारता है वही राष्ट्र द्रोही है .

तुम हरगिज़ जन्नत में न जा सकोगे मियां जी,

इन सब हालात में सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी मुस्लिम लीडरशिप की इसलिए बनती है कि वो नबी आख़िरुज़्ज़मां को अपना आइडियल और पेरू मानता है , और नबी का फरमान का मफ़हूम है , “वो हरगिज़ जन्नत में न जा सकेगा जो ज़ुल्म और ना इंसाफ़ी को ताक़त होने के बावजूद न रोके” अगर रब चाहे तो …….जबकि आज हर तरफ सियासी और समाजी निज़ाम में सिर्फ ना इंसाफ़ी और ज़ुल्म है ,पूंजीवाद और सामंतवाद का बढ़ावा है .अब जिसको आख़िरत के दिन का यक़ीन है वो इस पर ग़ौर करले .

देश में एक तंज़ीम है जो पिछले 9 वर्षों से निज़ाम ए अम्न और निज़ाम ए इत्तिहाद व् इंसाफ़ लाने की कोशिश कर रही है और उसके ज़िम्मेदारान तमाम मुस्लिम लीडरों से मुलाक़ात भी कर रहे हैं किन्तु सियासी व मिल्ली जमातों के रहनुमा इत्तिहाद की इफ़ादियत और Importence को समझते हुए भी इत्तिहाद की इस कोशिश का हिस्सा नहीं बन रहे हैं ,इसीलिये सब सियासी और मिल्ली तंज़ीमें और पार्टियां अपनी अपनी डफलियाँ बजाने में वक़्त बर्बाद कर रही हैं और नक़्क़ार खाने में तूती की आवाज़ कहीं सुनाई भी नहीं पड़ रही .

मुद्दे की बात का ख़ुलासा

देश में मुस्लिम सियासी जमातों का इत्तिहाद इसलिए ज़रूरी है की इसके बाद Assemblies और Parliament में चुनकर इनके नुमाइंदे आएंगे और मज़लूम क़ौम के इन लीडरों की हुकूमत साज़ी में Negotiating Power बढ़ेगी , और वो अपने अपने States के साथ Centre की रहनुमा पार्टियों से भी हर एक वंचित समाज पर ज़ुल्म और ना इंसाफ़ी के ख़िलाफ़ बात करने की Position में होंगे, उसके बाद हुक्मरान जमातें सही फैसले लेने के लिए मजबूर होंगीं .इस तरह समाज से न इंसाफ़ी और ज़ुल्म का खात्मा होगा और जब देश से न इंसाफ़ी और ज़ुल्म का खात्मा होगा तो देश विकास की राहों पर आएगा और आपस में मोहब्बत बढ़ेगी हर वर्ग खुश हाल होगा और देश भी खुश हाल होगा , समाज में अम्न और शान्ति बहाल होगी

जहाँ में अहल ए ईमां सूरत ए ख़ुर्शीद जीते हैं
इधर डूबे उधर निकले उधर डूबे इधर निकले

Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

18 − 15 =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)