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दहेज एक , मसले अनेक

दहेज एक , मसले अनेक


दोस्तों आम तौर पर दहेज को एक बीमारी समझा जाता है जबकि हम आपको आज बताएँगे की इस बीबारी से समाज का बहुत बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है,,,,,,,

आज हम राष्ट्री महिला आयोग के Chairperson रेखा शर्मा जी के खुलासे का भी ज़िक्र करेंगे , और NCRB यानी नेशनल Crime Record Bureau के चौंकाने वाले आंकड़ों पर भी नज़र डालेंगे . और भी इसके अलावा होगा बहुत कुछ ………….

भारत के हिन्दू मुस्लमान दोनों ही समुदायों की यूँ तो कई रसूमात कॉमन हैं , कहीं problems भी एक जैसी हैं तो कहीं त्योहारों में भी कई समानताएं हैं , लेकिन दहेज की लानत ने दोनों ही समुदायों पर गहरा घात किया है .आज हम दहेज़ के कुछ ऐसे पहलुओं पर बात करेंगे जिसका सामने आना ज़रूरी है और दिलचस्प भी …

पहले कुछ फिल्मों का ज़िक्र करलें , 2001 में राजकुमार संतोषी की फिल्म लज्जा आई थी जिसमें दहेज़ की लानत के नतीजों पर एक आंकलन था
उसके बाद 2014 में करण जोहर की फिल्म 2 states बनी ,और 2019 में web series “Made in Heaven , इसके अलावा दर्जनों ऐसे Programmes और Serials बन चुके हैं , जिसके ज़रिये से दहेज को समाज का नासूर बताया गया है . लेकिन नतीजा ठन ठन गोपाल .

अब हम आते हैं राष्ट्रीय महिला आयोग की Chairperson रेखा शर्मा के खुलासों की तरफ
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के अनुसार लोगों को अभी यह ही नहीं पता की दहेज़ एक अपराध है ,उनका कहना था माँ बाप बेटियों के property हुक़ूक़ को भूलकर दहेज़ की लानत को बढ़ावा देते हैं तो यह यह भयानक सामाजिक बुराई को जन्म देते हैं .हमें उम्मीद है महिला आयोग की Chairperson ने अपने बेटे को दहेज़ की लानत से दूर ही रखा होगा ,, पता नहीं यह भी जांच का issue है .वैसे जांच के अधिकतर Issues जांच के पेंच में ही फेज रहते हैं इन्साफ नहीं हो पाता है आप जानते ही हैं ,,,,

दुनिया में दहेज इकलौता एक ऐसा अपराध है जिसकी लोग बाक़ायदा demand करते हैं , यानी Punishable Offence (दण्डनीये अपराध ) जानते हुए भी इसको अंजाम गाजे बाजे के साथ दिया जाता है …… , और यह offence या अपराध दो परिवारों की मर्ज़ी से होरहा होता है ,,, कितना विचित्र है न यह सब . और मज़े की बात यह है की इस शादी के programme में क़ानून के रखवाले , क़ानून बनाने वाले और और क़ानून को Implement करवाने वाली agencies के आला अधिकारी दूल्हा दुल्हन को ,,, और उनके माता पिता को इस जुर्म की मुबारकबाद देकर जाते हैं ,अगर इसमें फ़िज़ूल खर्ची और दहेज की लानत न होती तो खैर थी . और हद्द तो उस वक़्त होजाती है जब धार्मिक गुरु इस अपराध के गवाह बनने पर दक्षणा और नज़राने भी लेकर जाते हैं .

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NCRB के आंकड़े

NCRB की Report के मुताबिक़ देश में हर घंटे एक महिला दहेज़ के लिए या तो मार दी जाती है या ज़ुल्म का शिकार होती है .

NCRB का एक और आत्मा को झकझोर देने वाला DATA सामने आया है , भारत में हर 4 मिनट में एक महिला , ससुराल वालों या पति की तरफ से उत्पीड़न का शिकार हो जाती है .और कभी कभी लड़के को भी दहेज़ की मांग का आरोप लगाकर प्रताणित किये जाने के षड्यंत्र rache जाने के समाचार प्रकाशन में आते ही रहते हैं .

देश का बहु चर्चित हालिया हादसा सामने आय था जिसमें अहमदाबाद की रहने वाली आयशा ने साबरमती नदी में कूद कर जान दे दी थी , और इस वाक़ये ने तो पूरे मुल्क में एक सनसनी पैदा करदी थी और ख़ास तौर से मुस्लिम समाज को झकझोर कर रख दिया था , उलेमा की फ़िक्रों और किसी हद्द तक दहेज़ के सिलसिले में उनके नज़रिये को भी तब्दील कर दिया था इस हादसे ने ,लड़की के घर बरात के नाम से खाने और दावत को जो उलेमा जाइज़ क़रार दे रहे थे वो भी अब निकाह के दिन के खाने को नाजाइज़ और हराम कहने लगे थे . लेकिन इस तरह के वाक़ियात कुछ रोज़ के लिए असर रखते हैं , और समाज को फिर किसी आयशा जैसे हादसे का इंतज़ार रहता है . क्यों नहीं हम लौटते अपने रब और बनाने वाले के हुक्म और रसूल की सुन्नतों की तरफ .

हैदराबाद में डॉ अलीम फ़लकी दहेज़ की इस लानत के खिलाफ लम्बे समय से Mission चला रहे हैं . और दर्जनों शार्ट फिल्म्स , articles ,seminars और जलसों के ज़रिये से अवाम को जागरूक करने का काम कर रहे हैं .उन्होंने दिन और रात की मेहनत से समाज में दहेज को लानत या बुराई तो तस्लीम करा लिया है और लोग इस बुराई को ख़त्म करने की चर्चा करने लगे हैं , साथ ही अब तक सैकड़ों परिवारों ने दहेज , या निकाह में ग़ैर शरई रसूमात वाली शादियों के Boycott का Pledge भी ले लिया है .जिसपर अमल शुरू होगया है . Times Of Pedia Group डॉ अलीम फ़लकी की कोशिश को सराहते हुए उनके साथ मुहीम को आगे बढ़ाने की शपथ लेता है .

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शादियों में लाखों ,करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद बेटी या बहिन के ससुराल में खुश रहने की कोई Guarantee नहीं होती .बल्कि अल्लाह के रसूल ने उस निकाह को बदतरीन निकाह कहा है जिसमें ज़्यादा खर्च हो या ग़ैर शरई रसूमात हों , आज दहेज़ के अलावा दूसरी ग़ैर ज़रूरी शराइत की वजह से ज़िना आसान और निकाह मुश्किल हो गए हैं .अक़्दे सानी (दूसरी बीवी ) को ऐब समझना और ज़िना को फ़रामोश कर दिया जाना समाज की बड़ी बुराई का सबब है .

जो मुसलमान इसराइल और उसके Products के Boycott का # चलाते हैं , और दुनिया के बेशुमार Products को हराम का फतवा लगाते हैं वो अपने घरों में होने वाली ग़ैर शरई रसूमात और शादियों का Boycott क्यों नहीं करते यह भी तो हराम है , वरासत और जायदाद के बटवारों में इन्साफ क्यों नहीं करते ,यतीमों का माल खाकर सुकून की तलाश करने वाला मुसलमान अपनी ज़िंदगियों के उसूलों को रसूल के तरीके पर लाये , फ़िज़ूल खर्चियों से बचें , इल्म हासिल करें , रब की रज़ा वाले आमाल करें . इंसानो की खिदमत अपना शियार बनायें .दोस्तों लोगों के लिए आसानी पैदा करो सब ठीक होजायेगा .

बेटी की शादी में क़र्ज़ लेने के बाद ज़िंदगी भर क़र्ज़ के बोझ में दबा बाप जब यह सुनता है की ससुराल वालों के लालच का पेट अभी नहीं भरा है और वो उसकी बेटी को तब तक अपने बाप के घर पर रहने के लिए दबाव बना रहे हैं जब तक 5 लाख लेकर नहीं आती .तो अब यह बाप सोचता है काश इसको पैदा होने से पहले ही ख़त्म कर दिया होता , अब यह उस गुनाह को करने की सोचता है जिसको इसने गुनाह समझकर छोड़ दिया था , इस सोच के लिए कौन मजबूर कर रहा है , ज़ाहिर है इसके लिए ज़िम्मेदार हमारा सिस्टम है . जो जुर्म को योग्यता समझकर बढ़ावा देता है , आज जो लोग माँ की कोख से बच्चों को मारने के धमकियाँ देरहे हैं कल वो किसी पार्टी के पदाधिकारी बनाये जायेंगे ,क्योंकि उनको संरक्षण ही सियासी पार्टियों का होता है ,अन्यथा ब्यान Public होते ही जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए इस मुजरिम को , समाज के दुश्मन को ,लेकिन ऐसा नहीं होता हालांकि फिर उसी के समाज के बीच बहिन ,बेटियों को दहेज़ के लिए ही आग लगाई जा रही होती है , और बेचारी महिला को ही भुगतना पद रहा होता है .

दोस्तों झुलसते और बिलकते इस समाज को हर बुराई से पाक करने के लिए आपको ही आगे आना होगा , देश का सामाजिक तथा साम्प्रदायिक सद्भाव का ताना बाना बनाये रखना होगा अन्यथा एक रोज़ यह लानत आपको भी अपना शिकार बनाएगी. शुक्रिया

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