[t4b-ticker]
[]
Home » Editorial & Articles » चाकू का चलन आम हुआ तो ……
चाकू का चलन आम हुआ तो ……

चाकू का चलन आम हुआ तो ……

Ali Aadil khan 

Editor’s Desk 

दोस्तों किसी भी संवैधानिक पद पर बैठने से पहले शपथ ली जाती है . उस प्रतिज्ञान का प्ररूप या इबारत कुछ इस तरह होती है :-लेकिन यह मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ कि आगे मुझे आपको एक महिला सांसद के भाषण की शैली और भड़काव स्पीच के नतीजों के बारे में बात करनी है .

शपथ का प्रारूप

‘मैं, ईश्वर/खुदा /God की शपथ लेता हूँ, लेती हूँ /सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ करती हूँ कि मैं विधि यानी क़ानून द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा, मैं भारत की प्रभुता (sovereignty) और अखंडता (oneness) अक्षुण्ण यानि (बरक़रार) रखूँगा और जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूँ वाली हूँ उसके कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक यानी ईमानदारी से निर्वहन करूँगा । और मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूँगा/करुँगी .

भगवा वस्त्र धारक महिला सांसद (भगवा वस्त्र धारक जान बूझकर इसलिए कहा कि यह रंग सम्मान , स्नेह और श्रद्धा का प्रतीक हुआ करता था , जिसको बदनाम करने की लगातार कोशिश है .) आपने प्रज्ञा ठाकु का हालिया भाषण सुन ही रखा होगा .

देश मैं इस प्रकार के नफ़रती और भड़काऊ भाषणों के चलते कई सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं . हज़ारों लोगों कि जानें गयी हैं लाखों करोड़ की सम्पत्तियों को आग लगा दी गयी है . लाखों लोग बेघर हो गए हैं .लेकिन नफ़रत का नाटक अभी भी लगातार जारी है .

और एक अजीब बात यह है कि भड़काऊ भाषण के इलज़ाम मैं इसी देश के एक नागरिक को आतंकी बनाकर पेश किया जाता है और उसको देश निकला किया जाता है . जबकि दुसरे वर्ग के लोगों के खिलाफ FIR मैं भी हफ़्तों लग जाते हैं . और गिरफ़्तारी का तो कोई सवाल नहीं .

हालाँकि अगर भड़काऊ भाषण जुर्म है तो सभी के लिए जुर्म होना चाहिए . इसी तरह के दोहरे मापदंडों से जनता का विशवास कम होता है और देश को इसका नुकसान होता है .

संवैधानिक पद पर बैठकर असंवैधानिक भाषा और शैली का प्रयोग और साध्वी भैस में मवालियों वाली ज़बान का इस्तेमाल इंतहाई अफ़सोसनाक और चिंता का विषय है .

अब इस साध्वी सांसद द्वारा दिए गए नफ़रती , असंवैधानिक और भड़काव भाषण से यह बात साफ़ हो जानी चाहिए कि संविधान की शपथ लेकर संसद में आने वाले कई सांसद न तो संविधान पर भरोसा रखते हैं , न प्रशासन पर और न ही न्यायिक प्रणाली पर .

हालाँकि इस महिला सांसद द्वारा ऐसा भड़काव या नफ़रती भाषण कोई पहली बार नहीं दिया गया … खुद इनके द्वारा और इन जैसे कई दुसरे सांसदों द्वारा इस तरह से जनता को भड़काने का काम होता रहा है .. और यह Regular Practice चल रही है .

यदि इन नफ़रती और सांप्रदायिक भाषण देने वालों को सज़ा न दी गयी तो देश इससे कमज़ोर होता जाएगा . लिहाज़ा इसको रोकने केलिए प्रशासनिक स्तर पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए . अन्यथा अदालतों को इस सम्बन्ध में SUO Moto cognizance लेकर इस तरह के चलन को तुरंत रोक लगानी होगी . वरना देश में जंगल राज का चलन बहुत आम हो जायेगा जिससे देश सामाजिक और और आर्थिक संकट गहरा जाएगा .

Please follow and like us:
READ ALSO  A SYSTEMATIC STUDY OF THE HOLY QUR’ĀN

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

seventeen − five =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)