[t4b-ticker]
[]
Home » Events » Poetry/Literature » बादल को पाती लिखी
बादल को पाती लिखी

बादल को पाती लिखी

अटल मुरादाबादी

 

गर्मी से तपती धरा, जन जीवन बेहाल।
तापमान असहज हुआ, रवि की टेढी चाल।।
रवि की ढेढी चाल,करे तांडव अब दिनभर।
ज्यों-ज्यों बढता दिवस,बढ़ाते तेवर दिनकर।।
कहै अटल कविराय,दिखाओ सूरज नर्मी।
जीवन हुआ मुहाल, त्याग दो अपनी गर्मी।।

READ ALSO  आंख अपनी चुराना नहीं चाहिए

बादल को पाती लिखी,मानव ने गुम नाम।
जन-जीवन अब त्रस्त है,बरसो हे घनश्याम।।
बरसो हे घनश्याम, नहीं अब देरी करना।
जल का हुआ अभाव,बहा दो कोई झरना।।
जीव,जंतु, इंसान,हुए गर्मी से पागल।
कहते चंद्र चकोर , बरस जाओ हे बादल!

 

READ ALSO  गिरीश कर्नाड, रामचंद्र गुहा जैसे दिग्गजों की रचनाएं अब हिंदी में.

 

Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

three × 3 =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)