योरोपिय संघ के सांसदों के इस वफ़द की ख़ास बात यह है , इनमें अधिकतर धुर दक्षिण पंथी पार्टियों से सम्बन्ध रखते हैं
पिछले 85 दिनों से जम्मू कश्मीर के 19 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा सके , आज 29 अक्टूबर को 10 वीं और 12 वीं कक्षा के इम्तहान हैं , और संयोग से आज ही वर्ल्ड इंटरनेट डे (29 Oct ) भी है , TEACHER ‘S डे पर MOTHER ‘s डे पर तथा हर एक दिवस पर देश में मुबारकबाद का सिलसिला रहता है लेकिन क्या आज 29 अक्टूबर को हम जम्मू एंड कश्मीर के लोगों को Internet Day की मुबारकबाद दे सकते हैं ,जहाँ इंटरनेट नहीं है , कहाँ मनाया गया इंटरनेट डे हमको नहीं पता किन्तु कश्मीर में इंटरनेट बहाल नहीं है ।
इसके अलावा 15 अगस्त की मुबारकबाद और जश्न ए आज़ादी का त्यौहार वहां नहीं मनाया गया , 2 अक्टूबर की मुबारकबाद नहीं दी गयी जम्मू एंड कश्मीर में , राष्ट्रपिता का जन्म दिन नहीं मनाया गया ,पूरा देश आज़ादी का जश्न मना रहा था और जम्मू कश्मीर की जनता क़ैद ओ बंद की मुश्किलें झेल रही थी।आज़ाद मुल्क का गुलाम प्रदेश।
सरकार में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद जम्मू कश्मीर की योरोपीय संघ के सांसदों की यात्रा के दौरान एक कार्यक्रम में बोल रहे थे कह रहे थे के यह पहली सरकार है जो देश में कम और विदेश में ज़्यादा चलती है अचानक बात अटपटी लगी किन्तु सोचा तो सटीक थी , मोदी जी की विदेश यात्राओं के दौरान जो उनका स्वागत और उनके दौरों की वहां चर्चा होती है वो देखते ही बनती है जबकि देश में तमाम सोशल और आज़ाद मीडिया उनकी विदेश यात्राओं की आलोचना कर रहा होता है , उसपर चुटकुले बन रहे होते हैं।
योरोपिय संघ के सांसदों के इस वफद की ख़ास बात यह ह ै की इनमें अधिकतर धुर दक्षिण पंथी पार्टियों से सम्बन्ध रखते हैं जो अपने अपने देशों में मुस्लिम मुखालिफ नीतियों या इस्लामोफोबिया के आधार पर ही जीत कर आये हैं , यानी दक्षिण पंथियों के इस डेलिगेशन की यात्रा के पीछे के मक़सद को हम अच्छी तरह समझ सकते हैं ।
मदि शर्मा (मधु शर्मा ) नाम की एक महिला द्वारा EU सांसदों का यह TOUR , Women Economic Social Think Tank (WESTT) नाम की एक NGO के तत्वावधान में आयोजित किया गया था और इस पूरे प्रोग्राम की फंण्डिंग IINS (NGO) ने कराई थी । लेकिन EU संघ के सांसदों के जिस समूह को Unofficial या ग़ैर सरकारी कहा जारहा है वो मोदी जी और देश के national security advisor (NSA) से मिल रहे हैं ।
UN कहता है कि हम कश्मीर के मुद्दे को लेकर बहुत चिंतित हैं कि वहां मानवाधिकारों का खुल्लम खुल्ला हनन हो रहा है । UN ने कहा हम भारतीय अधिकारीयों से कहते हैं कि वो हालात को नार्मल करें
सरकार की दोहरी पालिसी एक तरफ तो वो कश्मीर मुद्दे का अन्तर्राष्ट्रीकरण नहीं चाहती है वहीँ दूसरी तरफ युरोपिय संघ के सांसदों का टूर मैनेज कराती है, ताकि दुनिया को यह Impression दिया जा सके की कश्मीर में हालात नार्मल है , सब चंग्या सी , All is Well !!
हालांकि normalcy दिखाने का सबसे सरल और ईमानदारी वाला तरीक़ा यह था कि वहाँ की अवाम से सीधे बात करने के लिए मीडिया को आज़ादी देते कि वो जिससे चाहे बात करें और वहां कि normalcy को दिखाएँ ,किसकी मजाल थी जो हकीकत से हटकर जम्मू कश्मीर की तस्वीर दिखा सकता , जबकि ऐसा नहीं कर पाई केंद्र सरकार ।
कश्मीर में विकास की गति को तेज़ करने के नाम पर, वहां की जनता को रोज़गार के मौके देने और उनके विकास के नाम पर 370 को हटाया गया है अभी इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है , वहां लाखों करोड़ का अब तक का कारोबारी नुकसान हो चूका है , सेब की फसल का किसानो को लाभ नहीं हो पारहा है , लगातार वो बर्बादी की तरफ जा रहे हैं ,विकास और तरक़्क़ी के नाम पर ठगी का खेल कश्मीरियों के साथ जारी है
लद्दाख को कश्मीर से जोड़ने के लिए जो रोड मैप तैयार किया गया था उसपर किसी प्रकार का काम नहीं हो रहा है ,हर एक वादा जुमलों में बदल रहा है , 2002 से कश्मीर का rail project लंबित है इस पर कोई काम नहीं है , Narative कुछ और ही है जिस पर सरकार या संघ कार्यरत है जो देश और कश्मीरियों के लिए किसी भी तरह उचित नहीं है
कश्मीर को भारत से अलग करने वाले आज़ाद घूम रहे हैं और उनके खिलाफ संसद में बोलने वाले ,भारत के पक्ष में बात करने वाले उम्र अब्दुल्लाह और फ़ारुक़ अब्दुल्लाह क़ैद कर लिए गए हैं ,और पूर्व CM तथा बीजेपी की सहयोगी मेहबूबा को भी क़ैद कर उनकी मोहब्बत का सिला मिल रहा है , ये कौनसी सरकारी नीति है भाई । क्या सन्देश है इस सबके पीछे ??
जो भी हो फ़िलहाल तो आज़ाद देश का गुलाम स्टेट बन गया है जम्मू कश्मीर , जिससे राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारी बदनामी के चर्चे हैं । केंद्र सरकार में बैठे लोगों द्वारा खुद अपनी पीठ थप थपाने से हरगिज़ मसला ए कश्मीर हल नहीं हो सकता बल्कि नीयत की खराबी की नहूसत से मसला और उलझ जायेगा ।
अखंड भारत का नारा देने वाले देश को खंडित करने की ओर बढ़ चले हैं ।और आज़ाद देश में अब कई वर्ग , समुदाय और क्षेत्र अब गुलाम बनाये गए हैं , यदि वास्तव में आज़ादी है तो सबसे पहले इंडियन मीडिया को और विपक्ष के नेताओं को केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर के हालात का जायज़ा लेने के लिए भेजने का काम करें ।