एयर होस्टेस गीतिका का बर्बाद परिवार का क्या था जुर्म , क्या इंसाफ़ नहीं मिलेगा पीड़ित परिवारों को ??
आज की सियासत में नैतिकता,सच्चाई और ईमानदारी की बात करने वालों की क्या है गत
Ali Aadil Khan Editor-in-Chief Times Of Pedia (TOP) Group
पता नहीं आपको याद है की नहीं ,2009 में 30 प्रतिशत लोकसभा सदस्यों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले थे। 2014 में इसमें चार प्रतिशत की वृद्धि हो गई है।मज़ीद सितम देखें , 2014 के चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों के जीतने की संभावना 13 प्रतिशत रही, जबकि साफ छवि के प्रत्याशियों के मामले में यह पांच प्रतिशत रह गयी ।
देश की विडंबना देखें , आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 186 नए सांसदों में से 112 ने अपने खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर आपराधिक मामले होने की घोषणा की है।हालाँकि इनको चुनकर जनता ने ही भेजा है ।इसी के चलते यदि कोई इन आपराधिक छवि वाले सांसदों के खिलाफ ज़बान खोले तो कहा जाता है की यह जनादेश का अपमान है ।
विडंबना यह है की जितना बड़ा बदमाश या अपराधी या भ्रष्टाचारी चुनाव के मैदान में आता है उतनी ही ज़्यादा पब्लिक उसके साथ दिखती है ।कुछ को छोड़कर , इसको आप क्या कहेंगे ? जैसा राजा वैसी प्रजा या जैसी प्रजा वैसा राजा ।
चलिए अब ज़रा यह भी देख लें की किस पार्टी में सबसे ज़्यादा आपराधिक छवि के लोग हैं ,सबसे ज्यादा सदस्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं। पार्टी के 281 सदस्यों में से 98 ने अपने शपथ पत्र में अपराधी होने की घोषणा की है , यह आंकड़ा 2014 का है । 2014 में भाजपा ने कुल 282 सीटें जीती थीं , जबकि 2019 में यह संख्या 302 हो गयी ।
2019 में 17वीं लोकसभा के लिए चुनकर आए 542 सांसदों में से 233 (43 प्रतिशत) सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। इनमें से 159 (29 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक अलायंस’ (एडीआर) द्वारा लोकसभा चुनाव परिणाम की जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार आपराधिक मुकदमों से घिरे सांसदों की संख्या में 2009 के बाद से 44 प्रतिशत इजाफा हुआ है।
लेकिन इन्हीं सांसदों में कुछ अच्छे और कुछ बहुत अच्छी छवि के भी सांसद मौजूद हैं , मगर यह देश के संसद की विडंबना है कि आपराधिक मेम्बरों से पार्लियामेंट भरा पड़ा है , उनकी भाषा , उनकी शैली , उनका स्वाभाव, आचरण ,उनके बयानात कुल मिलकर उनकी विचार धारा और मानसिकता दूर दूर तक किसी सभ्य देश के सांसदों की नहीं लगती और इसके लिए वो सांसद ज़िम्मेदार नहीं बल्कि यह जनता ही है जो उनको चुनकर लाती है और बची कसर हमारा निर्वाचन आयोग निकाल देता है जो आज़ाद संसथान की हैसियत से नहीं बल्कि कभी कभी सरकारों में बैठे कुछ नेताओं के अधीन रहत है ।
लेख लिखे जाने के समय तक की खबर के अनुसार गोपाल कांडा के BJP को समर्थन देने के सम्बन्ध में विरोध और चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है , इसी बीच बीजेपी की पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी उमा भारती ने कहा है, ‘मैं बीजेपी से अनुरोध करूंगी कि हम अपने नैतिक अधिष्ठान को न भूलें।’ उन्होंने कहा, ‘हरियाणा में हमारी सरकार जरूर बने, लेकिन यह तय करिए कि जैसे बीजेपी के कार्यकर्ता साफ-सुथरी जिंदगी के होते हैं, हमारे साथ वैसे ही लोग हों।’
मगर उमा जी चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्थाओं की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में चुनकर आने वाले सांसदों में सबसे बड़ी आपराधिक सदस्यों की संख्या बीजेपी के ही नेताओं की यही , इसके आंकड़े सब नेट पर मौजूद हैं , जिसमें सदस्यों ने खुद घोषणा पत्र में माना है कि उनपर कई गंभीर मुक़द्दमे लंबित हैं । और खुदआपके ऊपर बाबरी विध्वंस के मामले में मुख्य साज़िश कर्ता के रूप में आरोप न्यायालय में लंबित है ।
एयर होस्टेस गीतिका शर्मा रेप और सुसाइड केस के आरोपी गोपाल कांडा द्वारा बीजेपी को समर्थनदिए जाने का ज्यों ही विरोध शुरू हुआ लगभग ८ घंटे बाद बीजेपी ने उनका समर्थन न लेने का ऐलान किया ,लेकिन एक सुलगता सवाल यह है ,क्या राजनीती के गलियारे से गोपाल कांडा वाली मानसिकता ख़त्म होगी है ? फ़िलहाल हरियाणा में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बन गयी लेकिन राजनीती में सत्ता हथ्याने का चलन बढ़ गया है , आज सत्ता हासिल नहीं की जाती बल्कि हथ्याई जाती है , उसके बाद जो हश्र देश और जनता के साथ होना चाहिए वो स्वाभाविक है ।
आपको याद होगा 100 करोड़ के महल नुमा मकान में रहने वाले गोपाल कांडा हरयाणा में कांग्रेस के दौर में ग्रह मंत्री रहे हैं , जब उनपर एयर होस्टेस गीतिका शर्मा की हत्या जैसे आरोप लगे तो उनको कांग्रेस ने पार्टी से बर्खास्त करदिया था और उनपर मुक़द्दमा चला डेढ़ वर्ष कांडा जेल में रहा ।
इस बीच कांडा की ७ मर्तबा बैल की अर्ज़ी रद्द भी हुई ।1800 पन्नो की chargesheet कांडा के खिलाफ उसके जुर्मों की कहानी बयां करती है । लेकिन अपने सियासी रुसूख़ के चलते और पैसे के बल पर ज़मानत पर रिहा होगया ।
गीतिका शर्मा की दुखयारी माँ ने भी इन्साफ न मिलने के चलते आत्म हत्या करली थी और इस तरह गीतिका का हँसता खेलता परिवार बर्बाद होगया था ।
अब सवाल यह पैदा होता है की गीतिका शर्मा और इसके अलावा कई दुसरे परिवारों पर तबाही का बादल बनकर टूट पड़ने वाला गोपाल कांडा अपने को तथा अपने पिता को RSS का सदस्य कहने वाला क्या अभी विधायक का सुरक्षा कवच पहनकर आज़ाद घूमता रहेगा या भ्रष्टाचार ,और आतंकवाद मुक्त भारत तथा नैतिकता का दावा ठोकने वाली बीजेपी इस प्रकार के आपराधिक नेताओं को कड़ी सजा दिलाकर तड़ी पार करेगी ।
और देश में नैतिकता , न्याय ,अम्न और सद्भाव का माहौल तैयार करेगी । जिसकी उम्मीद देश की जनता को कम है, क्योंकि जिस पार्टी और देश का गृहमंत्री क़त्ल के जुर्म में सज़ायाफ्ता हो और तड़ी पार का तमग़ा गले में लेकर सत्ता की कुर्सी पर ब्राजमान हो तो इस सिस्टम से हाल कोई सकारात्मक उम्मीद रखना उचित न होगा ।फिलहाल देश की राजनीती में नेताओं का नैतिकता से कोई नाता नहीं दिखाई देता ।