बेहद ड्रामाई अंदाज़ के साथ Ceasefire की घोषणा के पीछे कई बड़े राज़ ?
ईरान-इज़राइल जंग में बीते कुछ घंटे बेहद नाटकीय रहे, जहां ईरान ने मध्य पूर्व (सेंट्रल एशिया ) में अमेरिका की सबसे बड़ी सैन्य सुविधा अल-उदीद पर जवाबी हमला किया, इसके फ़ौरन बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया कि संघर्षविराम पर सहमति बन गई है।
ताज़ा स्थिति क्या है आइये जानते हैं :
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर घोषणा की है कि ईरान और इज़राइल ने संघर्षविराम पर सहमति जता दी है।
ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “मान लेते हैं कि सब कुछ वैसा ही चलेगा जैसा होना चाहिए, और ऐसा ही होगा, तो मैं इज़राइल और ईरान को इस बात के लिए बधाई देना चाहूंगा कि उन्होंने इतनी सहनशीलता, साहस और बुद्धिमत्ता दिखाई कि इस 12 दिवसीय युद्ध को समाप्त किया।
यह युद्ध सालों तक चल सकता था और पूरे Central Asia को तबाह कर सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब कभी नहीं होगा!”
अब कभीयुद्ध नहीं होगा की गारंटी Donald ट्रम्प कैसे दे सकते हैं ?जबकि उसके किसी क़ौल और वादे का कोई भरोसा नहीं .उनके लिए कहा जाता है के ट्रम्प की बात और गधे की लात एक जैसी है जिसका कोई भरोसा नहीं किया जा सकता .
एनबीसी से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि यह संघर्षविराम “हमेशा” के लिए लागू रहेगा।
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि यह संघर्षविराम ट्रंप ने सोमवार को इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बातचीत के ज़रिए करवाया, जबकि उनके सहयोगी, जिनमें उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी शामिल थे, ने तेहरान से बातचीत की।
अधिकारी के अनुसार, इज़राइल ने सहमति जताई कि जब तक ईरान कोई नया हमला नहीं करता, वह भी जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा। अधिकारी ने बताया कि ईरान ने संकेत दिया है कि अब आगे कोई हमला नहीं होगा।
ट्रंप की घोषणा के बाद, इज़राइली रक्षा बलों (IDF) ने ईरानी राजधानी के कई हिस्सों में संभावित हवाई हमले से पहले नागरिकों के लिए खाली करने की चेतावनी जारी की।
सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स ने तेहरान में भीषण धमाकों की रिपोर्ट दी, जिसमें कहा गया कि पिछले 12 दिनों में इज़राइल द्वारा ईरान पर किए गए हमलों में ये सबसे ज़्यादा तीव्र थे।
बेहद ड्रामाई अंदाज़ के साथ Ceasefire की घोषणा की पीछे कई बड़े राज़ छुपे हुए नज़र आते हैं ? जंग धोखे और फ़रेब का खेल है , दुश्मन के किसी क़ौल का कोई भरोसा नहीं किया जा सकता . ख़ास तौर से इस युग में जब सरकारें झूठ पर झूठ के सहारे चल रही हों . प्रोपेगंडा भ्रम और नफरत पर चल रही हों .
इसी के साथ ईरान के विदेश मंत्री ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में संकेत दिया कि दुश्मनी का अंत हो गया है, यह कहते हुए कि “ईरानी सेना ने सुबह 4 बजे तक, आखिरी क्षण तक इज़राइल पर हमला किया।”
इससे पहले उन्होंने कहा था कि यदि इज़राइली हमले दोपहर 12:30 GMT पर रुक जाते हैं, तो ईरान की ओर से कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
इसी बीच आपको बता दें सुबह 4 am तक इज़राइल की तरफ से संघर्षविराम की कोई औपचारिक पुष्टि नहीं की गई है। अब यह सब कुछ इतना कन्फुसिंग और भ्रमित करने वाला है की किसी खबर पर बिना तहक़ीक़ यक़ीन नहीं किया जाना चाहिए .
रॉयटर्स समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, कतर ने भी इस समझौते में परदे के पीछे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई , जो संभावित भी थी । कतर के प्रधानमंत्री ने तेहरान से फोन पर बात कर ईरान की सहमति दिलवाई, एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
यह संघर्षविराम उस समय घोषित हुआ जब ईरान ने खाड़ी देश कतर में स्थित अल-उदीद एयर बेस पर अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर मिसाइलों से जवाबी हमला किया था।
ईरान का कहना था कि यह हमला अमेरिका द्वारा एक दिन पहले ईरान पर बमबारी में शामिल होने के जवाब में किया गया।
हालांकि कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि “कतर की वायु रक्षा प्रणाली ने इस हमले को सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया और ईरानी मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर लिया गया,” और किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। बताया जा रहा है कि ईरान ने इस हमले की पहले से चेतावनी दी थी।
याद रहे Sunday को ही ट्रंप ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों—इस्फहान, नतांज़ और फोर्दो— पर हमला किया था, जिसका Code Name था: ‘मिडनाइट हैमर’।
इस हमले में अमेरिकी B-2 बॉम्बर्स और भूमिगत बंकरों को ध्वस्त करने वाले बमों का उपयोग किया गया।
अब ट्रंप का तो यह भी दावा है कि अमेरिकी हमलों ने ईरान की परमाणु सुविधाओं को “पूरी तरह से तबाह कर दिया।” हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि वास्तविक भौतिक क्षति कितनी हुई है और इसका Long-term impact ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर क्या होगा।
संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफाएल ग्रॉसी ने सोमवार को कहा कि फोर्दो यूरेनियम संवर्धन केंद्र जैसे भूमिगत स्थानों को “काफी गंभीर नुकसान” हुआ है।
उन्होंने कहा, “जिन विस्फोटकों का उपयोग किया गया और सेंट्रीफ्यूज की Extremely sensitive nature को देखते हुए, बड़े नुकसान की आशंका है।”
ईरान की संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक के बाद एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया कि जब तक ईरान की परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, IAEA के साथ सहयोग पूरी तरह निलंबित किया जाएगा।
इस प्रस्ताव के अनुसार, निगरानी कैमरों की स्थापना, निरीक्षण की अनुमति और रिपोर्टिंग बंद की जाएगी। यानी ईरान ने कोई भी समझौता अपनी शर्तों के मुताबिक़ ही करने की बात कही है .