ईरानी हमले के खतरे के मद्देनज़र अमेरिका ने कतर के अल-उदीद एयरबेस से दर्जनों सैन्य विमान हटा लिए
अमेरिका द्वारा अल-उदीद से सैन्य विमान हटाने के पीछे क्या Strategy हो सकती है ??
5 जून को कतर के अल-उदीद एयरबेस रनवे पर 40 सैन्य विमान खड़े देखे गए थे , जिनमें हरक्यूलिस C-130 जैसे परिवहन विमान और टोही विमान शामिल हैं | यह जानकारी Planet Labs PBC द्वारा प्रकाशित और AFP की विश्लेषित उपग्रह चित्रों से हासिल की गई।
हालांकि अल-उदीद अमेरिकी सैनिक अड्डे की 19 जून को Sattelite से ली गई एक तस्वीर में केवल तीन विमान दिखाई दे रहे हैं।
अल-उदीद कब और क्यों तैयार किया गया था Brief Information
अल-उदीद अमेरिकी सैन्यकर्मी बेस 1996 में स्थापित किया गया था। यह मध्य पूर्व में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है. यहाँ 10,000 से अधिक अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. यह अमेरिकी सेना के लिए एक महत्वपूर्ण रसद, आपूर्ति और कमांड केंद्र के रूप में कार्य करता है, विशेष रूप से अमेरिकी मध्य कमान के क्षेत्र में .
अमेरिकी मध्य कमान यानी (US CENTRAL COMMMAND) का क्षेत्र मध्य पूर्व, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है, जिसमें मिस्र (अफ्रीका) भी शामिल है.इसका पूरा इलाक़ा 4 मिलियन वर्ग मील से अधिक में फैला हुआ है और 560 मिलियन से अधिक लोगों की आबादी वाला पूरा क्षेत्र है.
अमेरिकी मध्य कमान के क्षेत्राधिकार में मध्य पूर्व से मिस्र, बहरीन, ईरान, इराक, जॉर्डन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन शामिल हैं.
जबकि मध्य एशिया में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.और दक्षिण एशिया के अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे मुल्क इसके क्षेत्राधिकार में शामिल हैं.
दरअसल अल-उदीद अमेरिकी सैन्यकर्मी बेस इन सभी मुल्कों में अमेरिकी हितों की रक्षा करने के लिए स्थापित किया गया था . बताया यह भी जाता है कि इलाक़े में स्थिरता को बढ़ावा देने की भी इसकी ज़िम्मेदारी है .
लेकिन अजीब बात यह है कि 1996 से इस पूरे इलाक़े में लगातार अस्थिरता बढ़ी है conflicts बढ़े हैं , शान्ति भंग हुई है.लोग मरे हैं infra structure का भारी नुकसान हुआ है हाँ यह अलग बात है हथ्यार खूब बिके हैं .
अमेरिका द्वारा अल-उदीद से सैन्य विमान हटाने के पीछे क्या Strategy हो सकती है ??
कतर में अमेरिकी दूतावास ने Friday को घोषणा की कि “ईरान इजराइल तनाव के चलते और सतर्कता के मद्देनज़र ” इस अमेरिकी एयर बेस को Cardon Off कर दिया गया है .
और वहां के सभी कर्मचारियों को इंतहाई सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। यानी अब अमेरिका को इस बात का खतरा सताने लगा है की ईरान हमारे AIR Bases को भी निशाना बना सकता है .
व्हाइट हाउस का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले दो हफ्तों में यह निर्णय लेंगे कि क्या वे ईरान पर इज़राइल के हमलों में शामिल होंगे। यदि ऐसा होता है, तो इस्लामी गणराज्य ईरान क्षेत्र में स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकता है।
अमेरिकी सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल और रैंड कॉर्पोरेशन में रक्षा शोधकर्ता मार्क श्वार्ट्ज ने कहा कि अल-उदीद बेस में तैनात सैन्यकर्मी, विमान और अन्य संसाधन “ईरान की निकटता” के कारण “बेहद संवेदनशील” हैं।
मध्य पूर्व में सेवा दे चुके श्वार्ट्ज ने AFP को बताया कि यहां तक कि बिखरे हुए गोले (shrapnel) भी विमानों को “मिशन के लिए अनुपयुक्त” बना सकते हैं।
उन्होंने कहा, की वो अमेरिकी सैनिक बलों और सैन्य उपकरणों के जोखिम को कम करने की कोशिश करेंगे लेकिन ख़त्म नहीं कर सकते ।
जिन विमानों को ईरान इजराइल तनाव के बाद जून माह की शुरुआत से रनवे से हटाया गया है, उन्हें या तो हैंगर में ले जाय गया है या क्षेत्र के किसी अन्य बेस में शिफ्ट किया गया हो सकता है।
अमेरिकी सेना के पूर्व रक्षा अधिकारी ने संसाधनों की सटीक स्थिति पर चर्चा करने से इनकार कर दिया, लेकिन एएफपी से कहा: “हम अपने मिशन को अच्छे से तैयार होकर, ताकत और कुशलता के साथ पूरा करते हैं और पूरी सावधानी बरतते हैं।”
मध्य पूर्व में अमेरिकी बलों को इज़राइल द्वारा ईरान पर किए गए पहले हमलों के बाद से सतर्क कर दिया गया है। एक अतिरिक्त विमानवाहक पोत को रवाना किया गया है और विमानों की व्यापक आवाजाही देखी गई है।
विमानों की स्थिति पर नज़र रखने वाले खुले स्रोत डेटा के एएफपी विश्लेषण में यह बात सामने आई कि 15 से 18 जून के बीच कम से कम 27 सैन्य ईंधन भरने वाले विमान — KC-46A पेगासस और KC-135 स्ट्रैटोटैंकर — अमेरिका से यूरोप की ओर रवाना हुए। केवल दो ही सैन्य ईंधन विमान अमेरिकी धरती पर लौटे।
बहुत मुमकिन है अमेरिका ईरान पर पूरी तैयारी के साथ हमला करने के रणनीति तैयार करने की नीयत से ये सब कर रहा हो . क्योंकि दुनिया के सुपर पावर की इस बीच जो फ़ज़ीहत हुयी है वो उसके लिए करो या मरो की स्थिति से कम नहीं है .
मगर यह भी सच है की अमेरिका ने आज तक कोई जंग जीती नहीं है .अलबत्ता मरखने सांड की तरह नुकसान बहुत किया है . अब ईरान को भी इस जंगी रणनीति के तहत ही कोई strategy तैयार रखनी होगी.
फिलहाल यहूदी लॉबी ईरान में इस्लामी हुकूमत का तख्ता पलटने की अपनी योजना में कितना कामयाब हो पाता है यह भी देखना अभी बाक़ी है मगर धरती वाले अपनी साज़िश रचते हैं जबकि आसमाँ वाला कुछ और इरादा रखता है.
जंग और नफ़रत धरती की बर्बादी के लिए शैतान की योजना का हिस्सा होती जबकि इंसान को अमन की पूरी कोशिश और योजना बनानी चाहिए . और वैसे भी जंग मसलों का हल नहीं होती क्योंकि जंग खुद एक मसला है .