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“यह इश्क़ है ” (कविता संग्रह )का लोकार्पण , एक हसीन शाम

“यह इश्क़ है ” (कविता संग्रह )का लोकार्पण , एक हसीन शाम

“यह इश्क़ है ” (कविता संग्रह )का लोकार्पण , एक हसीन शाम

खुदा से इश्क़ करने की रिवायत मानता हूँ मैं
नशे में डूब जाने की , है आदत मानता हूँ मैं
उन्हें जिनको मोहब्बत है ,लफ्ज़,पन्नों ,किताबों से
ये पुस्तक एक तोहफ़ा है बस इतना मानता हूँ मैं

प्यार वियार , इश्क़ विश्क़ , शायद बेकार की बातें हैं , Take Away के दौर में मोहब्बतें ला चार सी लगने लगी हैं , सितम , झूठ और ज़ुल्म को जहाँ हुनर समझा जाता हो ऐसे में अदब , सच्चाई और साहित्य की बातें फ़ुज़ूल लगने लगी हैं . इंसानियत , इंसाफ़ और हमदर्दी की बातें काल्पनिक कहानियां महसूस होती हैं .

मुझे मेरे मौलवी साहब ने बताया था और मेरे माँ बाप बताते थे कि रब से सच्ची मोहब्बत उसकी बनाई हर शै: से मोहब्बत करना है . और इंसान रब की तख़लीक़ में सबसे मेहबूब और अफ़ज़ल Creation है . तो सबसे पहले इससे मोहब्बत करना हमारा फ़र्ज़ बन जाता , और यही बात अपने अंदाज़ में मेरा दोस्त संदीप भी कहता है और आप का मानना भी शायद यही होगा ?

नफरतों और धुर्वीकरण के माहौल में जब कर्नल यादव साहिब की बीवी अपनी रंगरेज़ पड़ोसन हज्जन फ़ातिमा ताई की यादों में डूब जाती हैं हज्जन बी की Mrs यादव के प्रति संवेदना , सहानुभूति और ममता व् चिंता को याद करती हैं , तो महफ़िल इश्क़ो मोहब्बत के समुन्द्र में गोते लगाने लगती है .

कितनी हसीन थी Press Club Dilli की 26 मार्च की वो शाम जहां एक ओर सामने की टेबल पर लोग चाय की चुस्कियों के साथ नफरत और साज़िशों की बातें करते सुनाए दे रहे थे वहीँ दूसरी लम्बी टेबल पर बैठे कई जाने माने साहित्यकार और और शेरो अदब की दुनिया के लोग इंसानियत , मोहब्बत और रब की मख्लूक़ से इश्क़ के क़िस्से सुना रहे थे .सद्भाव , प्यार और करुणा की मानो बयार बह रही थी उस शाम को Press Club Dilli में .

Mrs यादव बताती हैं की हज्जन बी किस तरह उनका ख्याल रखती थीं उनकी पूरी सामाजिक सुरक्षा का ध्यान रखती थीं वो हमारी ग़लतियों पर हमको समझाती और कभी कभी शाम के समय कान पर चपत लगाकर हमको घर भेजती थीं की अँधेरा होगया अब घर जाओ .

दरअसल यह मौक़ा था वंदना यादव की “यह इश्क़ है ” (कविता संग्रह ) के लोकार्पण का , इस महफ़िल में कोई VIP नहीं था और सब मुख्य अतिथि थे , कोई अजनबी नहीं था सब क़रीब थे मानो किसी परिवार का Get Together हो , बड़ी रौनक थी इस महफ़िल में , क्योंकि प्यार था इश्क़ था , मोहब्बत थी करुणा थी बड़ा हसीन संगम था सभी दिल से एक दुसरे को सुन रहे थे .

प्रैस क्लब में हुई एक अनौपचारिक गोष्ठी में ‘ये इश्क़ है’ कविता संग्रह का लोकार्पण किया गया। आयोजन से लेकर संचालन तक की जिम्मेदारी उठाई कानपुर से आईं रंजना यादव जी ने।

अद्विक पब्लिकेशन की ओर से अशोक जी ने सभी उपस्थितजनों का शुक्रिया अदा किया और कहा की मैं आप सब साहित्यकारों , सहाफ़ियों , बुद्धिजीवियों का आभारी हूं आप सब ने लोकार्पण कार्यक्रम में उपस्थित होकर हमारा हौसला बढ़ाया …अशोक जी ने आदरणीय वन्दना यादव जी का विशेष आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी कंपनी पर आपने भरोसा जताया इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ .

वंदना यादव जी दिल की बेहद हसीन हैं , उनका अख़लाक़ , स्वभाव और मानवता उनकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है वंदना जी मोटिवेशनल स्पीकर , साहित्यकार और समाज सेविका के रूप में अक्सर सरे फेहरिस्त दिखाई देती हैं . उनकी नरम मिज़ाजी में शोखपन निराला अंदाज़ पैदा करदेता है . उनकी तारीफ में बहुत कुछ कहा जा सकता है मगर उनको तारीफ सुन्ना पसन् नहीं इसलिए हम भी उन्ही की ख़ुशी में खुश हैं .

26 मार्च की शाम प्रैस क्लब में हुए ‘ये इश्क़ है’ कविता संग्रह के लोकार्पण में शामिल सभी मख़सूस मेहमानों की सूची कुछ इस तरह से है

01/ आलोक यादव जी
02/ सरल आलोक जी (नोर्वे,प्रवासी साहित्यकार)
03/ संजय अदस्ता जी (सपत्नीक)
04/ नरेन शर्मा जी (नोएडा)
05/ मोहन चुटानी जी (नोएडा)
06/ विनीता यादव (न्यूज़ नशा, नोएडा)
07/ चंद्रमणि ब्रम्हदत्त जी (द्वारका)
08/ अनिल यादव जी (द्वारका)
09/ तस्नीम फातिमा ख़ान जी
10/ अली आदिल ख़ान जी (टाइम्स ऑफ़ पीडिया ग्रुप )
11/ मुकेश कुमार सिन्हा जी
12/ रश्मि वर्मा जी
13/ अंजली जी
14/ पूजा कौशिक जी
15/ ईशान दफौटी जी
16/ अभिषेक सिंह जी
17/ प्रिया सिंह जी
18/ रेखा जी
19/ देवेश कुमार चौबे जी
20/ पूनम यादव जी (गाजियाबाद)
21/ अशोक गुप्ता जी (प्रकाशक)
22/ रंजना यादव जी (रेडियो जॉकी, कानपुर)
23/ सुहानी यादव (बालिका -बाल साहित्यकार)
24/ वन्दना यादव

वंदना यादव के प्रमुख प्रकाशित कृतियां कुछ इस प्रकार हैं ,,,,

कितने मोर्चे (उपन्यास )
यह इश्क़ है (कविता संग्रह )
कौन आएगा (कविता संग्रह )
अब मंज़िल मेरी है
नीला आसमान , सब्ज़ियों वाले गमले (बाल साहित्य)
नतमस्तक (नव साक्षरों के लिए कहानियों की किताब)
ज़िंदगी और मौत के बीच (कहानी संग्रह )

वंदना यादव को साहित्य और समाज सेवा के लिए काका साहिब कालेलकर समाज सेवा सम्मान
सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान , महा देवी वर्मा साहित्य सम्मान के अलावा अनेक सम्मानों से नवाज़ा गया है.
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