ज़रा रुक कर सोचो !!! क्या आप ????
एक खुशहाल परिवार के विकास और तरक़्क़ी की निशानी क्या है ?चलता हुआ व्यापार , एक बड़ा और पक्का मकान , लम्बी कार और बैंक बैलेंस इसके अलावा और कुछ चाहिए ?यह हमारा सवाल था ..
इसपर कुछ का जवाब था इसके अलावा कुछ नहीं चाहिए , कुछ का कहना था और भी बहुत कुछ चाहिए , लेकिन एक साहब ने जप जवाब दिया वो आपके सामने रखना ज़रूरी समझता हूँ ,ध्यान से सुनें .उन्होंने कहा मेरी फॅमिली में ४ बेटे और ४ बेटियां हैं , बड़ा बांग्ला ,लम्बी लम्बी करें , चलता कारोबार , नौकर चाकर सब है किन्तु सुकून नहीं है ,चैन नहीं है , नींद नहीं आती है इत्यादि .
आप रुक कर सोच रहे हैं न ??? हाँ चले सुनें
हमने उन साहब से पूछा ऐसा क्यों ???, कहने लगे चार बेटे और बेटियों में एकता नहीं है , पता नहीं किस के बहकावे में एक बेटा अलग दूकान खोल बैठा है और रोज़ कोई न कोई नुकसान के बहाने मुझसे बड़ी रक़म लेजाता है , दूसरे को भी किसी ने बहकाया है और वो भी रोज़ ही घर में कलेश करता है .
आप रुके हुए हैं न?? हाँ चले न जाना …जी आगे सुनें
उन साहब ने कहा दो बेटे मेरे साथ हैं उनमें एक मांद बुद्धि है दूसरा बुरी आदतों का शौक़ीन है मैं अकेला पड़ गया हूँ . बेटियां अपने अपने दोस्तों के साथ मस्त हैं , ऐसा लगता है शायद इन्होने मोबाइल्स के साथ अपनी शादी करली है ,रिश्ते आते है शादी को मना करदेरही हैं ,शादी को कोई सी भी तैयार नहीं है ,एक बच्ची काली और बद शक्ल है वो शादी केलिए तैयार है किन्तु कोई रिश्ता नहीं है उसके लिए .
सब कुछ होते हुए भी वीरानी महसूस करता हूँ ,अपना और परिवार का भविष्य सोचकर रात को नींद उड़ जाती है . बीवी से कुछ उम्मीदें थीं किन्तु उसको अपने मायके वालों की मेहमानदारी और तीमारदारी से ही फुर्सत नहीं है .
मगर आप कहीं न जाए ….ज़रा सोचें यह सब किस वजह से होरहा है ??
जब सब बच्चे स्कूल कॉलेज जारहे थे कारोबार अच्छा चल रहा था bussy रहता था बच्चों को संस्कार देने का समय नहीं दे पाया , अब सभी अपनी अपनी मर्ज़ी से चलते हैं घर में एकता नहीं है , आपस में बच्चे एक दुसरे को दुश्मन समझने लगे हैं , मेरे बताने का अब असर नहीं होरहा है . शाम को अपने कारोबार से घर जाने को दिल नहीं करता है , सोचता हूँ न जाने आज क्या नया मुक़द्दमा घर पर सुनने को मिलेगा इत्यादि .
आप ज़रा सोचें यह सब क्योंकर होरहा है ??और रुक कर सोचें …….
अब देखें इस कार्पबारी इंसान के पास तो सब कुछ है ,मगर उसके बावजूद घर दोज़ख क्यों बना हुआ है , इस व्यक्ति ने बीच मेँ हमको अपने परिवार के एक दुश्मन की भी कहानी सुनाई .
इसने बताया की मेरे पिता के चार भाई थे और उनके घर पर किसी सूद का कारोबार करने वाले ने क़ब्ज़ा करलिया था , वो इसलिए क्योंकि इन्होने उस सूदी से कुछ पैसा उधार लिया था जो समय पर न चुकाने की वजह से घर गिरवी रख दिया था .
मगर कुछ समय बाद मेरे चाचा ताऊ ने मिलकर काम किया और खूब मेल से रहे इलाक़े मेँ रॉब था तो अपना पुश्तैनी मकान उस दबंग सूदी कारोबारी से खाली करा लिया , हालाँकि यह काम आसानी से नहीं हुआ हमारे परिवार के लोगों को इस सब के दौरान काफी नुकसान भी हुआ .मगर आपसी एकता , मेलजोल और सद्भाव के कारण उसको निकाल भगा दिया .
किन्तु आज उसी सूदिया के बच्चों ने मेरे बच्चों को उल्टा सीधा पढ़ाकर मेरे खिलाफ करदिया है और बच्चे मेरी नहीं सुनते ,घर टूट रहा है कारोबार लगभग ख़त्म होगया है ,बीमारियों ने मुझे घेर लिया है ,और मैं कुछा समझ नहीं पा रहा हूँ क्या करूँ , आप ही बताएं …हमने कहा यदि आपने शुरू मैं यह कहानी बताई होती तो हम ज़रूर आपकी मदद करते किन्तु आज तो आपके घर की हालत काफी बिगड़ चुकी है .लेकिन फिर भी हम कोशिश करेंगे .
आप रुक कर सोच रहे हैं …?? या …अच्छा आगे सुनें
यह कहानी तो थी किसी एक परिवार कि , किन्तु मेरे दिमाग़ मेँ आज के भारत की कहानी और हालात गर्दिश करने लगे थे , और देश की आज़ादी से पहले अंग्रेज़ों की सांप्रदायिक हुकूमत के बारे मैं सोचने लगा था , फिर आज़ादी की जंग और हमारा नुकसान सोचने लगा था ,
फिर हमने आपस मेँ एकता और सद्भाव के साथ अपने मुल्क की आज़ादी के लिए जो क़ुर्बानियां दीं , और आखिर मेँ ज़ालिम अँगरेज़ सर्कार को उखाड़ फेंका .वो सब सोचने लगा था , फिर अँगरेज़ साम्राजयवाद की डिवाइड एंड रूल की योजना के देश और दुनिया पर पड़ने वाले असर के बारे में सोचते सोचते मैं गुम सा होगया.
अगले रोज़ जब मैं सोकर सुबह जागा तो एक रिपोर्ट टीवी स्क्रीन पर चल रही थी की अब स्कूल में अलग अलग बटेंगे धर्म के आधार पर सेक्शंस , मैंने सोचा शायद यह कोई खुआब है जो मुझे मेरे मज़मून लिखते लिखते आगया , मैने खुद को होशयार किया और सही से रिपोर्ट देखी और सुनी तो पाया की में खुआब में नहीं असलियत में यह रिपोर्ट टीवी पर देख रहा हूँ .
दिल्ली के वज़ीराबाद MCD स्कूल की यह स्टोरी सुनकर मैं सोचने लगा की इस स्कूल का प्रिंसिपल जिसने क्लास के बच्चों को धर्म के आधार पर अलग अलग सेक्शंस में बांटा , मुझे यह तय करने में लम्हा लगा कि यह प्रधानचार्य महोदय अंग्रेज़ों के उसी अजेंडे पर काम कर रहे हैं जिसकी उसने शपथ ली थी , की हम हिंदुस्तान से जा तो रहे हैं किन्तु डिवाइड एंड रूल के तहत हुकूमत हम ही करते रहेंगे .
समाज में सांप्रदायिक द्वेष और नफरत का माहौल इस हद तक बढ़ा दिया गया है कि हिन्दू कॉलोनियों में मुस्लिम नहीं रहना चाहते और मुस्लिम कॉलोनियों में हिन्दू.इस तरह कि कुछ विडिओ भी सामने आईं हैं कि एक धर्म विशेष का मुखिया अपनी क़ौम से अपील कर रहा है कि दुसरे धर्म के लोगों से कारोबारी धंदा न करें उनकी दुकानों से सौदा न खरीदें ,
इस प्रकार कि सोच और विचार धारा से देश टूटेगा या जुड़ेगा ? आपको अंदाजा है न ? उपरोक्त कारोबारी के घर की स्टोरी की तरह वीरानी छा जायेगी समाज में , नफरत का ज़हर नस्लों को तबाह करदेता है , मुल्क बर्बाद होजायेगा .हरे भरे शहर मलबे का ढेर बन बन जाएंगे .
खुदा रा देश को हर तरह की नफ़रत से पाक रखो वार्ना याद रखो पूरे देश में इंसानी कि लाशों कि ऐसी बदबू उठेगी कि सांस लेना दूहर होगा , महामारी फेल जायेगी , लिहाज़ा समय रहते वो लोग जो अपने को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं निकल कर बाहर आएं देश में नफ़रत के खिलाफ मोहब्बत और सद्भाव का माहौल क़ायम करने के लिए जल्द आगे बढ़ें वरना अगर और इसी तरह कुछ वर्ष निकाल दिए तो आपका मुक़द्दर सिर्फ तबाही होगा तबाही. फिर कोई चमत्कार भी काम न आसकेगा .
अरे आप लोग रुके हुए हैं या चले गए … अच्छा आपने सब कुछ सुन लिया अब आप जा सकते हैं और आपकी मर्ज़ी चाहे नफ़रत को मिटाने आगे आएं या जलने दें देश को इस भयानक आग में , नेताओं को तो छोड़ दें वो सद्भाव और प्रेम की राजनीती में कोई दिल चस्पी नहीं रखते उनको तो नफ़रत की सियासत पर ही वोट मिलते हैं ऐसा मान लिया है उन्होंने ,मोहब्बत का पैग़ाम आपको पहुँचाना आपको अपनी आने वाली नस्लों के लिए .न
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो
तुम्हारी दास्ताँ तक न होगी दास्तानों में !!! .….. Editor ‘s desk
Please follow and like us: