नोबल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू की म्यांमार नरसंहार की दोषी
रोहिंग्या मुसलमानों पर हिंसा और अत्याचार के लिए म्यांमार की सरकार और सेना दोषी!
नोबल शांति पुरस्कार विजेता और म्यांमार की President सू की ने धर्म के आधार पर मुसलमानो के नरसंहार में अपनी भूमिका निभाकर शान्ति पुरस्कार को भी बदनाम करदिया है .
सोमवार को जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रपट में तय किया गया है की म्यांमार में कमांडर इन चीफ सहित शीर्ष सैन्य अधिकारियों से रखाइन राज्य में नरसंहार और अन्य इलाकों में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए पूछताछ हो और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
यह रपट संयुक्त राष्ट्र के तथ्यान्वेषी मिशन द्वारा सैकड़ों लोगों के साक्षात्कारों, शोधों और विश्लेषणों पर आधारित है। इस रपट में म्यांमार सेना के कृत्यों की संयुक्त राष्ट्र द्वारा कड़े शब्दों में निंदा की गई है। आरोप है म्यांमार सेना ने पिछले साल अगस्त में रोहिंग्या मुस्लिमों पर अत्याचार किए थे।
याद रहे म्यांमार के मुस्लिम बहुल प्रदेश रखाइन में निहत्थे सिविलियन्स पर मिलटरी के सहयोग से कट्टर पंथी माँग और आतंकी प्रवर्ति के बुद्धिष्टों ने हज़ारों लोगों का क़त्ल ऐ आम कराया गया . यह ऑपरेशन सू की सरकार और मिलेटरी की मिली भगत से हुआ . इसके चलते लाखों मुसलमान बेघर भी हुए थे .
हालांकि उनकी वतन वापसी और रिहैबिलिटेशन का मुद्दा आज भी ज्यों का त्यों है .जबकि कुछ रोहिंग्या सरकारी ऐलान के बाद वापस भी गए थे , किन्तु अधिकतर खौफ के मारे आज भी वहां जाना नहीं चहरहे हैं .
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में रखाइन राज्य में मानवीय संकट के लिए नोबल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू की के नेतृत्व वाली म्यांमार सरकार को दोषी ठहराया गया है।
इसमें कहा गया है सरकार घटनाओं को रोकने में विफल रही, उसने रखाइन राज्य में सबूतों को नष्ट कर झूठी खबरें फैलाई और स्वतंत्र जांच को प्रतिबंधित किया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, “अधिकारियों ने अपने कृत्यों और चूक के माध्यम से अत्याचार और अपराधों के होने में योगदान दिया। संयुक्त राष्ट्र की रपट में मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय भेजने का आह्वान किया गया है।” खबर में कहा गया है, “सेना की रणनीतियां वास्तविक सुरक्षा खतरों के लिए निरंतर और व्यापक रूप से असमान थीं।”
संयुक्त राष्ट्र की रपट में पाया गया कि कचिन, रखाइन औस शान राज्यों में मानवाधिकार उल्लंघन और अत्याचार का स्वरूप अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत निस्संदेह सबसे जघन्य अपराधों के समान है।
म्यांमार सरकार लगातार कह रही है कि उसके अभियान में आतंकियों और विद्रोहियों को निशाना बनाया जबकि रिपोर्ट के अनुसार वास्तव में निर्दोष लोगों को निशाना बनाया गया था।
संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के आने बाद रोहिंग्या मुसलमानो को इन्साफ कब तक मिलेगा इसका इंतज़ार बाक़ी है .मानवता के विरुद्ध इस जघन्य अपराध पर अमेरिका और भारत जैसे मानवता वादी देश किया रुख इख्तयार करते हैं यह भी निहायत अहम है .