पश्चिमी यूपी में हिन्दू सैन्य गतिविधियों को संचालित करने वाले हिंदू स्वाभिमान जैसे संगठनों को क्यों नहीं प्रतिबंधित करते मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
लखनऊ 28 सितम्बर 2016। रिहाई मंच दादरी अखलाक कांड की पहली बरसी पर सपा सरकार द्वारा सांप्रदायिक षडयंत्रकर्ताओं को बचाने का आरोप व पुलिस की जांच प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
28 सितंबर को जब सांप्रदायिक भीड़ ने अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी उसके बाद पुलिस को 100 नंबर पर फोन किया गया जो साफ करता है कि ऐसा हत्यारों ने अपने बचाव में किया। आरोप है की सूरजपाल और पे्रम सिंह ने बकरीद के दिन करीब साढ़े 12 बजे अखलाक के घर के सामने बछड़े को अखलाक का भाई , जान मोहम्मद चाकू से काट रहा था। यह आरोप फर्जी हैं जो भाजपा नेता संजय राना द्वारा अखलाक की हत्या के बाद 28 सितंबर को पुलिस को 100 नंबर पर फोन करके बताया गया। इस पूरे षडयंत्र में संजय राना मुख्य षडयंत्रकर्ता बताया गया है तो उसके साथ उसका बेटा व अन्य लोग संलिप्त हैं। सवाल यहां यह भी है कि जिस मंदिर से एनाउंस करके भीड़ को उकसाया गया उसके मंदिर के पुजारी समेत इन सभी पर कोई चार्ज फ्रेम क्यों नहीं है। इस पूरे मामले में अखलाक की हत्या के षडयंत्र पर पुलिस ने कोई विवेचना ही नहीं की जब कि निष्पक्ष विवेचना न्याय का आधार होती है ऐसे में अखलाक को इंसाफ मिलना संभव नहीं है।
असद हयात ने आरोप लगाया है कि जांच में ढिलाई की जा रही है वही जिस तरह से आरोपी सचिन जो कि बालिग था जिसका प्रमाण शाइस्ता जो कि अखलाक की बेटी हैं उसने दिया है कि वह उसके साथ सचिन 2009 में हाई स्कूल की परीक्षा में शामिल था जो कि स्पष्ट करता है कि वह बालिग है। ऐसे में उसे जमानत मिलना यह दर्शाता है कि पुलिस आरोपियों के पक्ष में और पीड़ितों के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि आज इस मामले पर वे एसएसपी से मुलाकात करेंगे।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि दादरी की घटना को जिस तरह अल्पसंख्यक आयोग ने भी सुनियोजित बताया है वह भाजपा सरकार के मुंह पर तमाचा है। क्योंकि भाजपा के मंत्री और नेता उसे दुर्घटना और अनजाने में हुई हत्या बताते फिर रहे थे। मोदी सरकार बनने के बाद से ही जिस तरह अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं और सपा सरकार का भी पूरा प्रशासनिक अमला जिस तरह संघ परिवार के एजेंडे को लागू करने में लगा है उसे देश कमज़ोर होता जारहा है ।मुलायम और राजनाथ पुराने रिश्तों के षाले राजनाथ के कहने पर भी UP सर्कार ने इस केस की CBI जांच नहीं कराई है । आपको याद होगा जब राजनाथ गाजियाबाद से चुनाव लड़ रहे थे तो वहां सपा ने अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा है कि अखिलेश यादव ने कहते हैं कि जिन जगहों पर भी दंगा होगा वहां के एसपी और डीएम के खिलाफ कार्रवाई होगी लेकिन इस घटना के बाद गौतम बुद्ध नगर के एसपी और डीएम न सिर्फ बने रहे बल्कि हत्यारों को बचाने की पूरी कोशिश भी करते रहे। जबकि एसएसपी किरन एस ने खुद मीडिया में बयान दिया था कि उन्हें जांच में इस बात के सुबूत मिले हैं कि मंदिर के माईक से पीड़ित परिवार के खिलाफ हमले का आह्वान किया गया था उसके बावजूद मंदिर के पुजारी ‘बाबाजी‘ को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया, और साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने का आरोपी क्यों नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा कि जिस तरह मंदिर के माईक का इस्तेमाल मुसलमानों पर हमले के लिए किया गया ठीक वैसा ही मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान भी साम्प्रदायिक आतंकियों ने किया था। जो साबित करता है कि मुजफ्फरनगर के हत्यारों के खिलाफ सपा सरकार द्वारा सख्त कार्रवाई करने में नाकाम होने के कारण दंगाईयों के हौसले बुलंद हैं और वो जगह-जगह सरकार की मदद से मुजफ्फरनगर दोहराने की कोशिश में लगे हुए हैं।