गुजरात के ऊना में दलितों की पिटाई की घटना के बाद गुजरात दलित पैंथर्स ने फरमान जारी करते हुए कहा है की दलित अब मरे हुए जानवर न उठाएं’ इस ऐलान के बाद राज्यव्यापी आंदोलन का आहवान भी किया गया है. ये संगठन कई सालों से दलितों के बीच सक्रिय है.
दलितों के एक संगठन ने उनसे पूरे राज्य में मरे जानवर नहीं उठाने का आहवान किया है.
मेहसाणा के 19 गांवों के दलितों ने तो ज़िलाधिकारी को लिखित में इस फ़ैसले के बारे में सूचित किया है.
बीबीसी से बात करते हुए इस दलित संगठन के नेता जीज्ञेश मेवाणी ने कहा, “जो निर्णय मेहसाणा के दलितों ने लिया है, उसे और ज़िलों के दलितों का भी समर्थन मिल रहा है.”
वो कहते हैं, “अब सभी ज़िलों के दलितों से अपील की गई है कि वो मरे जानवर न उठाएं और इस मामले में ज़िलाधिकारियों को बताया जाएगा.”ऊना की घटना के विरोध में 31 जुलाई को अहमदाबाद में एक महारैली का आयोजन किया गया है.मेवाणी का कहना है कि इस आंदोलन के तहत ही गुजरात के छह महानगर की पालिकाओं के सफाई कामगारों को एक हफ़्ते के लिए सफ़ाई का काम छोड़ देने के लिए भी कहा गया है.
वो कहते हैं, “यह हमारा विरोध प्रदर्शन है और समाज में हमारी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है, ये जताने की कोशिश है.”
दलितों के इस आंदोलन को पहली बार गुजरात के मुस्लिम संगठनों का भी सहयोग मिल रहा है.
जनसंघर्ष मंच के नेता शमशाद पठान ने बीबीसी को बताया, “गुजरात में दलितों और मुसलमानों के हालात एक जैसे हैं. दोनों समुदाय के लोग पीड़ित हैं, इसी कारण से हमने इस आंदोलन को समर्थन दिया है.”