‘चौकीदार चोर है’, जैसी बातें अब याद हो चुकी हैं राजस्थान की जनता को
मज़े की बात यह है के बीजेपी और कांग्रेस को इस खामोश आंदोलन की भनक तक नहीं है
नई दिल्ली: राजस्थान में पिछले दो माह से चुनावी गहमा गहमी है , और लोगों को नेताओं के चुनावी भाषणों की कुछ बातें इस तरह याद हो गयी हैं कि सभाओं में मौजूद जनता पहले ही भांप लेती है कि नेताजी आगे क्या बोलने वाले हैं.
आप को याद होगा चुनाव आयोग ने राजस्थान सहित पांच राज्यों में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा छह अक्टूबर को ही करदी थी. इसमें से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व मिजोरम में तो मतदान हो चुका है जबकि राजस्थान में प्रचार ज़ोरों पर है और यह पांच दिसंबर की शाम तक चलेगा .
यानी करीब दो महीने तक रंगीलो राजस्थान चुनावी रंग में भी डूबा रहा है. इतने लंबे समय में बड़ी संख्या में जनसभाओं, रैलियों व रोडशो के बीच राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की बातें भी जनता को रट सी गयी हैं . रैलियों में नेताओं के बोलने से पहले ही लोग भांप लेते हैं कि अब क्या बोला जाएगा. ‘नामदार-कामदार’, ‘रागदरबारी-राजदरबारी’, ‘चौकीदार चोर है’ एवं ‘आलिया मालिया जमालिया’ नीरव , चौकसी , अडानी , और अम्बानी जैसे शब्द इनमें शामिल हैं.
चुनावी गतिविधियों में रुचि रखने वाले लोगों ने कहा कि 2 महीने से नेता अपनी रैली में एक ही बात दोहराते हैं तो जनता को याद रहना स्वाभाविक है. एक कार्यकर्ता के अनुसार रैलियों, जनसभाओं के बाद नेताओं के भाषण अखबारों में छपते हैं, टीवी व वॉट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी रिपीट होते रहते हैं इसलिए उनकी कही बातें लोगों के जहन में बस जाती हैं.
जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं में कांग्रेस नेताओं तथा समर्थकों को ‘रागदरबारी’ और ‘राजदरबारी’ बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष (राहुल गांधी) को ‘नामदार’ और खुद को ‘कामदार’ बताते हैं. मोदी जी , राहुल गाँधी और सोनिया गांधी का नाम लिए बिना ‘नामदार’ बनाम ‘कामदा’ का हवाला अपने भाषण में कई बार देते रहे हैं.
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए सितंबर में राजस्थान में ही बोल चुके हैं ‘चौकीदार चोर है’. उनकी हर सभा में यह जुमला कई बार गूंजता है. उनके भाषण में राफेल, सीबीआई निदेशक विवाद का जिक्र बार-बार होता है. राहुल अक्सर अपने भाषण में कम से कम एक बार ‘देश का सबसे बड़ा घोटाला नोटबंदी’ और ‘गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी’) का जिक्र जरूर करते हैं.
इसी तरह, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपनी हर जनसभा में ‘आलिया मालिया जमालिया’ का जिक्र करते हैं और इसके ठीक बाद कहते हैं कि भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठियों को चुन-चुन कर देश से निकालेगी. हर सभा में वह कांग्रेस अध्यक्ष को ‘राहुल बाबा’ कहकर बुलाते हैं. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह हर सभा में कांग्रेस को ‘बिन दूल्हे की बारात’ बताते हुए कहते हैं कि वह तो यह भी तय नहीं कर पायी कि उसका मुख्यमंत्री कौन होगा.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भाषण हिंदुत्व पर केंद्रित होता है और वह कहते हैं, ‘कांग्रेस जिन आतंकवादियों को बिरयानी खिला रही थी, हम उन्हें गोली खिला रहे हैं.’ . चुनावी आह्वान में रूचि रखने वालों ने बताया कि राजस्थान में BJP का हिन्दू मुस्लिम या हिन्दू राष्ट्र का फार्मूला चलने वाला नहीं है .लोगों ने यह भी कहा कि जनता अब काफी समझदार होगई है और वो अच्छी तरह जानती है कि राज्य के हक़ में क्या सही और क्या ग़लत .
अब यदि मुस्लिम और SC व् ST खामोशी से BSP प्रत्याशी ग़यास अहमद खान को अपना मत देता है तो यह समीकरण सभी दुसरे समीकरणों पर भारी पड़ जाता है , इसके बाद बसपा प्रत्याशी की विजय रथ को कोई नहीं रोक सकता . मज़े की बात यह है के बीजेपी और कांग्रेस को इस खामोश आंदोलन की भनक तक नहीं है
दूसरी ओर, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के निशाने पर सीधे-सीधे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे रहती हैं. गहलोत अपनी हर सभा में कहते हैं कि ‘महलों में रहने वाली राजे व उनकी सरकार के कुशासन का अंत तय है’. वह आरोप दोहराते हैं कि राजे सरकार ने राज्य में बजरी माफिया, खनन माफिया और दारू माफिया को पनपाने के सिवा कुछ नहीं किया, जबकि कांग्रेस के पिछले कार्येकाल में हुए विकास शील कामों को भी वो याद दिलाते रहे हैं .
पायलट अपने संबोधन में एक बात जरूर कहते हैं, ‘प्रदेश की जनता मन बना चुकी है और राजे का बोरिया बिस्तर बंधना तय है.’ जहां तक रैलियों में जुटने वाली भीड़ का सवाल है तो सभी बड़े नेताओं, चाहे वह मोदी हों या राहुल गांधी, जनसैलाब उमड़ता दिखता है.लगता है जनता तफरीह लेने और कुछ नेताओं को प्रत्यक्ष देखने कि चाह में भी भीड़ जुटा लेते हैं .
इस बार जब हमारी टीम खुफया तौर पर राज्य की मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र के दौरे पर गयी तो वहाँ मुखतय दलित तथा मुस्लिम वोटर के इस बार कुछ भिन्न विचार देखने को मिले , जो काफी चौंकाने वाले थे . , वहां का वोटर डर के परदे में रहकर कुछ न कहने के बावजूद बहुत कुछ कह गया .वहां के कुछ SC /ST तथा मुस्लिम वोटर का कहना था कि इस बार हमको एक विकल्प के रूप में BSP का ईमानदार और जुझारू प्रत्याशी मिल गया है . इस बार रानी राजा सबको धुल चटाई जायेगी , वोटर्स का कहना था कि यहाँ का वोटर रानी का ग़ुलाम नहीं बल्कि बाबा साहिब के संविधान का रक्षक है .झालरापाटन में इस बार एक नारा गूंजता हुआ सुना गया , ” चलेगा हाथी उड़ेगी धूल , न रहेगा पंजा न रहेगा फूल “.
झालरापाटन विधानसभा क्षेत्र संख्या 198 की बात करें तो यह सामान्य सीट है जहाँ से लगातार 2003 से तीन बार वसुंधरा राजे अपना क़ब्ज़ा जमाये हुए हैं . 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 391746 है जिसका 70.07 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण और 29.93 प्रतिशत हिस्सा शहरी है. वहीं कुल आबादी का 17.67 फीसदी अनुसूचित जाति और 8.5 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं.
मुस्लिम 35000 ,Sc 35000 ST 10 ,000 ,ब्राह्मण 28000 ,गुजर 23000 ,राजपूत 17000 ,पाटीदार 22000 , धाकड़ 18000 , वैश्य 15000 , सोंध्या 18000 , दांगी 22000 , तथा अन्य 47000
अब यदि मुस्लिम और SC व् ST खामोशी से BSP प्रत्याशी ग़यास अहमद खान को अपना मत देता है तो यह समीकरण सभी दुसरे समीकरणों पर भारी पड़ जाता है , इसके बाद बसपा प्रत्याशी की विजय रथ को कोई नहीं रोक सकता . मज़े की बात यह है के बीजेपी और कांग्रेस को इस खामोश आंदोलन की भनक तक नहीं है .जब कांग्रेस और बीजेपी के कार्यकर्ताओं को इस सम्बन्ध में बात की गयी तो उन्होंने इस को मज़ाक़ मभर में उड़ा दिया और दोनों ही अपनी अपनी जीत के दावे करते रहे !
टॉप ब्यूरो की ख़ास रिपोर्ट