कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने वाले IPS ने खुदकुशी कर ली, मगर क्यों ?
महाराष्ट्र का सबसे कम उम्र ,6 फिट 2 इंच लम्बा , फिल्मी हीरो जैसा खूबसूरत और सुडोल IPS हिमांशु ने आखिर क्यों की खुद कुशी

IPS हिमांशु रॉय नहीं रहे. क्या इतना कहना काफी है .पुलिस के मुताबिक 11 मई को उन्होंने मुंबई के अपने नरीमन पॉइंट वाले घर में गोली मारकर खुदकुशी कर ली.
हिमांशु रॉय के सेवा काल के बहुत से वाक़ियात हैं जिनमें , जिसमें बाबरी मस्ज़िद विध्वंस के बाद महाराष्ट्र में हुए दंगों का कण्ट्रोल ,26 /11 /2008 मुंबई आतंकी हमले के इकलौते आरोपी अजमल कसाब केस की तफ्तीश और फँसी तक पहुँचाने की प्रिक्रया , IPL स्पॉट फिक्सिंग केस की जांच का मामला जेडे मर्डर केस की गुत्थी को सुलझाने का केस , मुंबई की पहली साइबर क्राइम सेल सेटअप कराने का कारनामा , रॉय जो कैमरे के सामने कहता था, ‘मेरे रहते मुंबई को हाथ लगाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है.’
नासिक का सबसे यंग SP
मुंबई में पैदा हुए हिमांशु महाराष्ट्र काडर के 1988 बैच के IPS थे. उन्हें पहली पोस्टिंग 1991 में मालेगांव में मिली. ये वो समय था, जब अयोध्या बाबरी मस्ज़िद का मुद्दा गरमाया जा रहा था और देश में रथ यात्रा निकल रही थी मुंबई और मालेगांव भी सांप्रदायिक नफरत की चपेट में था . मालेगांव में दो समुदाय आपस में जूझ रहे थे. लेकिन हिमांशु रॉय ने बखूबी संभाला. महकमे (विभाग) से खूब तारीफ मिली.
1995 तक हिमांशु नासिक (देहात) के SP बन चुके थे और इस कुर्सी पर बैठने वाले वो सबसे यंग ऑफिसर थे. सफर आगे बढ़ा. अहमदनगर पहुंचा, जहां हिमांशु SP बने. फिर इकॉनमिक ऑफेंस विंग में DCP और उसके बाद ट्रैफिक DCP बने. 2004 से 2007 के बीच हिमांशु नासिक पुलिस कमिश्नर रहे, जहां उन्होंने खैरलांजी हत्याकांड केस को टैकल किया. 2006 में दो जातियों के संघर्ष में हुए इस हत्याकांड में दो महिलाओं को उनके घर से निकालकर नंगा घुमाया गया और फिर मार डाला गया था. इस केस में 11 आरोपी थे और हिमांशु की वजह से पुलिस को जल्दी सफलता मिली.
IPL स्पॉट फिक्सिंग में विंदू दारा सिंह को किया गिरफ्तार
2009 में हिमांशु मुंबई में जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस बनाए गए. 2010 से 2014 मुंबई में जॉइंट कमिश्नर (क्राइम) रहे. इनके इसी कार्यकाल में 2013 में IPL का स्पॉट फिक्सिंग केस सामने आया था. इस केस की जांच हिमांशु ने ही की थी. स्पॉट फिक्सिंग के बुकी से संबंध होने के आरोप में विंदू दारा सिंह को हिमांशु ने ही अरेस्ट किया था. हालांकि, बाद में विंदू को मुंबई कोर्ट से बेल मिल गई थी. लैला खान मर्डर केस की जांच भी हिमांशु ने इसी कार्यकाल में की थी. इगतपुरी इलाके के एक घर में लैला और उसके पांच रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई थी.
हिमांशु की शादी का क़िस्सा
इतने सारे कारनामे अंजाम देने वाला आदमी प्यार व इश्क़ के खेल भी खेल चूका था . मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से निकलने के बाद जब 1990 में IPS का एग्ज़ाम दे रहे थे, तो माजेगांव एग्ज़ामिनेशन हॉल में एक ऐसी लड़की से मुलाक़ात हुई जो बादमें शरीक इ हयात बन गयी , जिसका नाम था भावना ,और वो यानी भावना वहां IAS का एग्ज़ाम देने आई थीं. वो राइटर अमीश त्रिपाठी की बहन हैं.
दोनों की मुलाकात हुई,हिमांशु ने अपनी प्यार की बाहों को फैलाया और करीब दो साल बाद दोनों ने शादी कर ली. शादी के बाद हिमांशु का करियर और तेज़ी से आगे बढ़ा, वहीं भावना IAS छोड़कर HIV एक्टिविस्ट बन गईं .
हिमांशु रॉय अपनी करियर की सीढ़ियों पर छेड़ते हुए महाराष्ट्र की एंटी-टेरेरिज़्म स्क्वॉड (ATS) तक पहुंचे . यहां रहते हुए उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीस अंसारी को अरेस्ट किया, जिस पर बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के अमेरिकन स्कूल को उड़ाने की प्लानिंग का आरोप था.
सरकार के फैसले से हिमांशु नाराज़ थे
अप्रैल 2015 में महाराष्ट्र सरकार ने अचानक एक फैसला लिया. सूबे के 37 सीनियर IPS अफसरों का ट्रांसफर कर दिया. इस शफलिंग ने पूरी पुलिस फोर्स को चौंका दिया. ऐसे में जो हिमांशु रॉय तब तक महाराष्ट्र ATS के चीफ हुआ करते थे, वो अडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (हाउसिंग) बना दिए गए.
इस शफलिंग में रेलवे ADG रहे संजय बरवे और प्लानिंग ऐंड कॉर्डिनेशन ADG रहे हेमंत नगरले भी इधर से उधर किए गए. ये सभी तबादले चौंकाने वाले थे. उसी दौरान एक और बात सामने आई कि दिसंबर 2014 में रॉय, बरवे और नगरले ने गृह मंत्रालय को लेटर लिखकर सीनियर्स के बुरे बर्ताव की शिकायत की थी. माना गया कि इस लेटर की वजह से ही रॉय को नॉन-एग्ज़िक्यूटिव पोस्टिंग में शंट किया गया.
और जब कसाब की फांसी की खबर सुनाई
मुंबई आतंकी हमले में पकड़े गए इकलौते आतंकवादी कसाब को कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी. उस फैसले को मीडिया के सामने बताने वाले हिमांशु ही थे. 6’2′ इंच का आदमी, भरा-गठा शरीर और बच्चन अमिताभ जैसी बेस वाली आवाज़. जब पत्रकार बार-बार उनसे हिंदी में बोलने के लिए कह रहे थे, तो उनके एक्सप्रेशन देखने लायक थे. होते भी क्यों न, कसाब से बयान उगलवाकर कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए उसे सज़ा दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका भी तो हिमांशु ने ही अदा की थी. अब उन बयानों में कितनी सच्चाई होती थी यह IPS हिमांशु और उनका राम जाने या फिर कसाब .
हिमांशु देश के उन चुनिंदा ऑफिसर्स में से थे, जिन्हें Z+ कैटेगरी की सुरक्षा दी गई थी. ये सुरक्षा उन्हें मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस और इंडियन मुजाहिदीन चीफ यासीन भटकल और दाऊद इब्राहिम की संपत्तियों को ज़ब्त करने की वजह से मिली थी. हिमांशु ने ही दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर के ड्राइवर आरिफ के एनकाउंटर का केस हैंडल किया था.
ये सब जान-सुनकर लगता है कि ऐसा क्या हुआ होगा कि हिमांशु रॉय जैसे इंसान ने खुदकुशी कर ली. वो इंसान, जो अपने काम में इतना active था, और जो रोमांटिक भी था और अपने प्यार से ही शादी भी की थी , वो अपने मां-बाप की इकलौती औलाद था, उसने किन हालात में ऐसा कदम उठा लिया.
कैंसर की वजह से मेडिकल लीव ले ली थी
अभी के लिए तो इतना ही कयास लगाया जा सकता है कि वो अपनी बीमारी से परेशान थे. ब्लड कैंसर से जूझ रहे थे. वो dipression में भी रहते थे , स्टेरॉयड लेते थे . 28 अप्रैल 2016 से मेडिकल लीव पर भी चले गए थे. एक पुलिस अधिकारी ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर बताया था कि साहब 6 महीने की छुट्टी पर गए हैं , और ज़िंदगी से न जाने क्यों मायूस नज़र आते हैं . हिमांशु की सर्विस को 7 साल बचे हुए थे. खबर यह भी थी कि वो वॉलंट्री रिटायरमेंट लेने वाल थे , लेकिन बाद में राज्य सरकार और खुश हिमांशु ने इस बात का खंडन किया था.
पुलिस के मुताबिक 11 मई 2018 को दोपहर 1:40 बजे हिमांशु ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर मुंह में डालकर गोली मारकर खुदकुशी कर ली. उन्हें बॉम्बे हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका.