हम अक्सर अपने लेखों और सम्पादकियों में ये लिखते रहे हैं की विपक्ष में रहकर सत्तापक्ष की योजनाओं और नीतियों की जो सियासी पार्टियां विरोध करती हैं सत्ता में आते ही स्वयं उन्ही योजनाओं को दुसरे नाम से कार्यान्वित (Impliment) करने में गौरवान्वित(proud) महसूस करती हैं .अब नोट बंदी पर कांग्रेस जिन योजनाओं पर काम कर रही थी बीजेपी उसका घोर विरोध कर रही थी जबकि आज उसी योजना को देश हित में तथा कालाधन व भ्रष्टाचार को ख़त्म करने का हथ्यार बताते न तो मोदी जी थक रहे हैं और न उनके सहयोगी , हालांकि देश भर में इस तरह अचानक नोट बंदी की प्रक्रिया को अमल में लाने से जो देश की अवाम को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है उससे जनता अच्छी तरह परिचित है ,इसका बदला सरकार से कैसे लेगी वो तो जनता ही जाने . देश की 80 % जनता खुद को ठगा सा महसूस कररही है .देश भर से भूखमरी और मौत के समाचार लगातार आरहे हैं .सरकार यह अच्छी तरह जानती है काला बाज़ारी और भ्रष्टाचार करने वाले लोग पहले ही हर समस्या का समाधान तलाश लेते हैं ।आज नोट की शक्ल में काला धन कितना बाहर आ पाया है इसका कोई आंकड़ा सामने नहीं आया आइये कुछ रिपोर्ट्स पर नज़र डालते हैं. और फैसला आपके हाथ में चाहे नोट बदली की इस योजना को आप कामयाबी कहें या नाकामी !
Reports ” पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन ने 500/1000 नोट बन्दी पर मोदी जी के भ्रम को दूर करने की कोशिश की पर उनकी आशंकाओं को दरकिनार कर दिया गया। गौरतलब है कि एक अनुमान के मुताबिक काले धन का 1% से भी कम भाग नोटों की शक्ल में है। नोट बदलने के प्रयास में लगभग 18 से 20 हज़ार करोड़ का खर्च आया है, पर इस अफ़रा तफ़री, असुविधा के बावजूद खर्च बराबर भी लाभ होने की उम्मीद नहीं है।
“जनवरी 2014 में जब यूपीए सरकार ने 2005 से पहले जारी हुए 31 मार्च तक के नोट बदलने का फैसला लिया था तब बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने तत्कालीन वित्त मंत्री के इस कदम की आलोचना की थी. बीजेपी की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम को निशाने पर लिया था और कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए नोटबंदी के इस फैसले को लेखी ने ‘गरीब विरोधी’ कदम करार दिया था.” तो आज यह ग़रीब के हक़ में कैसे होगया ?
लेखी ने कहा था ‘500 के नोट को विमुद्रीकरण करने की वित्त मंत्री की नई चाल विदेशों में जमा काले धन को संरक्षण प्रदान करने की है…यह कदम पूरी तरह से गरीब-विरोधी है.’उन्होंने पी. चिदंबरम पर ‘आम औरत’ और ‘आदमी’ को परेशान करने की योजना बनाने का आरोप लगाया था. खासकर उन लोगों को जो अशिक्षित हैं और जिनके पास बैंक खाता नहीं है. उन्होंने अपने बयान में कहा था कि देश की 65 फीसदी लोग नकद पैसे रखते हैं और पुराने नोट को बदलने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. मीनाक्षी लेखी ने कहा था ‘ऐसे लोग जिनके पास छोटी बचत है, बैंक खाता नहीं है, उनकी जिंदगी प्रभावित होगी. वर्तमान योजना से कालेधन पर लगाम नहीं लगेगी.’
तीन साल बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश देकर 500 और 1000 रुपये के नोट पर बंदी लगा दी है और करोड़ों लोग बैंक में लंबी लाइन लगाकर नोट बदलने का इंतजार कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में बीजेपी ने मीनाक्षी लेखी की जगह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को सरकार के बचाव में उतार दिया है.
“भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सरकार के निर्णय का विरोध करने वाली विपक्षी पार्टियां कालेधन का समर्थन करती हैं. उन्होंने कहा ‘मैं कालाधन रखने वालों, नकली नोट, आतंकवादियों, हवाला कारोबारियों, नक्सलवादियों और ड्रग तस्करों का दर्द समझ सकता हूं. मुझे सबसे ज्यादा हैरानी इस बात से हुई कि इसमे कुछ राजनीति पार्टियां भी शामिल हैं.’हालांकि पीएम मोदी के इस कदम की प्रशंसा हो रही है लेकिन कई विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि इससे गरीबों को परेशानी हो रही है.”
प्रधान मंत्री मोदी जी कह रहे हैं की नए नोट छापने की प्रक्रिया छह महीने पहले ही शुरू कर दी गई थी, किन्तु नए नोटों पर उर्जित पटेल (RBI के नए गवर्नर ) के हस्ताक्षर (signature ) आ रहे हैं जबकि उन्होंने रघुराम राजन के बाद सितम्बर 2016 को ही गवर्नर का भार संभाला है । तो 6 माह पहले किस क्षमता में उन्होंने नए नोटों पर signature करदिये यह खबर सीधे सीधे मोदी सरकार की सत्यता और विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग रही है।एक रिपोर्ट के मुताबिक़ देश की 80 % जनता ने अभी 1000 का नोट भी नहीं देखा है ऐसे में 2000 का नोट मार्किट में आजाना क्या भारत की ग़रीब जनता के लिए एक खुआब ही रहेगा ? editor’s desk
what a newspaper! i am really proud that in my country there are these kind of newspaper.infact my name is nameera fatima khan and i wanted to join u. i think i will soon join u inshaallah. wishes u good luck
regards
nameera .
Chor chor mausere bhaii.. dosto pakistan me demonetisation nahi ho rha hai bus pakdo or nikal lo,,, modi pe koi fark nahi padne wala