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विश्व पर्यावरण दिवस , और मानव जाती

विश्व पर्यावरण दिवस , और मानव जाती

Ali Aadil khan

दुनिया में हर रोज़ कोई दिवस मनाया जाता है , दिवस मानाने का महत्व क्या है , जिस दिन को सेलिब्रेट किया जा रहा है उसकी मुख्यता , मान्यता का प्रचार हो , जागरूगता आये। लेकिन विडंबना यह है की कभी ऐसे भी दिन मन लिए जाते हैं जिनकी जागरूकता तो दूर की बात कभी ज़िक्र भी नहीं होना चाहिए जैसे किश डे , घूँसा डे , और भी कई बेहूदा नामों से डे मानाने का फैशन आम है।

लेकिन आज 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और 1972 से लगातार दुनिया के अलग अलग देश इस दिन को मनाने की मेहमानी करते हैं , और हर बार कोई अलग TOPIC रखा जाता है , पिछले वर्ष चीन ने मेहमानी की थी और TOPIC था BEAT AIR POLLUTION ,यानी वायु प्रदूषण को हराना है , अब आप खुद ही देख लें दुनिया से POLLUTION कितना कम हुआ , भला हो या न हो जो भी आप माने इस CORONA का

,जिसके बाद LOCKDOWN के चलते FACTORIES बंद होगईं , AIR TRAFFIC , ROAD TRAFFIC लगभग ZEERO हो गया जिसकी वजह से AIR POLLUTION काफी कम हो गया ,शायद चीन ने अपने वादे को पूरा करने के लिए दुनिया को LOCKDOWN करा दिया हो , ताकि जिस THEME यानि Air Pollution को हराना है की मेहमानी की थी उस विषय पर कुछ काम करके दिखाया जाए , जिसके बाद दुनिया में वायु प्रदूषण काफी काम हुआ , हालांकि यह सिर्फ मज़ाक़ में कह रहे है ,Covid 19 तो अपने आप में एक बहुत सोची समझी साज़िश का नतीजा है और ऐसी एक फिल्म है जिसको आप सिर्फ देखते रहें मगर कोई सवाल न करें , मगर Covid 19 के इस पूरे खेल कई दुसरे बड़े मुद्दे और मसले पैदा हो गये।जिसका भुक्तान दुनिया अभी करना है।

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इस वर्ष जर्मनी और कोलम्बिया ने इस दिन को मानाने के लिए दुनिया के देशों को अपने यहाँ जमा किया इस बार का TOPIC है BIO DIVERSITY यानी जैव विविद्धता है , हम जानते हैं दुनिया से कई प्रकार की जातियां रफ्ता रफ्ता खत्म होती जा रही हैं जो हमारे वातावरण के लिए हानिकारक हैं क्योंकि तमाम जातियों , जीवों , जंतुओं को पैदा करने वाला रब बेहतर जानता है की किस जाती से मानव वातावरण का क्या लाभ है।

अब जैसे हमारे यहाँ से परिंदों में गिद्ध जाती का लगभग खात्मा होगया है , इसी प्रकार कई और जीवों की प्रजातियां हैं जिनका खात्मा होगया , जबकि वो मानव जीवन के लाभकारी थे। गिद्ध, गौरैया विलुप्त होने के कगार पर पहुंचने वाले पक्षियों में एक हैं। इसी प्रकार एशियन बाघ भी कम से कम एशिया के कई देश से गायब हो चुका है।

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जड़ी बूटी एवं खाद्य वनस्पतियों में भी कई चीजें धीरे-धीरे समाप्त हो रही हैं। आवश्यकता इस बात की है कि पहले तो लोगों को यह जानकारी हो कि वे कौन-कौन सी प्रजातियां हैं जो लुप्त हो चुकी हैं अथवा लुप्त होने के कगार पर हैं। अभी भी थोड़ी सी जागरुकता लाकर कई मानव मित्र जैव प्रजातियों को बचाया जा सकता है। और यही उद्देश्य होता है इन दिनों के मनाने का।

लेकिन उम्मीद की जाती है इंसान धरती पर आने वाले लगातार प्राकृतिक आपदाओं को गंभीरता से लेकर सबक़ लेगा और अपने पर्यावरण , और मानवता हित के लिए धरती पर काम करेगा और हर उस बुरी आदत को छोड़ने का संकल्प लेगा जिससे मानव जाती के साथ सभी जीव जंतुओं और जल जलवायु और पर्यावरण को हानि पहुँचती हो।

आइये हम भी आज 5 जून के विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते हुए संकल्प लें , हम ऐसी सभी आदतों को छोड़ देंगे जिनसे हमारे , पर्यावरण , जीव जंतुओं तथा जल और जलवायु प्रदूषित होती है।साथ ही समाज को मानव मैत्रिक बनाएंगे तथा सम्पूर्ण जैविक जातियों की रक्षा के लिए अपने आस पास जागरूकता फेलायेंगे .

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