उत्तर प्रदेश लोक तथा निजि समपत्ती वसूली अध्यादेश 2020 पर 27 मार्च को योगी सरकार HC में तलब
इलाहाबाद, Press Release// आज दिनांक 18/03/2018 को माननीय उच्च न्यायालय इलाहबाद में उत्तर प्रदेश लोक तथा निजि समपत्ती वसूली अध्यादेश 2020 को संविधान बचाओ देश बचाओ अभियान ( SBDBA ) की तरफ़ से पिटिशनर अश्मा इज्ज़त अधिवक्ता (संविधान बचाव देश बचाव अभियान की लीगल कोआर्डिनेटर), माहा प्रसाद व मो0 कलीम पिटिशनर हैं।
इस केस की सुनवाई मुख्य न्यायधीश जस्टीस गोविन्द माथुर की डिविज़न बेन्च के समक्ष हुई जिसमें सुपिम कोर्ट के सिनियर अधिवक्ता श्री कोलिन गोन्सालवेज़ ने बहस की, कोर्ट ने स्टेट काउन्सिल को आदेश दिया कि दिनांक 25/03/2020 को इस PIL पर अपना जबाब दाखिल करें, 27/03/2020 को इस मुद्दे पर सुनवाई की अगली तारीख है।
अघ्यादेश को चुनौती के आधारः
अध्यादेश में है कि उसके द्वारा बनाये गये ट्रिब्यूनल में कोई भी जुडिसिल मेम्बर नही होगा।(जुडिसियल मेम्बर के बिना कोई भी ट्रिब्युनल कानूनी रूप से गलत है।) अध्यादेश जिस दिनांक को पास हुआ है उसी दिनांक के बाद के अपराधों पर लागू होता है यह अध्यादेश 2020 में आया है, घटना और एफ0 आई0 आर0 2019 की है।
अध्यादेश के मुताबिक इसके द्वारा बनाये गये ट्रिब्यूनल के द्वारा दिया गया आदेश ही अन्तिम आदेश होगा। (अपील में जाने के अधिकार से वंचित किया गया है।)
SBDBA के कन्वीनर व सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमीक जामई इस वक्त उच्च न्यायालय मे मौजूद थे, जामेई ने कहा 19 दिसंबर के बाद वह सभी निर्दोष फँसाए व परेशान लोगो के साथ है, और हमारा न्यायालय पर विश्वास है की इस ग़ैरक़ानूनी अध्याधेश पर माननीय उच्च न्याययल स्टे लगाएगी!
SBDBA के कन्वीनर व सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमीक जामई ने कही की सर्वोच्च न्यायालय के 2009 जजमेंट मे लिखा है की अगर किसी को नोटिस देना है तो विडियो सबूत देना जरूरी है और होर्डिंग मामले मे SC मे यूपी पुलिस को कहा की विडियो निकालिये, विडियो वेरिफ़िकेशन करिए तब ही नोटिस दे सकते है!
सम्बंधित खबर के लिए लिंक पर क्लीक करें
जामेई ने कही की ग़ैरक़ानूनी उत्तर प्रदेश लोक तथा निजि समपत्ती वसूली अध्यादेश 2020 मे रिकवरी के लिए किसी विडियो, वेरिफ़िकेशन व एविडेंस की कोई ज़रूरत नही है!
SBDBA के कन्वीनर व सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमीक जामई ने कहा की हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने कहा पिछले जजमेंट मे यूपी सरकार से कहा है की फ़ोटो लगाना ग़ैरक़ानूनी है, लेकिन उत्तर प्रदेश लोक तथा निजि समपत्ती वसूली अध्यादेश 2020 मे किसी का भी फोटो होर्डिंग मे लग सकता है! बिना सबूत फ़ोटो लगाना आर्टिकल 21 राईट टू लाइफ़ को ख़तरा और Right to Privacy का उल्लंघन है।जिसके जरिए राज्य निमंत्रण देता है की जनता पता जानकर हमला कर दे या लिंच कर दे!
वरिष्ट अधिवक्ता कॉलिन गॉंसाल्वे ने कहा की ट्रायब्यूनल मामले मे सर्वोच्च न्यायालय के कोंस्टीट्यूशन बेच का पाच महीने पहले का फैसला है की ट्रायब्यूनल मे नॉन जुडीशियल मेंबर नही हो सकता , उत्तर प्रदेश लोक तथा निजि समपत्ती वसूली अध्यादेश 2020 का ट्रायब्यूनल मे कोई भी नॉन जुडीशियल सदस्य होना ग़ैरक़ानूनी है!
श्री गॉंसल्वेस ने बताया की चीफ जस्टिस गोविंद माथुर व जज समित गोपाल की पीठ ने संक्षिप्त मे सुनवाई करते हुए मामले को अर्जेंट समझ सरकार के एडवोकेट जनरल को कहा की 25 मार्च तक सरकार प्रावधानों पर जवाब दे और 27 मार्च को सुनवाई की तारीख़ तय की है! इंहोने कहा की ट्रायब्यूनल का फ़ैसला AFSPA से भी ज्यादा ख़तरनाक है, इसके फ़ैसले को चैलेंज यानी “राईट टू अपील” नही हो सकता है और न ही सबूत की कोई ज़रूरत है, यह इमर्जेंसी से भी ज्यादा ख़तरनाक कानून है!