कृषि कानूनों के सम्बन्ध में केंद्र सरकार का निर्णय दो दशकों के विचार-विमर्श का नतीजा है, अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी
नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसान आंदोलनकारियों की ओर से ट्रेक्टर मार्च निकाले जाने की धमकी से घबराई सरकार ने तुरंत सर्वोच्च न्यायलय से इस सम्बन्ध में दख़ल देने की अपील की, ज़ाहिर है किसानो की ये धमकी कोई मामूली नहीं है |
किसान आंदोलन का प्रभाव अब केंद्र तथा राज्य सरकारों पर पड़ता दिखाई देने लगा है जिसके चलते खट्टर सरकार ने Law & Order को मेन्टेन रखने के लिए गृह मंत्री अमित शाह से राब्ता साधा है | इस सम्बन्ध में आज हरयाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात कर रहे हैं | याद रहे दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के कई विधायक पार्टी से इस्तीफा देने की बात करते रहे हैं जिसके दर से दुष्यंत चौटाला उनकी घेराबंदी की रणनीति में भी मसरूफ हैं जबकि चौटाला स्वयं भी किसान बिल के मुद्दे पर हरयाणा सरकार से अपनी नाराज़गी जताते रहे हैं|
आपको बता दें की केंद्र सरकार द्वारा SC को दिए गए आवेदन में कहा गया, ”इस तरह के मार्च अथवा रैली के कारण गणतंत्र दिवस उत्सव में व्यवधान पैदा हो सकता है और कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है. ऐसे में शीर्ष अदालत से किसी भी तरह के मार्च, रैली अथवा वाहन रैली को रोकने के संबंध में अनुरोध किया जाता है.” हालाँकि केंद्र सरकार और राज्यों के कई मंत्रियों पर लोकतंत्र तथा संविधान की अवहेलना करने के आरोप पहले से लगते रहे हैं |
केंद्र ने कोर्ट को बताया कि कृषि कानूनों के मामले में जल्दबाजी नहीं की गई बल्कि यह “दो दशकों के विचार-विमर्श का नतीजा” है. देश के किसान खुश हैं क्योंकि उन्हें मौजूदा विकल्पों के साथ एक अतिरिक्त विकल्प दिया गया है… कोई निहित अधिकार नहीं छीना गया है.”
सरकार ने कहा कि उसने किसानों के दिमाग में चल रही किसी भी तरह की गलतफहमी को दूर करने के लिए किसानों के साथ जुड़ने की पूरी कोशिश की है. हलफनामे में कहा गया, “केंद्र की ओर से प्रयासों में कोई कमी नहीं की गई है.”
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने केंद्र को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था | बता दें कि शीर्ष न्यायालय किसान के प्रदर्शन और कृषि कानूनों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है | सोमवार की कार्यवाही में सर्वोच्च न्यायालय की न्याय पीठ ने केंद्र सरकार को भले ही फटकार लगाई हो किन्तु पिछले कई बड़े मामलों में न्यायिक तौर से सर्वोच्च न्यायालय केंद्र सरकार के प्रभाव में नज़र आती रही है जिसके आरोप विभिन्न संस्थाएं तथा विपक्षी दलों के नेता लगते रहे हैं |