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तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के मंत्रियों ने एक-दूसरे पर लगाया ‘नया विवाद’ पैदा करने का आरोप

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के मंत्रियों ने एक-दूसरे पर लगाया ‘नया विवाद’ पैदा करने का आरोप

आंध्र प्रदेश सरकार ने मंगलवार को गोदावरी नदी पर निर्माणाधीन पोलावरम बहुद्देशीय परियोजना पर तेलंगाना सरकार के दावों का विरोध किया और कहा कि वह पड़ोसी राज्य के साथ ‘नया विवाद’ पैदा करने की कोशिश न करे।

तेलंगाना के मंत्री पुववाड़ा अजय कुमार के सुझाव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि गोदावरी में ज्यादा बाढ़ की वजह भद्राचलम में पोलावरम परियोजना है।

वहीं आंध्र प्रदेश सरकार के जल संसाधन मंत्री अंबाती रामबाबू ने हैरानी जतायी कि परियोजना भद्राचलनम में बाढ़ का कारण कैसे हो सकती है।

जल संसाधन मंत्री रामबाबू ने तेलंगाना से पूछा, “केंद्र ने सभी सर्वेक्षणों के बाद पोलावरम के लिए सभी अनुमतियां दी हैं। केंद्र ने तेलंगाना के सात मंडलों का आंध्र प्रदेश के साथ विलय किया क्योंकि बहुद्देश्यीय परियोजना के कारण जलमग्न होने का खतरा था। अगर हम पांच गांव वापस देते तो क्या आप हमें भद्राचलम वापस देते?”

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आंध्र प्रदेश के जल संसाधन मंत्री ने आगे कहा कि भारी बारिश होने पर बाढ़ प्राकृतिक थी। तेलंगाना केंद्रीय जल आयोग से पता लगा सकता है कि क्या वास्तव में पोलावरम उस राज्य के गांवों में बाढ़ का कारण बनी है।

रामबाबू ने आगे कहा, “अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच कोई विवाद नहीं हैं। कृपया नए विवाद पैदा करने की कोशिश न करें। अगर कोई समस्या है तो दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री इसे सुलझा सकते हैं।
वाईएसआर कांग्रेस के प्रवक्ता पर्नी वेंकटरमैया ने तेलंगाना के मंत्री के दावे का मजाक उड़ाया और कहा कि पड़ोसी राज्य जाहिर तौर पर भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहा है क्योंकि उस राज्य में चुनाव जल्द ही होने वाले हैं।

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प्रवक्ता ने पूछा, “1986 में कोई पोलावरम नहीं था, तब भद्राचलम में बाढ़ नहीं आई थी? इस विषय पर बुनियादी जानकारी के बिना अजय कैसे मंत्री बन गए।”

आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि तेलंगाना सरकार भद्राचलम के प्रति सौतेला रवैया दिखा रही है। वेंकटरमैया ने कहा, “अगर आपको भद्राचलम से कोई प्यार नहीं है, तो इसे आंध्र प्रदेश को दे दें। वैसे भी यह 1953 में तत्कालीन आंध्र राज्य में था।”

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