इमामों और उलेमा के मुद्दों को हल करने के लिए जल्द ही वक्फ बोर्ड के साथ होगी बैठक :इमरान हुसैन

नई दिल्ली 14 अक्टूबर 2020//Special correspondent TOP BUREAU//यूँ तो देश और दुनिया के सभी असरी और ग़ैर असरी तालीमी इदारों के कारकुनों और मालिकान की माशी हालत पर मनफ़ी असर पड़ा है मगर मज़हबी इदारों और मदारिस के असातज़ा और कारकुनान ज़्यादा मुतास्सिर हुए हैं .
दरअसल मदारिस दीनी व असरी क़ौम के मज़हबी व सक़ाफ़ती तशख़्ख़ुस को हिंदुस्तान में लगभग पिछले ३०० बरसों से मेहफ़ूज़ किये हुए हैं , गोया क़ौम की बक़ा का ज़िम्मा मुल्क व् दुनिया के मदारिस ने ही अपने कांधों पर उठाया हुआ है .
और अजीब बात यह है कि इन तमाम मदारिस का करोड़ों का खर्च मिल्लत के अहल इ खैर हज़रात के ताव्वुन से चल रहा है . मुझे याद है जब देश में UPA सरकार के वक़्त तमाम मिल्ली मदारिस के Moderisation कि बात चली तो मुल्क के तमाम ज़िम्मेदार उलेमा ने सरकार की इस तहरीक को सिरे से नकार दिया था सिवाए चंद मदारिस के ,जो बाद में पछताए.
मुझे याद है मौलाना अरशद मदनी साहब से इस बारे में जब मेरी मुफ़स्सल बात हुई तो उन्होंने कहा था हम मदरसों की जदीदकारी या modernisation के ख़िलाफ़ नहीं हैं बल्कि हम यह चाहते हैं सरकार अपना ताव्वुन बिला शर्त हमको दे दे . हमारे निसाब में हमारे इंतज़ाम में उसका कोई दखल हमको बर्दाश्त नहीं, चुनांचे यही हुआ .
इसी सिलसिले में जवाहर लाल नेहरू नेशनल युथ सेंटर दीन दयाल उपाध्याय मार्ग आई टी ओ दिल्ली में “मजलिस तहफ़्फ़ुज़ इ शरीअत इस्लामी हिन्द ” के ज़ेरे इंतज़ाम बा उन्वान “असातज़ा , मदारिस , चैलेंजेज़ और हल” एक अज़ीमुश्शान कांफ्रेंस का एहतमाम किया गया . इस कांफ्रेंस की सदारत मौलाना अब्दुस्सुब्हान क़ासमी सदर जमीअत उलेमा दिल्ली व नाज़िम ए आला मदरसा तालीमुल क़ुरआन नबी करीम ने की .
मुशावरती मजलिस का आग़ाज़ क़ारी कयामुद्दीन की तिलावत ए कलाम ए पाक से किया गया , और मौलाना अब्दुल बासित ने इस मौक़े पर नात ए पाक पेश की .
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मेरी उम्मत के हर अक़्लमंद इंसान पर चार चीज़ें वाजिब हैं। इल्म हासिल करना, उस पर अमल करना, उसकी हिफ़ाज़त करना और उसे फैलाना(हदीस ए नबवी)
मौलाना मुहम्मद जावेद सिद्दीकी क़ासमी सदर मजलिस तहफ़्फ़ुज़ ए शरीअत इस्लामी हिन्द ने तहरीक के अग्रiज़ ओ मक़ासिद पर मुख़्तसर रौशनी डालते हुए तमाम मोअज़्ज़िज़ महमानान और अकाबरीन का तार्रुफ़ कराया . मौलाना ने कहा आज इस मजलिस में हरयाणा , बिहार , उत्तर प्रदेश और दिल्ली के वो तमाम मुफक्किरीन ए मिल्लत ओ मदारिस मौजूद हैं जिनको इनसे पूरी हमदर्दी है .और ये तमाम शूर्का उलमा और असातज़ा से बेहद मोहब्बत और अक़ीदत रखते हैं .उन्होंने कहा मदरसों और तालीमी इदारों का तहफ़्फ़ुज़ गोया क़ौम का तहफ़्फ़ुज़ है , मौलाना ने कहा मदरसा ,तालीम , उस्ताज़ तीनो का आपस में जोड़ ही आपस में एक दुसरे के साथ ताल मेल ही उनका तहफ़्फ़ुज़ और बक़ा का मज़हर हैं .

इस मौक़े पर मौजूद दिल्ली सरकार में वज़ीर बराये फ़ूड और सिविल सप्लाई मुहम्मद इमरान हुसैन ने इस मजलिस और कांफ्रेंस को बहुतु हम बताया और कहा कि मुझे जाती तौर से इस प्रोग्राम में शिरकत के बाद एहसास हुआ कि मदारिस के असताजा किस क़दर मराहिल में गिरफ्तार हैं . उन्होंने उलेमा , असताजा और अइम्मा हज़रात के मसाइल के हल के लिए दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन और ज़िम्मेदारां के साथ जल्द ही एक मीटिंग करने का फैसला भी लिया . और इस बात कि यक़ीन दहानी कराई कि जल्द ही इस संगीन मसले का इंशाल्लाह हल निकाल लिया जाएगा , और मुदर्रिसीन को बतौर ए ख़ास कहा वो कटान मायूस न हो इंशाल्लाह जल्द ही इसका हल सामने आएगा .
मौलाना अज़ीमुल्लाह सिद्दीकी इंचार्ज मीडिया सेल जमीअत उलमा हिन्द ने अपने बयान में कहा दीनी इदारे यक़ीनन क़ौमी पहचान और मज़हबी तशख़्ख़ुस का हम जरिया हैं और इनकी बक़ा और हिफाज़त हम पर लाज़िम है .
मुफ्ती अब्दुल वाहिद कासमी सदर वली इलाही दारुल इफ्ता दिल्ली ने कहा कि कई महीनों से मदारिस के असातज़ा की तंख़वह नहीं दी गयी हैं जिसकी वजह से वो कस्मा पुरसी की हालत में हैं , ज़रूरत है इस बात की अपने अपने इलाक़ों में ऐसे असातज़ा की निशाँ दही करके उनको फौरी मदद फ़राहम कराई जाए .
मदरसा तजवीद-उल-कुरान आजाद मार्केट के उस्ताज़ मुफ्ती ज़कारिया कासमी ने कहा की मुझे इस बात की ख़ुशी है कि यहां ऐसे लोग मौजूद हैं जो मज़हबी इदारों और उनके असताजा के बारे में फिक्रमंद हैं और कॉशन हैं ।
दिल्ली के मदरसा, ताजवेद-उल-कुरान, आजाद मार्केट के अंग्रेजी विभाग के उस्ताद मौलाना अब्दुल रहमान कासमी ने कहा कि मदरसों के उस्ताज़ तब ही मज़हबी इदारों में अपनी खिदमात को ईमानदारी से निभा सकते हैं जब वे उनकी बुनियादी ज़रूरतों को आसानी से पूरा किया जाए , और उनको ज़रिये मार्श की कोई फ़िक्र न हो .
मौलाना मुफ़्ती नादिर क़ासमी सदर इस्लामिक फ़िक़्ह अकादमी ओखला ने कहा असताजा और मुदर्रिसीन कि खबर गिरी यक़ीनन ज़रूरी अमल है लेकिन पाएदार नहीं है असताजा की 2 या 4 माह कि तन्खोआह मोहय्या करना यह एक खिदमत है और अच्छी कोशिश है मगर मुसकिल हल नहीं है , हमें ग़ौर करना चाहिए कि उलमा का तब्क़ा हर ऐतबार से मज़बूत कैसे हो , दुसरे कोनसे जाइज़ ज़राये हैं जिनसे इस मरहले को हल किया जा सकता है , उलमा को भी कारोबारी नेहज पर ग़ौर करना चाहिए , उन्होंने ख़ुशी का इज़हार करते हुए कहा आज की इस मजलिस को इस सिलसिले की एक कड़ी कह सकते हैं .
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मैं अपनी उम्मत की फ़क़ीरी से नही,बल्कि बेतदबीरी से डरता हूँ।(हदीस ए नबवी)
जमीअत उलेमा दिल्ली के नायब सदर कारी अब्दुस्समी ने अपने तवील ख़ुत्बे में इस बात पर ज़ोर दिया उलमा के होंसले कभी भी पास्ट नहीं होने चाहिए , जिस खिदमत और शग़ल में आप लोग मसरूफ हैं इससे बड़ी कोई खिदमत और मनसब नहीं होसकता , लिहाज़ा आपलोग अल्लाह पर पूरा भरोसा रखें रब आपको कभी जाए नहीं करेगा , और अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त नबियों के वरिसीन को कभी रुस्वा नहीं होने देंगे , बशर्त ये कह हम अपने अमल में मुख्लिस हों .
मुफ़्ती डॉ आसिफ इक़बाल ने कहा अहल ए मदारिस मुल्क और मिल्लत के मेमार हैं और उनकी तरक़्क़ी मुल्क कि तरक़्क़ी है , उन्होंने इस बात भी ज़ोर दिया कि मदारिस के असातज़ा और उलमा के बारे में क़ौमी सरबराहां को भी सोचना चाहिए .
अनीस दुर्रानी प्रिन्सिपल ज़ूबी स्कूल फर्शखाना ने अपने इज़हार ए ख्याल में कहा कि हमने अपने तलबा कि 4 माह की फीस माफ़ की है और आइंदा भी इसका हम ख्याल रखेनेगे अगर ज़रुरत पडी तो हर मुमकिन मदद करेंगे इंशाल्लाह .
जुबेर शैख़ डॉ ज़ाकिर हुसैन स्कूल जफराबाद ने कहा कि जो क़ुरआन सीखे और सिखाये उनसे बेहतर कौन होसकता है और इनकी मदद इंशाल्लाह ज़रूर होगी.
इस मौक़े पर मौलाना अब्दुस्सुब्हान क़ासमी नाज़िम आला , मदरसा तालीमुल क़ुरआन नबी करीम दिल्ली अपने सदारति ख़ुत्बे में कहा कि सभी मुक़र्रिरीन ने मदरसा के असातज़ा कि मौजूदा सूरत ए हाल को बड़ी रिक़्क़त आमेज़ तरीके से पेश किया , उन्होंने तमाम शुर्क कि तवज्जेह मबज़ूल कराते हुए कहा कि आज अहलेखेर क़ौम के सरमायेदारों और ज़िम्मेदारां को आगे आने कि शदीद ज़रुरत है , यह एक मिल्ली फ़रीज़ा है , उलेमा और असातज़ा कि ख़बरगीरी गर आप और हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा , सदर ए मोहतरम ने अपने बयां को मुख़्तसर करते हुए कहा कि इस जैसे या मीटिंग का मक़सद अवाम और अहल ए खैर कि तवज्जेह इस खैर के काम के लिए दिलाना था .
इस मौक़े पर मौलाना अब्दुस्सुभ्यं क़ासमी सदर मशावृती मजलिस को मुफक्किरुल उलमा से मौसूम अवार्ड से नवाज़ा गया और अमामा भी बंधा गया . मौलाना अब्दुस्सुब्हान क़ासमी , मौलाना मुहम्मद जावेद सिद्दीकी क़ासमी और मुफ़्ती अब्दुल वाहिद क़ासमी ने मुफ़्ती नादिर क़ासमी ,मौलाना ाबुनसर क़ासमी इंजीनियर अब्दुल वाहिद दिल्ली का अमामा बांधकर इस्तक़बाल किया .
कांफ्रेंस में मज़ीद इज़हार ए ख्याल करने वालों में मुफ़्ती अली अहमद , मौलाना ग़ुलाम रसूल , मौलाना मुक़ीम , डॉ अख्तर , मौलाना मरग़ूबुर्रहमान क़ासमी , तारिक़ रज़ा चीफ़ एडिटर दौर ए जदीद क़ाबिल ए ज़िक्र हैं .
शुर्क मजलिस में , उलमा , इमाम , दानिश्वरों ,समाजी सरकर्दा शख्सियत , इलाक़ों के ज़िम्मेदारान , सहाफ़ी हज़रात , प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के नुमाइन्दगान शामिल रहे .