9 अगस्त 1942
“अंग्रेजों भारत छोड़ो“
9 अगस्त 2023
“अंग्रेजों के गुलामों भारत छोड़ो”
भारत की आजादी के वक्त महात्मा गांधी ने कहा भारत आजाद हुआ है लेकिन उसके 7 लाख गाँव गुलाम है अब हमें उनकी मुक्ति की लड़ाई लड़नी पड़ेगी। लेकिन स्वतंत्र भारत की हर सरकार गाँव की उपेक्षा करके कॉर्पोरेट घरानों के पक्ष में काम करती रही है।
आज स्थिति अपने चरम पर जा पहुंची है। भारत सरकार अपनी सारी संपत्ति को कॉर्पोरेट घरानों को सौंप रही है। भारत के संसाधनों और संपत्ति पर कॉर्पोरेट का कब्जा समय के साथ बढ़ता चला जा रहा है।
आजादी की लड़ाई के समय से ही महात्मा गांधी जी ने हमेशा गाँव की स्वतंत्रता की बात की है। अतीत और वर्तमान के संघर्षों और आंदोलनों से एक बात स्पष्ट होती है कि आज भी हमारे गाँव यानी कि किसान, मजदूर, छोटा व्यापारी, निम्न और मध्यम वर्ग और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहने वाले, आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा पाने के लिए अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
गाँव में युवाओं की शादियां सिर्फ इस कारण से नहीं हो रही है कि उनके पास आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा नहीं है यह स्थिति इस बात का प्रमाण है कि आज हमारे गाँव गंभीर संकट से गुजर रहे हैं। बढ़ता भ्रष्टाचार और कालाधन भी इसी व्यवस्था की देन है जिसमें कॉर्पोरेट और कॉर्पोरेट हितैषी नीतियों को लागू करने वाले लोग सब तय करते हैं कुछ लोगों तक ही संसाधनों और संपत्ति का नियंत्रण रखते है।
क्या आजादी के संग्राम में शहीद हुए आंदोलन सेनानियों के सपनों का भारत बन पाएगा? क्या पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को बुनियादी सुविधाएं मिल पाएंगी? इसलिए हम सभी देशवासियों से अनुरोध करना चाहते है कि कोरोना काल के बाद से स्थितियाँ नाजुक हो चली है जिसमें सबसे अधिक गाँव पिसते चले जा रहे है। जिसका असर यह हो रहा है कि देश में आत्महत्याओं में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
गाँव वर्तमान में आर्थिक और सामाजिक असुरक्षा के दौर से गुजर रहे है। इसलिए, अगर हम सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के साथ जीना चाहते है तो हमें इस कॉर्पोरेटीकरण को रोकने के लिए एक साथ खड़े होने की आवश्यकता है। यह चिंताजनक स्थिति है क्योंकि स्थिति अब, “अभी नहीं तो कभी नहीं” पर जा चुकी है। इसलिए हमें बढ़ते कॉर्पोरेटीकरण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए एक साथ आना होगा। जिसके लिए एक संयुक्त अभिक्रम पैदा करना होगा।