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मोरबी आपदा में भी अवसर

मोरबी आपदा में भी अवसर

मोरबी के झूलते पुल्ल हादसे की ज़िम्मेदारी टिकट चेकर और सिक्योरिटी गार्ड्स पर डाली गयी है . जबकि Oreva कंपनी का मालिक जयसुख पटेल अभी तक गिरफ़्तार नहीं हुआ है .

Ali Aadil Khan

Editor’s Desk

मोरबी आपदा में भी अवसर , अस्पताल की चमकी क़िस्मत

 

गुजरात के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर केबल पुल हदसा ऐसे वक़्त में हुआ है जब गुजरात में चुनावी माहौल पूरे शबाब पर है . इस पूरे प्रकरण में हमें ज़्यादा कुछ नहीं कहना क्योंकि बहुत कह दिया गया है .कहा जाता रहा है .और जिसका हासिल भी कोई ख़ास नहीं …..

लेकिन एक बात हमको ज़रूर केहनी है . उससे पहले 134 मृतकों के परिवार जनों को टाइम्स ऑफ़ पीडिया की पूरी टीम की तरफ से संवेदना और सहानुभूति पेश है .

जिस गुजरात को २०१४ के आम चुनाव से पहले मॉडल के तौर पर पेश किया गया था देश के सामने उस गुजरात के सिर्फ एक सरकारी अस्पताल की हालत सामने आई . 

 

जहाँ पीने के पानी तक का इंतज़ाम नहीं था , छत से मरीज़ों पर गिरती Cement की पपड़ियां , दीवारों से झड़ता सीमेंट , पंखों पर जमी मिटटी और मरीज़ों के beds की चादरें मैली ,इस सबका पता चला एक आपदा के बाद .

 

देश में न जाने कितने सरकारी अस्पताल ऐसे हैं जिनकी हालत इससे भी बुरी हो सकती है . आपको गोरखपुर के बाबा राघव दास Medical College का हादसा याद ही होगा जिसमे Oxygen Cylenders के ना होने की वजह से 60 से ज़्यादा बच्चों ने दम तोड़ दिया था .

उस वक़्त भी सरकारी ला पर्वाही या भ्रष्टाचार का जुर्म डॉ कफील के सर मंढ दिया गया था . इसी तरह अब मोरबी के झूलते पुल्ल हादसे की ज़िम्मेदारी टिकट चेकर और सिक्योरिटी गार्ड्स पर डाली गयी है  .  जबकि Oreva कंपनी का मालिक जयसुख पटेल अभी तक गिरफ़्तार नहीं हुआ है .

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यहाँ 2 बड़े सवाल जो ख़ास तौर से गुजरात सरकार से किये जा रहे हैं . Oreva के मालिक जयसुख लाल को कब तक गिरफ़्तार किया जाएगा ?

दुसरे मोरबी सिविल अस्पताल का आनन् फानन हुलिया मरीज़ों के लिए बदला गया था या PM मोदी के आगमन में और उनके स्वागत में ऐसा किया गया था ?

आपने देखा होगा हमारे सरकारी अस्पताल , स्कूल , सरकारी दफ्तर , सड़कें और कभी तो अहमदाबाद जैसे कुछ शहर भी किसी VIP या VVIP की आमद पर बनाये सँवारे जाते हैं .

आपने यह भी देखा होगा सरकारी अस्पतालों और संस्थानों में कभी कभी बुनयादी सहूलत तक मोहय्या नहीं होतीं .

जैसे ही किसी VIP , मंत्री या प्रधान म्नत्री की Visit का Programme बनता है बस फिर हंगामी तौर पर शुरू हो जाती हैं तैयारियां .

ऐसा ही कुछ उस वक़्त देखने को मिला जब मोरबी पुल हादसे के बाद एक अस्पताल में भर्ती किये गए मरीज़ों को देखने का प्रधान म्नत्री का प्रोग्राम बना .

देखते ही देखते मोरबी सिविल अस्पताल की हालत ही बदल गयी . जिस सरकारी अस्पताल में पीने के पानी का कूलर तक गंदगी से भरा था . अस्पताल की छतें टपक रही थी , पंखों और दुसरे इलेक्ट्रिक सामानो तथा मेडिकल उपकरणों पर मिटटी और धूल जमी हुई थी .

अब PM मोदी की आमद की खबर के बाद उसके Toilet Bathroom तक चमका दिए गए थे .

और इस पूरे काम को करने में समय लगा सिर्फ एक दिन और एक रात का . इस पूरे कारनामे को अंजाम दिया 40 लोगों ने . यक़ीन मानें अगर इस हादसे के ये मरीज़ इस अस्पताल में न आये होते तो इस अस्पताल की ये चमकती हालत 40 साल में भी अंजाम नहीं दी जा सकती थी . इसी को आप कह सकते हैं आपदा में अवसर तलाशने का अवसर …..

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लेकिन यहाँ एक विडंबनात्मक बात यह है की जब भी कोई मीडिया हाउस या पत्रकार किसी हादसे की सच्चाई को दिखाना चाहती है , या System को ठीक करने केलिए जनता की भलाई के लिए आगे आती है तो इस बीच पुलिस प्रशासन को आगे कर दिया जाता है .

और वो बल के ज़रिये या तो गुनहगारों को बचा लेती है या मजबूर होती है सच्चाई को सामने आने से रोकने के लिए …क्योंकि किसी भी हादसे के लिए कोई न कोई ज़रूर ज़िम्मेदार होता है . अब चाहे वो सरकार हो प्राइवेट एजेंसीज हो या फिर कोई Individual . आप NDTV की इन Videos या Reporting से कुछ अंदाज़ा लगा सकते हैं .

यहाँ एक सवाल है की हम किसी भी सकारात्मक और Developing काम के लिए आपदाओं के आदी क्यों होते जा रहे हैं . एशिया और ख़ास तौर से भारत , पाकिस्तान , बांग्ला देश और श्री लंका की बात करें तो हमारी जनता और सरकारें उस वक़्त तक जागती ही नहीं जब तक कोई आपदा आकर हमको न घेर ले .

बस इस अवसर पर मेरा इतना ही कहना है की खुदा के वास्ते हम सबसे पहले अपने सुलूक , मामलात , अख़लाक़ और आचरण को इंसानों के प्रति अच्छा रखें . उसके बाद अपने अस्पतालों , स्कूलों , सड़कों .

रास्तों और दुसरे सरकारी सरकारी संस्थानों को हर वक़्त Well Off और सुविधाओं से परिपूर्ण रखें .

और सभी राजनितिक पार्टियां चुनाव के समय वादों और घोषणाओं की रस्मों के लोली पॉप बाँटने से परहेज़ करें . और जनता सरकारों से हमेशा सवाल करते रहने का मिज़ाज बनाये . वर्ण देश के हालात बाद से बदतर होते चले जाना ही आपका मुक़द्दर बन जाएगा …….

हम अम्न चाहते हैं हर एक ज़ुल्म के ख़िलाफ़ |

गर जंग  लाज़मी  है  तो  फिर  जंग ही सही         ||

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