प्रेस विज्ञप्ति
समुदायों के बीच नज़दीकियां बढ़ाने और राष्ट्र निर्माण के लिए देशव्यापी अभियान
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नेशनल नेटवर्क्स के सहयोग से अनहद द्वारा शुरू किये गए अभियान ” मेरे घर आएं ” पर प्रेस कांफ्रेंस
#MereGharAaKeToDekho
15 अगस्त, 2023 को देश भर में सैकड़ों राष्ट्रीय नेटवर्क, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक समूहों और व्यक्तियों द्वारा एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान, #MereGharAaKeToDekho (मेरे घर आएँ, मेरे मेहमान बनें) शुरू किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया राय सिन्हा रोड नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
आज भारत में अपने से अलग लोगों के प्रति नफरत और पूर्वाग्रह बढ़ रहा है। जो लोग अलग-अलग धर्म, जाति, वर्ग, यौन रुझान, भाषा या क्षेत्र से संबंधित हो सकते हैं, उनका “अन्यकरण” अक्सर हमें सौंपी गई रूढ़ियों और पदानुक्रमों और उन्हें समझने और जानने के अवसरों की कमी पर आधारित होता है। जैसे-जैसे हमारा समाज तेजी से अलग होता जा रहा है और हम अपने जैसे लोगों के विशिष्ट समुदायों में रहते हैं, पूर्वाग्रह और अविश्वास बढ़ता है।
Relevent Article
https://timesofpedia.com/bharat-chhodo-aandolan-aur-vartmaan-mein-bharat/
इसके साथ ही सोशल मीडिया पर राजनीति से प्रेरित अफवाहों और नफरत के प्रसार को भी जोड़ लें तो हमारे सामने एक ऐसी स्थिति आ जाएगी, जहां हिंसा और घृणा अपराध आसानी से रचे जा सकते हैं। एक-दूसरे से सीधे संपर्क के अभाव में ‘ नफ़रत ’ का निर्माण करना और द्वेष फैलाना आसान है।
विभिन्न समुदायों के प्रति बने-बनाए विचारों, समस्याप्रद लोकलुभावन मतों से जूझने और उन्हे बदलने के लिए इस अभियान को तैयार किया गया है – यह अभियान समुदायों के बीच व्याप्त विभिन्न तरह के पूर्वाग्रहों को समझने, तोड़ने के मकसद से जाति, धर्म, यौनिक रुझान, भाषा, नस्ल, धर्म और विकलांगता के साथ-साथ वर्ग के अंतरसंबंधों पर बात करेगा।
इस अभियान का उद्देश्य सीधा-सादा है – अभियान के दौरान एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय के घर जाएंगे, उनके साथ कुछ घंटे बिताएंगे और साथ बैठ कर पानी, चाय या खाना खाएंगे। मिलने-जुलने वाला यह मामूली सा काम, हम विश्वास करते हैं कि, मौजूदा निर्मित रुकावटों से उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मेरे घर आके तो देखो अभियान की कोशिश है कि घरों , परिवारों , वर्गों और समुदायों के बीच ख़ुशी पैदा की जाये .साथ ही मिल-बाँट कर खाने , रहने और खुली बातचीत में जिंदगी-भर के लिए दोस्ती जगाने की शक्ति पैदा की जाए . और यह कोशिश बांटने की लगातार राजनीतक कोशिशों से लोगों को बचाने और बचने की हिम्मत प्रदान करेगी । एक-दूसरे के साथ सकारात्मक मेल-मिलाप और संवाद के बिना, हम दूसरों के बारे में झूठी अफवाहों को तैयार करने, उनपर यक़ीन करने और फैलाने के आदि होते हैं, उसके कारण पूर्वाग्रह , घृणा और नफ़रत पलने लगती है ।
भारत में एक विचारधारा या CUMMUNITY का यह व्यवस्थित तरीके से समाज में फाड़ पैदा करने की यह मुनज़्ज़म साज़िश है जिसने एक-दूसरे के प्रति गहरे डर और अविश्वास को बढ़ाया है . सांप्रदायिक और विभाजक ताकतों ने अपनी घृणा का पाठ पढ़ाने, समुदायों का ध्रुवीकरण करने और हिंसा के लिए इस पृथक्करण को मदद पहुंचाई है।
नफ़रत की इस विचारधारा का सामना करने के कई तरीकों के बीच एक बहुत महत्वपूर्ण और परखा हुआ रास्ता समुदायों को एक साथ लाने का और उनके बीच बातचीत को संभव बनाना है। उचित जिज्ञासा और घनिष्ठता को बढ़ावा देने वाली ये बातचीत ही इस अभियान का उद्देश्य है जो कि 15 अगस्त से शुरू हो रहा है।
इसके उद्देश्य इस प्रकार हैं:
● एकता, बंधुत्व, विविधता और समवेशिता को बढ़ावा देना और हमरे प्रगतिशील संवैधानिक मूल्यों को बचाना।
● अनजान और ना वाक़िफ़ लोगों , परिवारों और समुदायों के बीच दोस्ती और समरसता को बढ़ावा देना।
● सांप्रदायिकता और फ़िरक़ावरीयत के विरोध के साथ धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाले समूहों को एक मंच प्रदान करना, खासतौर से उन समूहों को जो महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, किसानों, ट्रेड यूनियनों, अध्यापकों, छात्र संगठनों के साथ काम कर रहे हैं।
अभियान की रूप-रेखा:
हमारा लक्ष्य है कि 15 अगस्त 2023 को एक लाख परिवार देशभर में एक-दूसरे के घर जाएं।
खासतौर से:
1. वे कम से कम एक ऐसे परिवार से मिले जो कि उनके धर्म/वर्ग/जाति/यौनिक रुझान/क्षेत्र/भाषाई पृष्ठभूमि का न हो। इस मुलाकात के बाद मुलाकाती परिवार अपने घर मेजबान परिवार को आमंत्रित करे।
2. वे उनसे मिलें जिनके जीवन के अनुभव भिन्न हैं, जैसे कि एकल महिलाएं, एकल माँएं, यौन हिंसा पीड़ित, सांप्रदायिक, जाति और नस्ली हिंसा के शिकार व्यक्ति, युद्ध विधवाएं, पूर्व-सैनिक, और स्वतंत्रता सेनानी आदि। हम अंतर-पीढ़ी रुकावटों को भी तोड़ने के लिए युवाओं और उम्रदार व्यक्तियों के एक दूसरे के घर आने-जाने और बातचीत को प्रोत्साहित करते हैं।
3. मुलाकात के माध्यम से भिन्न समुदायों के लोग एक दूसरे के सांस्कृतिक परिवेश और सामाजिक और वैयक्तिक मुद्दों को समझने की कोशिश करने के लिए प्रेरित होते हैं।
4. मुलाकात के बाद, सभी लोग मिलकर एक सेल्फ़ी लेते हैं और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफोरमों पर इन्हे एक हैशटैग #MereGharAaKeToDekho के साथ अपलोड करते हैं। 5. इसी # हैशटैग के साथ वे अपने अनुभवों के विडिओ भी अपलोड कर सकते हैं।
हालांकि इस अभियान में जोर एक दूसरे के घर जाने पर है, लेकिन, ऐसी जगहें जहां व्यक्तिगत मुलाकातें संभव नहीं हैं, वहां हमारे सहयोगी समूह भिन्न समुदायों को सार्वजनिक स्थानों पर एक साथ लाने, खाना लाने और आपस में मिल बैठ कर खाने, और बात करने, गाने, नाचने और अनुभवों को साझा करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
यह अभियान 15 अगस्त 2023 से 30 जनवरी 2024 तक चलेगा। हमारी कोशिश इस अभियान को लंबे समय तक चलाए रखने की है क्योंकि समुदायों के बीच प्रेम , सोहाद्र और समझ बढ़ाने की कोशिशें स्वस्थ्य, समावेशी समाज बनाने का आधार बनती हैं।
नेशनल नेटवर्क्स के सहयोग से अनहद द्वारा शुरू किये गए इस अभियान को जिन संस्थाओं और संगठनों का सहयोग मिल रहा है उनमें
एआईडीएमएएम, बीजीवीएस, सीआरआई, आईसीडब्ल्यूएम, जागोरी ग्रामीण, जस्टिस गठबंधन ऑफ रिलीजियस, नेशनल हॉकर फेडरेशन, खुदाई खिदमतगार, एनएपीएम, एनसीडीएचआर, एनएफआईडब्ल्यू, ओबीआर इंडिया, राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच, एससीएमआई, वाईडब्ल्यूसीए प्रमुख हैं .और इनके अलावा सैकड़ों राज्य स्तरीय संगठन शामिल हो रहे हैं ।
प्रोफेसर मृदुला मुखर्जी, शबनम हाशमी, लीना दबीरू, सिस्टर मैरी स्कारिया, बीना पल्लीकल और कोनिनिका रे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।
मोहब्बत करने से फ़ुरसत नहीं मिली दोस्तो…
वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते हैं.. !!
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
शबनम हाशमी- 9811807558, लीना दबीरू- 9811137421, भावना शर्मा- 8860125558
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