…….लेकिन आज वो भी न रहे
गुजरात दंगों से दु:खी थे प्रधानमंत्री अटल जी लिख रहे थे इस्तीफा जसवंत सिंह ने कैसे मनाया ,देखें इस रिपोर्ट में
एक इंटरव्यू के दौरान पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने कहा था कि PM वाजपेयी गुजरात दंगों से इस कदर सदमे में थे कि उन्होंने इस्तीफा देने का मन बना लिया था
नई दिल्ली: साल 2002 में हुए गुजरात दंगों ने भारत के अल्पसंख्यकों के साथ साथ दुनिया के कई देशों की हुकूमतों को सोचने पर मजबूर कर दिया था . खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को इस कदर सदमा था कि वो रात भर सो नहीं पाए थे. उनके मंत्रिमंडल सहयोगी और तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने शेखर गुप्ता के साथ साल 2009 में हुए ndtv के शो Walk The Talk में उस घटना का जिक्र किया था.
जसवंत सिंह ने बताया था कि वाजपेयी जी ने प्लेन में ही आडवाणी जी के साथ नरेंद्र मोदी और गुजरात के हालात पर चर्चा की थी. और गुजरात के तत्कालीन CM नरेंद्र मोदी के खिलाफ ऐक्शन लेने की बात पर लाल कृष्ण आडवाणी से सलाह ली तो उन्होंने कहा था कि ऐसा ना किया जाए बवाल हो जाएगा.
शेखर गुप्ता के साथ साल 2009 में हुई इस बातचीत में जसवंत सिंह ने कहा था कि पीएम वाजपेयी इस कदर व्यथित थे कि उन्होंने इस्तीफा देने का मन बना लिया था. जसवंत सिंह ने बताया , “दिन में मुझे तब के संसदीय कार्य मंत्री प्रमोद महाजन का फोन आया, फोन पर उन्होंने कहा था जसवंत जी जल्दी आइए, जल्दी आइए, संभालिए. मैं तुरंत पीएमओ पहुंचा. वहां पहुंचकर देखा कि वाजपेयी जी कमरे में हैं और उनके दो सचिव उनके साथ हैं.”
जसवंत सिंह ने आगे अपने ब्यान में बताया था, “मैंने तुरंत दोनों सचिवों को वहां से जाने को कहा.कुछ क्षण उन्होंने रुक कर मेरे को देखा फिर वे दोनों कमरे से बाहर चले गए. मेने देखा वाजपेयी जी अपने हाथ से कागज पर इस्तीफा लिख रहे थे. उनसे मैंने पूछा- ये क्या कर रहे हैं, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. फिर मैंने उनका हाथ थाम लिया.”
जसवंत सिंह ने बताया था कि फिर हम दोनों ने खूब बातें की और इस्तीफा फाड़ कर फेंक दिया गया. जब शेखर गुप्ता ने उनसे पूछा कि इस्तीफा किसने फाड़ा तो जसवंत सिंह मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गए.उनकी मुस्कराहट बता रही थी इस्तीफ़ा खुद जसवंत सिंह ने ही फाड़ा होगा .
लेकिन आज वो भी न रहे…….
आज जब हम अटल जी के कैबिनेट काल की बात कर रहे हैं तो उनकी कैबिनेट के क़ाबिल मंत्री जसवंत सिंह भी दुनिया से रुखसत होगये , वो २०१४ से ही कोमा में थे और एक लम्बी बीमारी के बाद आज परलोक सुधार गए .जाना सभी को है ,कल जब आज के मोदी काल की बातें होंगी तो उसमे न जाने कितनो का ज़िक्र होगा की वो भी परलोक सुधार गए .
बहरहाल यह बहुत बड़ी सच्चाई है की जो आया है उसको जाना ही होगा लेकिन धन्य और मुबारकबाद के पात्र वो लोग हैं जो इस फना होने वाली दुनिया में ईमान के साथ और इन्साफ के साथ अपना जीवन गुज़ार कर दुनिया से जाते हैं . रब से दुआ है की हमको दुनिया में जब तक रखे इस्लाम पर रखे और जब हम दुनिया से रुखसत हों तो ईमान पर हमारा खात्मा हो .