दीन इस्लाम में ज़ोर , ज़बरदस्ती नहीं है , ला इकराहा फिद्दीन (सूर : बक़रा आयत न० 256 )
ऐसे में जब हर माँ बाप अपनी बेटी के हाथ पीले करने की फ़िक्रों में डूबे हों , लव जिहाद का मुद्दा काफी एहम हो जाता है . जिन मुस्लिम लड़कों पर यह इलज़ाम होता है की वो हिन्दू लड़कियों को प्यार के जाल में फॅसा कर और प्रलोभन देकर उनसे शादी कर लेते हैं , तो इस संबंद्ध में उन मुस्लिम लड़कों और उनके Guardians से सवाल तो बनता है , उनको इसकी फ़िक्र क्यों नहीं होती की उनके परिवार और खानदान तथा समाज की बेटियों से अगर वो शादी करते तो यह उनके लिए दोहरे अजर व् सवाब का ज़रिया होती .
इस लेख के लास्ट में जिहाद या लव जिहाद के बारे में एक मशहूर ब्राह्मण स्कॉलर का छोटा सा vedio क्लिप ज़रूर देख लें जिससे की सारे भ्र्म दूर हो सकें
जैसा की आप जानते हैं उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में भी लव जिहाद के खिलाफ कानून लाए जाने की तैयारी चल रही है। मध्य प्रदेश में कानून की रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है। एमपी सरकार के एक मंत्री ने बताया कि लव जिहाद के खिलाफ संभावित कानून में अपराधी को 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। मामले में गैर-जमानती धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा। संभावित कानून के मुताबिक, धर्म परिवर्तन के लिए एक महीने पहले ही अनुमति लेनी होगी। मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा सत्र में इस प्रस्ताव को सदन में पेश किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही कह चुके हैं कि प्रदेश सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून लाने की तैयारी में है। उन्होंने लव जिहादियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि छद्म भेष में, नाम छिपाकर जो लोग बहिन बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ करते हैं, उन्हें मैं चेतावनी देता हूं कि उनकी राम-नाम सत्य की यात्रा निकलने वाली है।बहिन बेटियों के इज़्ज़त की रक्षा के बयान जारी करने वालों के काल में हाथरस , जौनपुर , फतेहपुर और स्वामी चिन्मयानंद तथा कुलदीप सेंगर जैसे बलात्कारी सबसे ज़्यादा पनपे थे उनका क्या करेंगे मुख्यमंत्री योगी , जो भाषा हमारे योगी जी और दुसरे सत्ताधारी पार्टी के नेता उपयोग कर रहे हैं ये संवैधानिक पदों पर आसीन नेताओं की नहीं लगती . जबकि चुनाव जीतने के बाद नीयत बदले या न बदले लेकिन भाषा शैली के बदलने की उम्मीद तो की जा सकती है .
जनता के सवाल
लेकिन यहाँ कुछ और भी जनता के सवाल हैं कि , जिस तरह देश में मुस्लिम लड़कों और उनकी हिन्दू बीवियों पर शिकंजा कसा जाता है , साथ ही सभी घर वालों को परेशां किया जाता है , क्या इसी शिद्दत के साथ हिन्दू लड़कों और उनके परिवार वालों के साथ भी ऐसा ही बर्ताव किया जाता है ? जवाब कौन देगा , इसका रिकॉर्ड कहाँ मिलेगा ??
अगला सवाल , देश की सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी पार्टियों में VIP मुस्लिम मर्दों के घर जो हिन्दू औरतें हैं क्या उनको भी प्यार के जाल में फसाकर लव जिहाद का शिकार बनाया गया था , या फिर लड़कियों के घर वालों ने ख़ुशी ख़ुशी अपनी लाड़लियों को बिदा किया था , जो भी रहा हो किन्तु उनसे कोई सवाल नहीं होगा , ये उनका शौक़ है कहकर Ignore किया जाएगा वो गंगा जमनी तहज़ीब का हिस्सा कहलायेंगे ,जुर्म तो बस ग़रीब और मध्यम वर्गीय हिंदुस्तानी का ही है , क़ानून का यह अंधापन और दोहरापन और समाज में बढ़ती असामना देश के विकास और अमन में बहुत बड़ी रुकावट है .
मुसलमान प्रेमियों से …..
मुसलमान प्रेमियों से कहना यह है कि ,शादी के इस अमल में अगर तुम्हारी नीयत रब को राज़ी करने की है तो यह अहसन अमल है , और अगर यह सिर्फ अय्याशी के लिए है तो इधर तुम किसी ग़ैर मुस्लिम की बच्ची को घर लाते हो उधर तुम्हारी बहिन या बेटी किसी ग़ैर मुस्लिम लड़के के साथ जाने की तैयारी में होती है .लड़का लड़की की मर्ज़ी से Intercast या Inter religion शादी से सामाजिक तौर से तो कोई हर्ज नहीं होना चाहिए था मगर सियासत को और ख़ास तौर से हमारे देश की सियासत को अब साम्प्रदायिक मुद्दे ही सूट करने लगे हैं. बाक़ी सारे मुद्दे फ़ैल होगये हैं . यह किसी भी सभ्य समाज और प्रगतिशील देश के लिए बहुत खतरनाक है .अलबत्ता इस्लामी तालीमात के हिसाब से कई बातें इसमें आपत्तिजनक हैं .
याद रखने योग्य बात
मज़े की बात यह है कि , इस्लाम इस बात की इजाज़त नहीं देता की कोई शख्स संस्था या गिरोह किसी को ज़बरदस्ती इस्लाम में दाखिल करे ,दुनयावी प्रलोभन या लालच देकर किसी को इस्लाम में दाखिल किया जाए , क़ुरआन साफ़ कहता है की ” इस्लाम में कोई ज़ोर या ज़बरदस्ती नहीं है ” ला इकराहा फिद्दीन : क़ुरान आयत नंबर 256 सूरह बक़रा .अलबत्ता अगर किसी शख्स के आचरण , अख़लाक़ , स्वाभाव या सेवा और इस्लाम की तालीमात से कोई प्रभावित होकर इस्लाम में आना चाहता है तो उसका सामाजिक ,आर्थिक तथा नैतिक हर तरह से पूरा ख्याल और संरक्षण रखना समाज की ज़िम्मेदारी होती है .
लव जिहाद दरअसल बाबरी मस्जिद , तीन तलाक़ , धारा 370 , यूनिफार्म सिविल कोड मुद्दों जैसा ही है , अब तीन तलाक़ क़ानून यदि वास्तव में जेंडर इक्वलिटी , सेक्युलरिज़्म तथा महिला सशक्तिकरण की बात करता है तो किसी भी मुसीबत के समय या कोरोना काल तथा lockdown के समय में बेसहारा UP , बिहार , बंगाल , राजस्थान की न तो किसी मुस्लिम महिला का लाभ हुआ और न ही किसी हिन्दू महिला का , देश की ग़रीब महिला हो या पुरुष उसका साथ कोई देने वाला नहीं है लेकिन रब जिनको मेहरबान बना दे.
एक दुखद और नीच बात
जनता ने जो सेवा की वो सराहनीये रही , और वो मज़हब , जाती या जेंडर देखकर नहीं की गयी , अलबत्ता सियासी पार्टियों ने यहाँ भी पक्षपात किया , इसकी शिकायतें हमें मौसूल हुईं कि Lockdown में सत्ताधारी पार्टियों के वर्कर्स ने यह देखकर ही राशन दिया की हमारा वोटर कौन है , यह नीच काम किसी भी पार्टी के द्वारा किया गया शैतानी और दुर्भाग्यपूर्ण काम रहा .
लव जिहाद और संविधान
ट्रिपल तलाक को लेकर सायरा बानो नाम की महिला ने कोर्ट में पेटिशन फाइल की थीं। जिसमें ट्रिपल तलाक और ऐसे ही मुद्दों पर कोर्ट से दखल की मांग की गयी थी। उनकी पिटीशन पर सुनवाई संविधान में जेंडर इक्विलिटी के आधार पर ही की गयी थी , लेकिन लव जिहाद क़ानून में संविधान कहाँ गया जिसमें बालिग़ महिला को अपनी पसंद से संवैधानिक तथा जाइज़ फैसले लेने का अधिकार दिया गया है ।
सबरीमाला मंदिर के अंदर महिलाओं के प्रवेश के प्रकरण में महिलाओं , लिंग और धार्मिक आज़ादी के सम्बन्ध में संविधान की कुछ धाराओं को पढ़ने का अवसर मिला तभी संविधान के अनुच्छेद-26 (b),अनुच्छेद-25 (2)(b) ,अनुच्छेद-14 , अनुच्छेद-15 ,अनुच्छेद-25 (1) तथा अनुच्छेद-17 जैसी धाराएं सामने से गुज़रीं , जिनमें धर्म , लिंग ,तथा अस्पर्शता से सम्बंधित अधिकारों का वर्णन किया गया है .बालिग़ लड़की को शादी अपनी मर्ज़ी से करने के संबंद्ध में अनुच्छेद 14 तथा 15 इसकी रक्षा करता है .
अगर दो दिलों या परिवारों का यह मिलन प्यार के चलते हुआ है तो इसमें नफरत क्यों पैदा की जाती है , और अगर इस प्यार और व्यक्तित्व तथा जेंडर इक्वलिटी की आज़ादी और अधिकार के बीच में यदि एक नया क़ानून आड़े आजाता है तो यह अँधा क़ानून ही होसकता है , क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति की आज़ादी का हनन है .
तीन तलाक़ और लव जिहाद …..
अब रहा Love Merriage के बाद लोगों के आपसी रिश्तों के खराब होने का सवाल तो वो अपने सेज सम्बन्धियों जैसे चाचा की , मौसी की , बुआ की , मामा की बेटी को भी ब्याहने के बाद आये दिन सामने आते ही रहते हैं यह कोई नई बात नहीं लेकिन जब Intercast या Inter Religion शादी के बाद संबंधों के ख़राब होने की बात को तूल दिया जाता है तो वो किसी शातिर और समाज दुश्मन दिमाग़ की सोच के सिवा कुछ नहीं होता , और उसका सम्बन्ध सीधा नफरत कि सियासत से जाकर जुड़ता है .
आपको याद होगा ट्रिपल तलाक मुद्दे पर केंद्र सरकार ने कोर्ट से अपील की थी कि उसे जेंडर इक्विलिटी और सेक्युलिरिज्म के तौर पर इन मामलों को देखना चाहिए। लॉ और जस्टिस मिनिस्ट्री ने संविधान के आधार पर जेंडर इक्विलिटी, सेक्युलरिज्म, निकाह कानून और दूसरे इस्लामिक देशों में इस मामले पर अपनाए जा रहे तरीकों की दलीलें कोर्ट में पेश की थीं।जबकि आज लव जिहाद के नाम पर बनाये जाने वाले क़ानून के ड्राफ्ट में जेंडर इक्विलिटी और सेक्युलिरिज्म तथा संविधान सब ताक पर रखे जाने के आसार हैं .
ये हैं समाज के दुश्मन
अब यदि कोई लड़की या लड़का अपनी पसंद के शादी के बाद चैन की ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं , तो इसमें दंगाइयों या सरकार को ऐतराज़ क्यों है , या घर वालों को अपनी मूंछ को लेकर उनकी निजी ख़ुशी में क्यों चिंगारी लगते हो , अगर वाक़ई अपनी मूंछ , समाज या इज़्ज़त का इतना ही ध्यान था तो अपनी औलादों को वो संस्कार क्यों नहीं दिए जिससे औलादें आपकी इजाज़त के बग़ैर कोई ऐसा फैसला न ले सकें जब आपकी नाक कट जाए या मूंछ गिर जाए , या इज़्ज़त मिटटी में मिल जाए , इसके लिए सीधे ज़िम्मेदार माँ बाप हैं जो बच्चों को संस्कार नहीं दे पाते हैं .उसके बाद बच्चों की अपनी संगत और सोहबत भी इसके लिए ज़िम्मेदार है .
अब रहा सवाल लव जिहाद के नाम पर क़ानून बनाकर दो प्यार करने वालों को रोकने का तो वो मुश्किल है क्योंकि प्यार ज़मीनी क़ानून की नहीं मानता ,बल्कि वो तो आसमान वाले के क़ानून को भी नहीं मानता ऐसे में इस प्रकार के क़ानून सिर्फ़ एक साज़िश कह लाये जा सकते हैं .
जब ज़मीन का क़ानून रेप , क़त्ल , डकैती , रिश्वत , भ्रष्टाचार को नहीं रोक पा रहा वो प्यार और दिलों के संगम को कैसे जुदा कर पायेगा , हाँ इस प्रकार के क़ानून बनाकर कुछ परिवार , समुदाय या वर्ग को ज़रूर पेरशान किया जा सकता है और इस क़ानून को ज़ुल्म या नफरत का एक औज़ार ज़रूर बनाया जा सकता है , जैसा कि आज भी दूसरे क़ानूनों की आड़ में किया जा रहा है .
धरती पर यदि धरती और इंसान के बनाने वाले क़ानून को लागू किया जाए तो हर वर्ग , समाज , संप्रदाय और जेंडर तथा दूसरी सारी मख़लूक़ात (प्रजातियां ) सुकून , चैन और इज़्ज़त की ज़िंदगी गुज़ार सकेंगी .