Wasim Akram Tyagi✍✍
किसी भी भारतीय से पूछिए कि भारत का विकास कैसा होना चाहिए?तो अधिकतर का जवाब यही होगा कि अमेरिका की तर्ज़ पर भारत भी विकसित राष्ट्र बने। लेकिन ठहरिए!
अमेरिकी अपने एक निर्दोष नागरिक की कस्टोडियल मौत के बाद आंदोलित हो गए थे। लेकिन भारतीय गृह मंत्रालय के मुताबिक़ भारत मे हर दिन पांच लोग पुलिस के ज़ेरेहिरासत मरते हैं। यह रिपोर्ट 2019-20 की है, जिसमें गृहमंत्रालय ने बताया था कि भारत में हर दिन औसतन पांच लोग पुलिस के ज़ेरेहिरासत जान गंवाते हैं।
अकेले उत्तर प्रदेश में 2019-20 में 400 लोग न्यायिक हिरासत मारे गए हैं। इसके बाद मध्यप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब और महाराष्ट्र का नंबर है। इन राज्यों में भी 2019-20 में न्यायिक हिरासत में औसतन प्रत्येक राज्य में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। ये ऐसी मौतें हैं जिसके खिलाफ कोई आंदोलन नहीं होता, कहीं काली पट्टी बांधकर मोमबत्ती जुलूस भी नहीं निकाला जाता है।
आपको याद होगा कि बीते वर्ष कोरोना काल में अमेरिका में जार्ज फ्लाॅयड नाम के काले शख्स की पुलिस द्वारा हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के खिलाफ अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश #BlackLivesMatter की तख़्तियां हाथों में लेकर सड़को पर उतर आए थे।
इधर भारतीय गृहमंत्रालय तो खुद स्वीकार कर रहा है कि हर दिन औसतन पांच लोग पुलिस कस्टडी या न्यायिक हिरासत में अपनी जान गंवाते हैं लेकिन इसके बावजूद इन घटनाओं के ख़िलाफ विरोध के स्वर सुनाई नहीं देते। शनिवार को यूपी के अंबेडकरनगर मे पुलिस के ज़ेरे हिरासत ज़ियाउद्दीन की हत्या हो गई।
सवाल फिर वही है कि भारतीय समाज अमेरिकियों की तर्ज़ पर इस तरह के अपराध के ख़िलाफ कब अभियान चलाएगा? क्या सिर्फ चमचमाती सड़कें, ऊंची-ऊंची इमारतें बनाना ही विकसित राष्ट्र का पैमाना हैं?
हक़ीक़त यह है कि मानवाधिकारों एंव मानवीय मूल्यों की रक्षा के बिना ये तमाम चीज़ें बेईमानी हैं। जिस समाज में मानवीय मूल्यों, मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती, वह समाज कुछ भी हो सकता है लेकिन उसे विकसित समाज नहीं कहा जा सकता।।
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