दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शराब लाइसेंस बांटने में अनियमितताओं की शिकायत के बाद एक और जांच का आदेश दे दिया है। काली सूची में डाले गए फर्म का पक्ष लेने और एकाधिकार को बढ़ावा देने के आरोप पर मुख्य सचिव को जांच करने को कहा गया है।
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्र ने यह जानकारी दी है। उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव से 15 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है। यह जांच रिपोर्ट ऐसे समय पर मांगी गई है जब एलजी ने हाल ही में दिल्ली के एक्साइज पॉलिसी की सीबीआई जांच की सिफारिश की है।
यह रिपोर्ट न्यायविदों, वकीलों और प्रमुख नागरिकों के एक प्रमुख संगठन की ओर से की गई शिकायत के 15 दिन के भीतर तलब की गई है। सूत्रों ने संगठन का नाम बताने से इनकार करते हुए यह जानकारी दी। एक सूत्र ने बताया, ”उपराज्यपाल ने संगठन की ओर से की गई शिकायत पर मुख्य सचिव को जांच करने को कहा है जिसमें प्रथम दृष्टया शराब लाइसेंस बांटने में गंभीर अनियमितताएं बरती गई हैं।
15 दिन के भीतर एलजी और मुख्यमंत्री को रिपोर्ट देने को कहा है।”एकाधिकार को बढ़ावा देने और काली सूची में डाली गईं कंपनियों का पक्ष लेने का आरोप लगाने वाली शिकायत में कहा गया है कि यह काम नई दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 का जानबूझकर और पूर्व नियोजित उल्लंघन करते हुए किया गया। रिपोर्ट के आधार पर एलजी उचित कार्रवाई करेंगे।” एलजी ने पिछले सप्ताह ही एक्साइज पॉलिसी में कथित धांधली को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की है। इसके बाद से एक ओर जहां विपक्ष ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तो केजरीवाल सरकार भी बेहद आक्रामक है।कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति में नियमों और प्रक्रियाओं का कथित तौर पर उल्लंघन किए जाने के विरोध में सोमवार को प्रदर्शन किया और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की मांग की। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेता और कार्यकर्ता यहां के पटपड़गंज इलाके में जमा हुए और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ नारेबाजी की। इससे पहले, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को लिखित शिकायत कर आबकारी नीति की जांच की मांग की और आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।