प्रेस विज्ञप्ति
इंडियन सोसाइटी फॉर ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट और महिला सशक्तिकरण समिति FIDO द्वारा दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश , विदेश से पहुंचीं गणमान्य महिलाओं ने महत्वपूर्ण अनुभव साझा किये
इंडियन सोसाइटी फॉर ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट ISTD and महिला सशक्तिकरण समिति FIDO
नई दिल्ली : पिछले दिनों स्कोप कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड नई दिल्ली में “लैंगिक समानता के साथ राष्ट्र निर्माण” विषय पर चमत्कारिक रूप से परिकल्पना की पहल करते हुए महिला केंद्रित अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का सफलतापूर्वक समापन हुआ . ISTD की राष्ट्रीय अध्यक्षा सुश्री अनीता चौहान ने प्रोग्राम को Preside किया .
यह सम्मलेन २ दिन चला और सम्मलेन के दुसरे दिन का शुभारंभ डॉ ए सी जोशी , उषा जैन, डॉ अनीता मडोक और श्री सौरव बासु ने दीप प्रज्वलित करने से किया ।
प्रथम सत्र पर चर्चा का मुख्य बिन्दु था कि “कैसे इतने विविध क्षेत्रों की महिलाओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में साँचे को तोड़ा है” और चुनौतियाँ का किस तरह सामना किया। इसमें डॉ. संगीता कौर – (मलेशिया) , इंडोनेशिया की सुश्री यांकी हरतिजस्ती ने भाग लिया और बताया कि अगर हमारे पास अपने जीवन का स्पष्ट नज़रिया और मोटो है तो हम खुद ही चुनौतियों का सामना करने के लिए काफी मजबूत हो जाते हैं .
इसलिए सबसे पहले हमें यह जानना ज़रूरी है कि ” मै कौन हूं और मैं क्या करना चाहती हूं”। सभी वक्ताओं ने अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में आने वाली चुनौतियों और अनुभव साझा किये . और बताया कि कैसे उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन (Outstanding Performance) किया और अपने पेशों में महारत हासिल की .
देश और दुनिया से आईं सुप्रसिद्ध माहिर फ़न (Professional Experts) महिलाओं ने अपने अपने अनुभव Share किये और साथ ही बताया की सामने आने वाली चुनौतियों का सामना किस तरह किया ।
‘सेक्टर-स्पेसिफिक स्किलिंग ऑफ वूमेन’ नामक एक पैनल चर्चा में डॉ. अरोड़ा ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने organ donation के लिए चुनौतियों का सामना किया । और उन्होंने कहा की वह अनुसंधान के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए और अन्धविश्वास मिटाने के लिए वैज्ञानिक तथ्यों के साथ विज्ञान संचार के लिए काम कर रही हैं। सुश्री माला ऋषि (सामाजिक कार्यकर्ता ) , डॉ. सुरभि सिंह (वेलनेस) , सुश्री निर्मल रंधावा (मेकअप विशेषज्ञ) ने भी इस सत्र में भाग लिया। और इन सभी मेहमान महिलाओं ने अपनी ज़िंदगियों के चुनौती भरे तजरबाट और यादें साझा कीं .
इसके बाद एक और दिलचस्प सत्र था, जिसका विषय था ‘महिला कौशल का प्रदर्शन’ जिसमें सुश्री मधुबाला शर्मा (दिव्यांग महिला), डॉ सुनीता चौहान (हस्तनिर्मित कागज बनाने की कला), डॉ नीता पारेख (सौंदर्य उद्योग), सुश्री संचिता ऐन (दिव्यांग महिला) ने भाग लिया ।और इन सभी वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा किये . और दर्शकों को अपने अपने उद्योग की विभिन्न Demands और उनकी आपूर्ति पर प्रकाश डाला जिससे सभी उपस्थितजनों को मार्गदर्शन मिला और एक सफल कारोबार के लिए प्रेरणा भी मिली ।
सुश्री बोइशाली सिन्हा फिल्म निर्माता उद्यमी (entrepreneur) ने बताया कि हमें स्वयं को सशक्त रखते हुए राष्ट्र का निर्माण करना है . उन्होंने कहा हम पुरुषों से अलग नहीं हैं, हम भी पुरुषों के समान ही हैं। क्योंकि फिल्म “राओरी राठौर” की शूटिंग के दौरान मंडली के सभी पुरुष सदस्यों में मैं अकेली महिला हुआ करती थी। ऐसे में अगर में खुदको औरो से अलग मानती तो अपना काम कैसे ढंग से कर पाती ।
कॉन्फ्रेंस मॉडरेटर डॉ नीलम पांचाल ने बताया कि अपने जीवन की बाधाओं और चुनौतियों का दृढ़ता से सामना करने के लिए हिम्मत का होना ज़रूरी है . लेकिन एक वक़्त के बाद हमको अपने समकक्षों (Counterparts) के साथ मिलकर अपने जीवन में शांति लाने के लिए बेहतर माहौल रखना होगा । हमें पुरुष पर अपनी श्रेष्ठता साबित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि हमें इस बात का सम्मान करना चाहिए कि पुरुष पुरुष है और महिला महिला है। उन दोनों की अपनी ताकत है।
अगले सत्र में काहिरा में होने वाले 50वें IFTDO विश्व सम्मेलन और प्रदर्शनी का कर्टन रेजर’ पेश किया गया . जिसमें डॉ हेल्मी सल्लम ने नवंबर 2023 में काहिरा में निर्धारित 50वें IFTDO में भाग लेने के लिए सभी को दिल से आमंत्रित किया। उन्होंने अपने प्रेजेंटेशन में काहिरा के सुन्दर जगहों के नाम भी बताये वहां के लोगो के बारे में भी बताया ताकि अधिक से अधिक लोग भारत से इस सम्मेलन में उपस्तिथ हो। डॉ. एसी जोशी ने काहिरा में पिछले IFTDO विश्व सम्मेलन पर अपने अनुभव व्यक्त किए और आइंदा के आयोजन में पर्याप्त संख्या में भागीदारी का आश्वासन दिया ।
तीसरे सत्र की मुख्य वक्ता साध्वी करिश्मा ने – बताया कि स्वयं को आध्यात्म और रूहानियत के ज़रिये अपने अधिकार और लक्ष्य प्राप्त किये जा सकते हैं . उन्होंने एक नारा भी दिया कि , ” ईमानदारी और सच्चाई के साथ आगे बढ़ें और राष्ट्र का निर्माण करें” । साध्वी करिश्माजी ने बताया कि ध्यान के नियमित अभ्यास से हमें अपनी आंतरिक शक्ति के लिए काम करना चाहिए। जब हमारा आंतरिक मन स्वछय और शांत होगा , तो हम अपने संबंधित क्षेत्रों में excellence या उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मां दुर्गा (रक्षा), माता लक्ष्मीजी (धन ) और माता सरस्वती जी (शिक्षा) का स्रोत हैं, और ये सभी स्त्रियाँ हैं। हमें अपनी कोमलता और सहजता को किसी भी हाल में नहीं छोड़ना चाहिए ।
अंत में, ‘सम्मेलन के समापन सत्र’ में डॉ अलका मित्तल, पूर्व CMD (ONGC), ने अपने बारे में बताया की मात्र २२ साल की उम्र में उन्होंने ONGC ज्वाइन किया। कैसे घर वालो के सहयोग से अपनी मदर इन लॉ, बेटियों और हस्बैंड के सहयोग से ONGC के शीर्ष पद पर असीन हुई . आध्यात्मिक जीवन के लाभ के बारे में भी उन्होंने दर्शको को बताया ।
सम्मलेन के दोनों दिन सुश्री अनीता चौहान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईएसटीडी , डॉ जी पी राव, श्रीमती उषा जैन, डॉ नीलम पांचाल शामिल रहे और सभी मेहमानों और उपस्थितजनों की होंसला अफ़ज़ाई की ।
डॉ नीलम पांचाल ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हुए सत्र का समापन किया और राष्ट्रगान के साथ यह सत्र संपन्न हुआ ।
Please follow and like us: