100 ग्राम से पिछड़ी फोगाट जीत की तरफ़
हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Asembly Election): ब्राह्मणवास में विनेश फोगट की हरिजन चौपाल, जानना दिलचस्प है
देश के 4 राज्यों में चुनावी पारा चढ़ा हुआ है . हरियाणा में जुलाना असेंबली प्रत्याशी विनेश फोगाट की जनसभा के लिए कांग्रेस ने हरिजन बस्ती को चुना . लेकिन जनसभा का नज़ारा अजीब था , हरिजन चौपाल थी निर्देश ब्राह्मण दे रहे थे और दलित उनका पालन कर रहे थे.
इसके परिपेक्ष में कहा जा सकता है BSP की मायावती भले निष्क्रिय है मगर उनका समाज अब भी अपना नेतृत्व बसपा में ही तलाश रहा है और सामाजिक न्याय के कांग्रेस के दावे पर उनको भरोसा करना मुश्किल नज़र आ रहा है .लेकिन BJP से इस बार कनारा करलेगा वंचित समाज इसकी पूरी उम्मीद जताई जा रही है .
जींद के जुलाना निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी और देश की चर्चित पहलवान विनेश फोगाट की सभा ऐसे गांव में हो रही थी जिसको देखते ही मनुवाद का आभास हो रहा था , हालाँकि मनुवाद कोई गाली नहीं है इसके बाद अच्छा सा आभास होना चाहिए मगर नहीं होता . राहुल गांधी का सामाजिक न्याय और बराबरी का दावा इसको नहीं बदल सका .
जींद ज़िला मुख्यालय से क़रीब 30 किलोमीटर की दूरी पर बसा ब्राह्मणवास नामक गांव उन कुप्रथाओं को नियम मानता है जिनके लिए क़ानून में कठोर सज़ा का प्रावधान है. गांव का एक प्रभावशाली ब्राह्मण परिवार बताता है कि 70-80 प्रतिशत ‘हम’ हैं, बाकी दलित और कुछ पिछड़े हैं.
कुश्ती को अलविदा कहने के बाद राजनीतिक सफ़र शुरू करने वालीं विनेश फोगाट इन दिनों अपने निर्वाचन क्षेत्र जुलाना विधानसभा के गांवों का दौरा कर रही हैं. 18 सितंबर को कांग्रेस प्रत्याशी विनेश के साथ स्थानीय सांसद सत्यपाल ब्रह्मचारी भी ब्राह्मणवास पहुंचे थे.
पेरिस ओलिंपियाड में 100 ग्राम वज़न के कारण स्वर्ण पदक से पिछड़ी विनेश फोगाट सियासत के रिंग में जीत कि तरफ़ बढ़ती नज़र आरही हैं
ब्राह्मणवास के दलित चौपाल में क्या बोले
शाम क़रीब सात बजे अपने जर्जर घर के पास अंधेरे में बैठे कुछ दलित अपने गाँव की सड़क के बारे में बताते हैं, ‘हमारे घर से पहले की सड़क बन गई है, हमारे घर से बाद की सड़क बन गई है, लेकिन हमारे घर के सामने की सड़क नहीं बनी है.’ शायद इसलिए कि हम दलित हैं ?
दलित समुदाय के एक बुजुर्ग बलजीत मोधिया कहते हैं, ‘हम अन्याय के खिलाफ खुलकर बोल भी नहीं सकते, डर लगता है, कुछ बोला तो गांव के ब्राह्मण हमें कुओं से पानी नहीं लेने देंगे, खेतों में मजदूरी नहीं करने देंगे. कोई अगर हमारे साथ मार पिटाई भी कर देता है तो हम उठ के चले आते हैं, कुछ नहीं बोलते, क्योंकि हमें अपने बच्चे पालने हैं.’
ब्राह्मणवास गाँव के दलित मवेशी बहुत कम पालते हैं क्योंकि गर्मियों में उनके मवेशियों को तालाब का पानी पीने से रोक दिया जाता है, जिससे कई बार मवेशियों की मौत हो जाती है. गांव के दलितों ने बताया कि ब्राह्मण उन्हें अपने यहां शादी ब्याह में आमंत्रित नहीं करते, अगर कोई करता है तो दलितों का अलग टेंट लगवाते हैं.
जाती के आधार पर भी नफरत का हाल यह है कि आज भी ब्राह्मणवास में कोई दलित किसी ब्राह्मण की चारपाई पर नहीं बैठ सकता है. यह मोदी के देश का अमृतकाल है और यही हाल पिछले कालों में भी रहा है .
अपने गांव का हाल बताते हुए दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक शिक्षक बलजीत बताते हैं , ‘सरकारी स्कूल में जातिवाद है. दलितों के बच्चों के साथ भेदभाव होता है. ब्राह्मणों के बच्चों का जूठा बर्तन कर्मचारी द्वारा धुलवाया जाता है, जबकि दलित बच्चों को अपना जूठा बर्तन ख़ुद धोना पड़ता है.’
गांव के लगभग सभी मंदिरों में दलितों का प्रवेश एकदम वर्जित है. बलजीत कहते हैं, ‘भगवान भी उनके (ब्राह्मणों) के ही हैं, हमारे नहीं हैं.’ हम नाम के हिन्दू हैं .
यह पूछने पर कि क्या कभी किसी दलित ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की तो सभी लोगों ने लगभग एक सुर में कहा, ‘किसकी इतनी हिम्मत है जो मंदिर में प्रवेश कर सके ’
सरकारों को कोसते हुए बलजीत कहते हैं, ‘सरकार उनके लिए ही काम करती है जिनके पास पहले से ही सब कुछ होता है. मेरे तो न दादा के नाम पर प्लॉट था, न बाप के नाम पर और न ही हमारे नाम पर. हमारा समुदाय ईंट भट्ठों पर मजदूरी कर या दूसरों के खेतों में काम करके अपना गुजारा करता है, आगे भी यही करना होगा, और सरकारें हमारे लिए कुछ नहीं करेंगी.’
गाँव के ब्राह्मण क्या कहते हैं ?
हालांकि, गांव की सरपंच गीता देवी के जेठ भगीरथ शर्मा का मानना है कि ‘गांव के दलितों के साथ कोई भेदभाव नहीं होता है और दलित अपनी ख़राब हालत के लिए ख़ुद ज़िम्मेदार है.’
शर्मा ने दावा किया कि दलितों का हमारे बिना काम नहीं चल सकता. हम ही उनके लिए खड़े होते हैं. शादी ब्याह में मदद करते हैं. उनका कोई विवाद होता है तो समझौता कराते हैं.
हरियाणा के ब्राह्मणवास में ‘हरिजन चौपाल’ दिलचस्प है
यह दिलचस्प है कि ब्राह्मणवास गांव में विनेश फोगाट की जनसभा का आयोजन हरिजन चौपाल में किया गया था. यह गांव में दलितों का सामुदायिक भवन है, जिसका शिलान्यास साल 1989 में तत्कालीन सामाजिक कल्याण मंत्री डॉक्टर राम कृपा पूनिया ने किया था.
गांव में क़रीब 2,100 मतदाता हैं और 100 से 120 घर दलित समुदाय से जुड़े लोगों के हैं.सवाल पूछा गया कि ब्राह्मण-बाहुल्य गांव में विनेश की सभा के लिए दलितों की बस्ती और उनका सामुदायिक भवन क्यों चुना गया?
इसका जवाब फोगाट की मीटिंग के आयोजक भगीरथ शर्मा देते हुए लेहते हैं, ‘ब्राह्मण तो भाजपा को वोट देते हैं इसलिए कार्यक्रम को हरिजनों के बीच रखा गया है ताकि उनका वोट कांग्रेस की तरफ केंद्रित किया जा सके.’
जब उनसे पूछा गया कि वह भी तो ब्राह्मण है फिर वो क्यों कांग्रेस की प्रत्याशी की जनसभा की तैयारी में लगें है?
‘मैं इस सीट से चुनाव लड़ने वाला था. पार्टी के सर्वे में मेरा नाम सबसे ऊपर चल रहा था. लेकिन विनेश के आने से दावा छोड़ना पड़ा.’
जनसभा की व्यवस्था का जिम्मा गांव की सरपंच के पति राहुल शर्मा और उनके भाइयों पर था. हालांकि राहुल शर्मा की पत्नी गीता देवी चुनी हुई सरपंच हैं, जन प्रतिनिधि हैं, वह इन तैयारियों और जनसभा से नदारद थीं.
विनेश फोगाट जब हरिजन चौपाल पहुंचीं उनका फूलों की माला के साथ स्वागत किया और महिलाओं ने उन्हें गले से लगाया आशीर्वाद दिया .
विनेश की जनसभा में लोग कांग्रेस की जय-जयकार कर रहे थे, लेकिन सभा ख़त्म होने के बाद इन दलितों का स्वर बदल गया. अधिकतर दलित परिवारों ने इनेलो-बसपा के संयुक्त उम्मीदवार सुरेद्र लाठार को वोट देने की बात कही.
उनका कहना था, ‘कमिश्नर साहब ने हमारे बच्चों के लिए पुस्तकालय खोला है. वहीं से पढ़कर हमारे बच्चे नौकरी की तैयारी कर रहे हैं. हमें अनाज नहीं चाहिए, हमें हमारे बच्चों के लिए शिक्षा और रोज़गार चाहिए ताकि दूसरों की ग़ुलामी से मुक्ति मिल सके.’
सुरेंद्र लाठार भूतपूर्व प्रशासनिक अधिकारी हैं, जो शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के लिए जाने जाते हैं. रिटायरमेंट लेने के बाद वे भाजपा में थे, लेकिन बाद में ‘बाहरी’ व्यक्ति (कैप्टन योगेश वैरागी) को टिकट देने से नाराज़ होकर इनेलो में चले गए.
दिलचस्प है कि बसपा-इनेलो के कई मतदाता मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ़ करते मिले. पिछले दिनों हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख गोपाल कांडा ने कहा थे कि इनेलो-बसपा और हलोपा का गठबंधन चुनाव जीतने के बाद भाजपा के साथ सरकार बनाएगा.
हरियाणा चुनाव के लिए इनेलो और बसपा ने गठबंधन किया है. दलित समुदाय मायावती की बहुजन समाज पार्टी का पारंपरिक मतदाता माना जाता है.
ब्राह्मणवास के दलितों का बयान इंगित करता है कि मायावती की निष्क्रियता के बावजूद वंचित समाज अब भी अपना नेतृत्व बसपा में ही तलाश रहा है और सामाजिक न्याय के कांग्रेस के दावे पर उन्हें भरोसा नहीं है.
हरियाणा में 21 % दलित मतदाता है और यहाँ बात हम सिर्फ जींद हरयाणा के ब्रह्मवास गाँव के 100 दलित घरों की कर रहे हैं . कांग्रेस अपनी जीत के लिए काफ़ी आश्वस्त नज़र आती है असलियत नतीजों के बाद सामने आएगी .