
अंबाला, पंचकूला, सोनीपत, रिवाड़ी के दारुहेड़ा , रोहतक के सांपला और हिसार के उकालना में नगर निगम के चुनाव नतीजों में बीजेपी-जेजेपी की हार के पीछे किसान आंदोलन को मुख्य कारण माना जा रहा है.
हरियाणा के स्थानीय निकाय चुनावों में किसान आंदोलन का असर दिखाई दिया ,बीजेपी को अंबाला में मेयर पद की सीट पर देखना पड़ा नाकामी का मुंह .
चंडीगढ़: हरियाणा के बीजेपी प्रवक्ता संजय शर्मा ने हार के कारणों में बताया बीजेपी वोटर्स छुट्टी पर गए हुए थे इसलिए हमारा वोट नहीं पड़ा , लोगों ने कहा रफ्ता रफ्ता देश से ही छुट्टी कर देंगे बीजेपी की अब .कितना बोगस कारण बता रहे थे बीजेपी प्रवक्ता , ऐसे में जब किसान तमाम सियासी आंकड़ों के साथ आंदोलन में जुटा है ऐसे में संजय शर्मा का बयान बहुत ही अनुपयुक्त है .
अंबाला निकाय चुनावों में बीजेपी की करारी शिकस्त के बाद गुरुवार को अंबाला के बीजेपी विधायक असीम गोयल और बीजेपी की मेयर पद की प्रत्याशी वंदना शर्मा के पति और बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी हार का कारण बताया , जिसमें वो अपने यानी बीजेपी वोटर्स के छुट्टी पर जाने का कारण बता रहे थे , यदि वंदना शर्मा अपनी हार को जनता का मैंडेट कह देते तो आसान था , किन्तु उनके अनुपयुक्त कारण को सुनकर लोग इसपर चुटकी ले रहे हैं .
हालांकि, अंबाला के बीजेपी विधायक असीम गोयल ने माना कि किसान आंदोलन और बीजेपी के खिलाफ एकजुट विपक्ष से भी पार्टी को भरी नुकसान पहुंचा है.जिसका पार्टी को शायद आभास न होगा
बता दें कि बुधवार को अंबाला निकाय चुनावों के नतीजों में बीजेपी को मेयर पद की सीट पर बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. वहीं, अंबाला के पार्षद पदों पर भी 20 में से BJP को सिर्फ 8 पर ही जीत हो पाई है. निकाय चुनावों में मिली इस हार के बाद गुरुवार को बीजेपी विधायक असीम गोयल ने भले प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘पार्टी स्तर पर हार पर मंथन करने की बात कही हो , किन्तु BJP प्रवक्ता और Mayor पद की प्रत्याशी वंदना शर्मा के पति संजय शर्मा फिलहाल इसको अपनी हार मानने से बचते नज़र आरहे हैं .
लेकिन असीम गोयल फिलहाल किसान क़ानून के खिलाफ और बीजेपी के खिलाफ एक झंडे के नीचे इकट्ठा हुए विपक्ष को भी बीजेपी की हार का कारण बता रहे हैं .’ विधायक ने कहा कि ‘आज विरोधी चाहते हैं कि पहले बीजेपी से निपट लें आपस में बाद में निपट लेंगे.’
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता संजय शर्मा के इस बयान पर खूब चुटकियां ली जा रही हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि 25, 26 और 27 दिसंबर की छुट्टी की वजह से सिर्फ बीजेपी का ही वोटर शहर से बाहर घूमने गया था, जिसकी वजह से मतदान में हमारा प्रतिशत में कमी आई.
जबकि असीम गोयल ने माना कि किसान आंदोलन उनकी हार की बड़ी वजह रहा है. उसके साथ-साथ जिला स्तरों पर भी बीजेपी के खिलाफ किसानों की नाराजगी भी अंबाला में बीजेपी की हार का कारण रही है.
हरियाणा में पार्टी के सहयोगी पार्टी JJP को भी झटका लगा है. उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी यानी JJP हिसार के उकालना और रेवारी के दारुहेड़ा में अपने घर के मैदान में ही चित हो गई है. ख़ास बात यह है कि विधानसभा चुनावों के एक साल के भीतर ही पार्टी को स्थानीय निकाय चुनावों में ऐसी हार का सामना करना पड़ा है .
अंबाला, पंचकूला, सोनीपत, रिवाड़ी के दारुहेड़ा , रोहतक के सांपला और हिसार के उकालना में नगर निगम के चुनाव नतीजों में बीजेपी-जेजेपी की हार के पीछे किसान आंदोलन को मुख्य कारण माना जा रहा है.

कांग्रेस की सोनीपत में 14,000 वोटों के बड़े फ़र्क़ से जीत हुई है. निखिल मदान सोनीपत के पहले मेयर बनेंगे. कांग्रेस का दावा है कि कृषि कानूनों के और बीजेपी राष्ट्रीय नीतियों के खिलाफ गुस्से के चलते बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस नेता श्रीवत्स ने ‘कांग्रेस की बड़े अंतर से सोनीपत के मेयर चुनाव जीत के खबर दी थी . इसमें कांग्रेस: को 72,111, जबकि BJP:को 58,300 वोट मिले . ध्यान देने की बात यह भी यह कि सोनीपत सिंघू बॉर्डर के ठीक बगल में है और हरियाणा के किसान आंदोलन का केंद्र बने हुए है.’
देखना यह होगा की इस सबके बाद बीजेपी की केंद्रीय नीतियों में किस प्रकार का फेरबदल होता है , क्या पार्टी अपनी पुराणी रवीश पर ही चलेगी या बदलते सियासी समीकरण को सामने रखकर अगली रणनीति बनाई जायेगी , दूसरी ओर जनता के रुख को भी देखना ज़रूरी होगा क्या जनता को अपने बुनयादी मुद्दों पर चुनाव में फैसले लेने हैं या धर्म की चुसनी से ही उसका पेट भर जाएगा ?