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कोरोना के बाद अब Vaccine की जंग , क्या है पूरा मामला …..

कोरोना के बाद अब Vaccine की जंग , क्या है पूरा मामला …..

कोरोना से जंग में जीत के जैसे ही आसार शुरू हुए साथ ही कई तरह के मसले भी पैदा हो गए हैं Covid 19 की जिस vaccine का दुनिया को इंतज़ार था वो रफ्ता रफ्ता market में आ रही है ,देश के 4 सूबों में इसका भंडार होगया है और जल्द ही Vaccination का काम शुरू भी होजायेगा किन्तु जैसे जैसे वैक्सीन की उपलब्धि का शोर होरहा है वैसे वैसे इसके खिलाफ धार्मिक गुरओं की आवाज़ भी बुलंद होने लगी है .

जहाँ एक तरफ मुस्लिम उलेमा इसपर मश्वरे कर रहे हैं तो वहीँ हिन्दू धर्म गुरुओं ने भी अपनी आवाज़ को बुलंद कर दिया है . जैसे ही Vaccine की मुख़ालफ़तों की आवाज़ उठी हमें स्वतंत्रता संग्राम के दौर की याद आगई , जब British Government ने कारतूस में सूअर और गाये की चर्बी का इस्तेमाल किया था तो इसके खिलाफ देश में बग़ावत हुई थी और सभी हिन्दू मुस्लिम फौजियों ने इसके इस्तेमाल से इंकार कर दिया था , जबकि ज़ाहिर है की यह एक साज़िश के तहत ही किया गया था . और धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ की गयी थी .

जहाँ तक इस्लाम धर्म में सूअर से बने किसी भी Product का सवाल है वो मुतलक़ (पूरी तरह से )हराम ही है अब चाहे वो दवा हो या ग़िज़ा , या फिर कोई और इस्तेमाल की शै …लेकिन अगर किसी मर्ज़ की दवा में हराम चीज़ की आमेज़िश है और उस दवा का कोई मुतबदील नहीं है तो उसको लेना जाइज़ है

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लेकिन यहाँ एक बड़ा सवाल यह पैदा होता है की अगर यह बात सच निकलती है तो क्या हिन्दू मुस्लिम धर्म गुरु Vaccine के इस्तेमाल पर पाबंदी लगवाएंगे या फिर इसके bycott का ऐलान करेंगे , फिर उसके बाद सरकार की क्या Reaction आएगी यह सब सवाल हैं जिनका जवाब हमको सरकारी agencies से भी लेना होगा .

लेकिन Corona वैक्सीन के बनाने में जिन Incredients का इस्तेमाल हो रहा है क्या इनके लिए सरकार को धर्म गुरों से पूछना चाहिए था , क्या देश के सभी हिन्दू और मुस्लमान या सिक्ख और ईसाई अपने धर्म गुरों के आदेशों का पालन करेंगे या फिर अपनी जान की हिफ़ाज़त के लिए इसका इस्तेमाल करने में धार्मिक पाबंदियों को दरकिनार करेंगे ?

पत्रिका में छपी खबर के अनुसार, इस बार हिंदू महासभा के स्वामी चक्रपाणि ने वैक्सीन को लेकर बड़ा बयान दिया है। स्वामी चक्रपाणि ने वैक्सीन पर सवाल खड़े करते हुए लोगों से इसके इस्तेमान ना करने का आव्हान किया है।

हिंदू महासभा के स्वामी चक्रपाणि ने दावा किया है कि कोरोना वैक्सीन में गाय का खून है।इसलिए इसे देश में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। खास बात यह है कि चक्रपाणि ने इसको लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ज्ञापन भी भेजा है।

स्वामी चक्रपाणि ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कहा है कि जब तक ये साफ नहीं हो जाता कि वैक्सीन को किस तरह बनाया गया है और ये किसी व्यक्ति के धर्म को तो प्रभावित या भ्रष्ट नहीं करती तब तक इसका भारत में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।इसके चलते अपने धर्म को नष्ट नहीं किया जा सकता ।

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स्वामी ने ये भी कहा कि सनातन धर्म को खत्म करने को लेकर सालों से यह साजिश रची जा रही है।इसी वजह से हम चाहते हैं कि कोरोना को लेकर भी अगर कोई वैक्सीन आ रही है तो उसके बारे में भी पहले पूरी जानकारी दी जाए।

स्वामी चक्रपाणि ने कहा- जब भी कोई दवाई या उत्पाद बनता है तो उसमें क्या क्या मिलाया गया है, इसकी जानकारी दी जाती है। ऐसे में कोरोना वैक्सीन को लेकर भी जानकारी मिलनी चाहिए।

दूसरी तरफ ….मुंबई में आल इंडिया सुन्नी जमीयत उलेमा की बैठक हुई जिसमें फैसला लिया गया कि देश में वैक्सीन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले मुस्लिम धर्म के उलेमा को इसकी जानकारी लेनी चाहिए कि वैक्सीन में क्या Ingredients डाले गए है .अगर वैक्सीन में सूअर की चर्बी है तो वह हराम है और उसके इस्तेमाल कि इजाज़त नहीं होगी .

मुस्लिम समाज के उलेमा पहले से ही कई अलग अलग Fast Food Products में हराम चीज़ के मिले होने की सूचना के बाद उसके बारे में फतवे देते रहे हैं , लेकिन यहाँ एक बड़ा सवाल यह है की देश की जनता चाहे वो किसी भी मज़हब से ताल्लुक़ रखती हो अपने धर्म गुरुओं के उपदेशों या फतवों को कितना मानती है ? जवाब 5 से 10 % ही follow करते हैं . अब जबकि जान बचाने और महामारी से निमटने की बात आएगी तो शायद यह Percentage और भी कम होजायेगी , और धर्म गुरुओं कि अपील का कोई वुजूद नहीं रह जाएगा .

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