पुलिस ने पेश किये फ़र्ज़ी गवाह अदालत ने लगाईं फटकार ,भविष्य में ऐसा न करने की दी हिदायत
New Delhi: Nadeem Ahmad//दिल्ली की निचली अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में ग़ैर मुताल्लिक़ अपराधी को कोर्ट में पेश करने के लिए दिल्ली पुलिस और इस्तगासा की खिंचाई की है। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि फ़र्ज़ी गवाहों को कोर्ट में पेश करने से परहेज करें। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की चीजों को आगे से नरमी से नहीं लिया जाएगा।
दिल्ली दंगा मामले में सोमवार को अभियोजन पक्ष के गवाह से पूछताछ होनी थी। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि आरोपी पर लगाए गए इल्ज़ामात का PIL में उसके खिलाफ कोई जिक्र नहीं है। वहीं, अभियोजन ने भी माना है कि कोर्ट में मौजूद गवाह द्वारा दी गई शिकायत के संबंध में आरोप तय नहीं हुए हैं।
अदालत का मानना है कि आरोपों में घटना की गलत तारीख का उल्लेख किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रमाचला ने कहा कि अदालत भविष्य में इस तरह की चीजों को बर्दाश्त नहीं करेगी। अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा, कई बार इस बात के निर्देश दिए गए है कि रिकॉर्ड की जांच करें सब कुछ ठीक है.
इसके बावजूद ना तो इंवेस्टिगेशन ऑफिसर और ना ही अभियोजन पक्ष ने इसकी जांच की। जांच अधिकारी (आईओ) और अभियोजन पक्ष की मांग पर कोर्ट ने आखिरी मौका देने का फैसला किया.
कोर्ट ने यह भी कहा कि कई बार निर्देश दिए जा चुके है कि किसी गवाह को समन भेजने से पहले उस मामले की अहमियत और संबंध का पता लगाने की जिम्मेदारी जांचकर्ता और अभियोजन पक्ष की है, फिर भी ऐसा नहीं किया गया, इसलिए इसका भविष्य में ख्याल रखा जाए।
खजूरी खास थाने में नूर मोहम्मद उर्फ नूरा और नबी मोहम्मद के खिलाफ दर्ज FIR की सुनवाई के सिलसिले में यह आदेश पारित किया गया। आपको बता दे कि दोनों आरोपी जमानत पर बाहर हैं और मुकदमे में अभियोजन पक्ष के गवाहों से पूछताछ होनी है।
गवाह के तौर पर मनोज कुमार की कोर्ट में पेशी थी। आरोपी नूरा के वकील ने कहा कि इस मामले में लगाए गए आरोपों में कुमार की शिकायत का कोई उल्लेख नहीं है। अदालत को बताया गया कि कई शिकायतों को इस मामले के साथ जोड़ दिया गया था, लेकिन आरोप केवल दलीप और शिव कुमार राघव की दो शिकायतों के संबंध में तय किए गए थे।
याद रहे कि अदालत कई मामलो में पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसीज को चेताती रही है कि फ़र्ज़ी मामलो को अदालत में लाने से पहले अच्छी तरह जांच लिया जाए उड़के बाद ही उनको सुनवाई के लिए कोर्ट में लाया जाए.
इस तरह से अभियुक्तों ,अदालतों और फ़र्ज़ी आरोपियों का वक़्त और पैसा बचाया जा सकता है.
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