बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश का ख़ास ख़्याल क्यों रखा गया?
एनडीए सरकार ने पिछले वर्षों के मुक़ाबले बजट में बजट में बढ़ोतरी करके बिहार और आंध्र प्रदेश को रिटर्न गिफ्ट दिया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट का ऐलान करते हुए बिहार और आंध्र प्रदेश को अलग-अलग योजनाओं के तहत हज़ारों करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया है, जबकि दूसरे कई बड़े राज्यों का ज़िक्र तक नहीं किया गया है.
बिहार के लिए क़रीब 60 हज़ार करोड़ और आंध्र प्रदेश के लिए 15 हज़ार करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया है.
जैसा कि आपको मालूम है कि नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी, केंद्र की एनडीए सरकार का अहम हिस्सा हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को लगभग 70 सीटों के नुकसान से बिहार और आंध्र प्रदेश का लाभ होना सुनिश्चित हुआ है .बहुमत से दूर बीजेपी ने दोनों सहयोग से ही केंद्र में सरकार बनाई है.
सवाल है कि यह ‘विशेष पैकेज’ देकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार क्या चाहती है? बजट में सिर्फ़ बिहार और आंध्र प्रदेश का ही ख़ास ख़्याल क्यों रखा गया है? इसके मायने क्या हैं?
आपको बता दें कि संसद के मॉनसूत्र सत्र के पहले ही दिन केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग ख़ारिज कर दी थी.
नीतीश की पार्टी जेडीयू के सांसद रामप्रीत मंडल ने लोकसभा में पूछा था कि क्या केंद्र सरकार के पास बिहार को विशेष दर्जा देने की कोई योजना है?
जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय विकास परिषद के पैमानों के मुताबिक़ बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना संभव नहीं है.
यह बात सामने आते ही राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार के इस्तीफे़ की मांग कर दी.
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि जब से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं वे तब से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं.
वे कहते हैं, “विशेष दर्जा ख़ारिज होने के बाद बिहार के लोग बस इसी बात का इंतज़ार कर रहे थे कि बजट में उनके लिए क्या ख़ास होगा. मोदी सरकार ने विशेष राज्य के दर्जे की जगह विशेष पैकेज देकर नुक़सान की भरपाई करने की कोशिश की है.”
हालाँकि “विशेष राज्य का दर्जा बिहार की अस्मिता का सवाल बना हुआ है. जबकि विशेष पैकेज उसकी भरपाई नहीं हो सकती . पिछले बीस सालों में बिहार में विशेष राज्य के दर्जे को लेकर राजनीति हुई है. यह मामला ज़्यादा ना भड़के और नीतीश कुमार के साथ सरकार चलती रहे, इसलिए भी विशेष पैकेज दिया गया है.”
यह भी सही है कि अगर बजट में यह पैसा बिहार को नहीं दिया जाता तो मोदी सर्कार को बड़ा झटका लगता और राज्य में जेडीयू की राजनीति पर भी नकारात्मक असर होना तय था .
विशेषज्ञों ने इस बजट को एनडीए का बजट बताया है
वे कहते हैं, “लोकसभा चुनाव 2024 के बाद बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने में सुधार की है. उसे बीजेपी की जगह एनडीए की तरह काम करना होगा और इसकी एक झलक इस बजट में दिखाई दे रही है. ये बजट 2024 के नतीजों का बजट है, जिसे देखकर लगता है कि बीजेपी अब एनडीए की तरफ़ बढ़ती हुई दिखाई दे रही है.”
यह बात आम है कि “लोकसभा चुनाव में बेरोज़गारी और महंगाई एक बड़ा मुद्दा था, जिस पर इस बजट में ध्यान दिया गया स्वाभाविक है. कई करोड़ नौकरियों का वादा किया गया है, जो बताता है कि अब बीजेपी बदल रही है.” हालाँकि यह वादे 2014 और 2019 में भी किये गए थे .
बजट से पहले भी चंद्रबाबू नायडू को 15 हज़ार करोड़ रुपये केंद्र सरकार की तरफ़ से अलग-अलग परियोजनाओं के लिए दिए गए हैं. साफ़ है कि अब बीजेपी , बिहार और आंध्र प्रदेश का ख़ास ध्यान रख रही है, क्योंकि सरकार की स्थिरता के लिए दोनों दलों का साथ रहना बहुत ज़रूरी है.
कुल मिलकर कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के सहयोग का एक रिटर्न गिफ़्ट दोनों राज्यों को ख़ास बजट के रूप में दिया गया है , जो अपेक्षित था .